किसानों को पौधों की नई किस्म व उसको सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्यों की जानकारी देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में पौधा किस्म व अधिकार संरक्षण अधिनियम जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन करते केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ.के एम सिंह ने कहा कि पौधों की किस्मों, कृषकों और पादप प्रजनकों के अधिकारों की सुरक्षा तथा पौधों के नई किस्मों के विकास के लिए प्रभावी प्रणाली की स्थापना की गई।अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा पौधा किस्म और कृषि अधिकार संरक्षण प्राधिकरण बनाया गया है।हवाई अड्डा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के आडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जिन किसानों द्वारा पौधों की कोई नई किस्म खोजी या विकसित की जाती है।उन किस्मों को सुरक्षा प्रदान करने और पंजीकृत करने का अधिकार किसानों को दिया गया है।जिससे कि प्रजनक किसान अपने किस्मों को पंजीकृत कराकर सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।जिला कृषि पदाधिकारी संत लाल साहा ने कहा कि कोई भी किसान पीपीवी और एफआर अधिनियम 2001 के अंतर्गत संरक्षित किस्म के बीज सहित अपने उत्पाद को बचाकर रखने के साथ उन्हें बेच भी सकते हैं।लेकिन शर्त यह है कि कोई भी किसान पीपीवी और एफआर अधिनियम के तहत सुरक्षित किस्म के ब्रांड युक्त बीज की बिक्री नहीं कर सकते हैं।वहीं जिला गव्य विकास पदाधिकारी अजरुन प्रसाद ने कहा कि अधिनियम 2001 की धारा 392 के अंतर्गत किसी भी किस्म के निष्पादन नही किए जाने पर किसानों को क्षतिपूर्ति दिए जाने का भी प्रावधान है।इस दौरान मुख्य रूप से वैज्ञानिक रत्नेश कुमार चौधरी, वैज्ञानिक नीरज प्रकाश, जयंत कुमार, मो.मिराज और दुलालजीत सिंह सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।