शराब से जुड़े मामलों को लेकर हुई सुनवाई दंडाधिकारियों को न्यायिक शक्ति देने के मामले पर पटना हाईकोर्ट का पक्ष लेकर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

पटना: मद्य निषेध से जुड़े विशेष मामलों की सुनवाई के लिए कार्यपालक दंडाधिकारियों को न्यायिक शक्ति दिए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बिहार में मद्य निषेध अधिनियम लागू होने के बाद न्यायालयों में केसों की बढ़ती संख्या मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले में पटना हाईकोर्ट का पक्ष जान कर आगे विचार करेगा। संशोधन कानून के तहत राज्य सरकार ने पहली बार शराब पीकर पकड़े जाने वाले अभियुक्तों को कार्यपालक दंडाधिकारी के स्तर पर ही जुर्माना लेकर छोड़े जाने व केस बंद करने का नियम बनाया है। इसके लिए सरकार ने पटना हाईकोर्ट से न्यायिक शक्ति देने का अनुरोध किया था।
रजिस्ट्रार के माध्यम से 27 सितंबर तक मांगा गया जवाब
सुनवाई में राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि बढ़ते मामलों से निबटने के लिए राज्य सरकार ने विशेष न्यायाधीशों के 74 पदों पर भर्ती की स्वीकृति का प्रस्ताव भेजा था। आधारभूत संरचना निर्माण और बजट के साथ 766 स्टाफ रखने की मंजूरी भी दे दी गयी है। राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत न्यायिक अधिकारियों की जगह भर्ती होनी चाहिए और इसे लागू करने में पटना हाईकोर्ट की कोई हिचकिचाहट तो नहीं है, इस पर रजिस्ट्रार के माध्यम से 27 सितंबर तक जवाब मांगा गया है। शराबबंदी मामले में एक याचिका पर पटना उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट दोनों जगहों पर सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि उस मामले की सुनवाई अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही होगी। हलफनामे में बताया गया है कि मद्य निषेध अधिनियम लागू होने के बाद से इस साल 11 मई तक 3,78,186 मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें 1,16,103 मामलों में सुनवाई शुरू हुई है। जबकि केवल 2473 मामलों में सुनवाई पूरी हुई। इसमें 830 आरोपियों को बरी कर दिया गया, जबकि 1643 दोषी ठहराए गए।