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*जिन्होंने माँ गंगा को दिया धोखा, उन्हें बिहार नहीं देगा अब मौक़ा: राजेश राम*

ना बिहार में बाढ़ नियंत्रण के लिए कदम बढ़ाया, ना गंगा का जल नहाने व पीने लायक बनाया!: राजेश राम

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बिहार सरकार पर 50,000 का जुर्माना लगाया: राजेश राम

आज प्रधान मंत्री जी बिहार आ रहे हैं और माँ गंगा पर चुनावी चिंता जता रहे हैं: राजेश राम

मनीष कुमार कमलिया/ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी बिहार आकर माँ गंगा के प्रदूषण पर अपनी सफाई देने की कोशिश करेंगे और पटना के दीघा में एक अवैधानिक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन करेंगे। माँ गंगा की सफाई सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की पूरी कहानी, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी की जुबानी आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने खोल कर रख दी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने संवाददाता सम्मेलन में अपने संबोधन में बताया कि हाल ही में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने गंगा नदी की स्वच्छता व प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े मामले में बिहार सरकार की गंभीर लापरवाही के लिए ₹50,000 का जुर्माना लगाया है। यह आदेश एनजीटी ने एम.सी. मेहता द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दिया।
बिहार राज्य में गंगा और उसकी सहायक नदियों के लिए बनाए गए STPs (Sewage Treatment Plants) की कुल संख्या 13 है। जिनमें से पूर्णतः फंक्शनल (चल रहे) STPs 7 हैं तथा गैर-मानक (Non-compliant) STPs भी 7 हैं, यानी सभी 7 फंक्शनल STPs FC मानकों पर फेल हैं।
1. फीकल कोलीफॉर्म (FC) बैक्टीरिया की मात्रा अधिक होने का अर्थ है कि उसमें मानव और पशुओं के मल-मूत्र की मात्रा इतनी ज्यादा है कि NGT ने कहा कि पीना तो दूर, यह नहाने लायक भी नहीं है।
2. नामामि गंगे योजना के अंतर्गत 2014-2024 के बीच बिहार को ₹3,914.53 करोड़ मिले, लेकिन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) आधे से ज़्यादा काम नहीं कर रहे हैं, और जो काम कर रहे हैं, वह एक भी मानक स्तर पर खरे नहीं उतरे।
3. एनजीटी ने पाया कि:
• बिहार सरकार ने गंगा व उसकी सहायक नदियों के जल गुणवत्ता की रिपोर्ट तय समय पर जमा नहीं की।
• 38 जिलों में से केवल खगड़िया जिले की एक अपूर्ण व बिना हस्ताक्षर की रिपोर्ट सौंपी गई।
• बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन नहीं किया गया। Survey of India से 1 मीटर कंटूर मैप लेकर फ्लडप्लेन ज़ोन का सीमांकन करना था, जो अब तक शुरू नहीं हुआ है।
• दिघा में बना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) नदी के बाढ़ क्षेत्र में स्थित है, जिससे बाढ़ के समय प्रदूषण का खतरा बढ़ सकता है।
चार्ट: NGT रिपोर्ट के अनुसार बिहार राज्य के STPs का प्रदर्शन (जुलाई-अगस्त 2024)
क्रम STP स्थान क्षमता (MLD) उपयोग (MLD) FC (Fecal Coliform) पर स्थिति
1 बउर, पटना 43 31 ❌ मानक स्तर पर खरे नहीं।
2 कर्मालिचक, पटना 37 30 ❌ मानक स्तर पर खरे नहीं।
3 सैदपुर, पटना 60 37 ❌ मानक स्तर पर खरे नहीं।
4 पहाड़ी, पटना 60 21 ❌ मानक स्तर पर खरे नहीं।
5 सोनपुर, सारण 3.5 2.7 ❌ मानक स्तर पर खरे नहीं।
6 बाढ़ 11 7.4 ❌ मानक स्तर पर खरे नहीं।
7 सुल्तानगंज 10 4.5 ❌ मानक स्तर पर खरे नहीं।
🔻 कुल 224.5 134.6 सातों STPs गैर-अनुपालन

जेडीयू-भाजपा ने गंगा से किया छल, प्रदूषित किया पवित्र जल:
गंगा में सीधे गिर रहे नालों की स्थिति (CPCB रिपोर्ट):
• केंद्र की मोदी सरकार (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 67 नालों से गंगा में 1046.24 मिलियन लीटर प्रति दिन गंदा पानी बिना साफ किए गिर रहा है।
• ये नाले इन जिलों से हैं: बक्सर, दिघवारा, छपरा, दानापुर, पटना, फतुहा, बख्तियारपुर, बाढ़, मोकामा, मुंगेर, भागलपुर, कहलगांव।
NGT द्वारा निर्देशित प्रमुख कार्रवाई:
1. बिहार सरकार को ₹50,000 जुर्माना दो सप्ताह में भरने का निर्देश।
2. बिहार के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई (21 जुलाई 2025) को वर्चुअली उपस्थित होकर जवाब देना होगा।
3. CPCB को अपडेटेड रिपोर्ट पेश करनी होगी जिसमें:
• गंगा से सीधे मिलने वाले नालों की संख्या व GPS लोकेशन,
• STPs की स्थिति और जल गुणवत्ता का राज्यवार डेटा हो।
4. NMCG को अपने आदेश के तहत प्रभावी कार्यवाही करने और रिपोर्ट देने का निर्देश।
नीतिश कुमार और मोदी जी द्वारा दीघा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन अवैधानिक:
NGT ने यह पाया कि दीघा STP—जिसके लिए NMCG द्वारा ₹824 करोड़ खर्च किए गए थे — वास्तव में बाढ़ और चक्रवात प्रवण क्षेत्र (flood and cyclone-prone area) में स्थित है। कोंट्रैक्टर की पर्यावरणीय एवं सामाजिक जांच रिपोर्ट में भी इसी का उल्लेख था। इसके जवाब में केंद्र सरकार के नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) वकील ने यह जानने के लिए समय मांगा कि दीघा एसटीपी को ऐसे स्थान पर स्थापित करने की अनुमति क्यों दी गई। अर्थात् NGT ने यह निष्कर्ष निकाला कि:
• यह STP वास्तव में गंगा के बाढ़ क्षेत्र (floodplain zone) में ही बनाया जा रहा है।
• जब NMCG स्वयं स्वीकार कर रहा है कि बाढ़ के समय नदी का जल STP तक पहुंच सकता है, तो यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि यह स्थान प्राकृतिक जल बहाव क्षेत्र का हिस्सा है।
• ऐसी स्थिति में, बाढ़ के दौरान STP स्वयं प्रदूषण फैलाने का स्रोत बन सकता है, खासकर अगर संरचना क्षतिग्रस्त हो जाए या अधिक जल दबाव में बह जाए।
NGT का सवाल — ऐसे स्थान पर निर्माण की अनुमति क्यों दी गई?
• NMCG को दो बड़े सवालों के जवाब देने के निर्देश दिए गए:
1. ऐसे संवेदनशील स्थान पर STP बनाने के लिए फंड कैसे जारी किया गया?
2. क्या कोई दिशानिर्देश (siting guidelines) जारी किए गए हैं कि STP या CETP (Common Effluent Treatment Plant) जैसे ढांचे कहाँ बनाए जाएं, ताकि बाढ़ क्षेत्र और पर्यावरणीय जोखिम से बचा जा सके?
• NGT ने यह भी कहा कि NMCG की भूमिका केवल धन आवंटन की नहीं है, बल्कि उसे यह सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है कि परियोजनाएं पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित स्थानों पर ही हों।
उपरोक्त तथ्यों से साफ है कि प्रदेश भाजपा सरकार प्रधान मंत्री को और बिहार की जनता को अंधेरे में रखकर चुनाव में प्रचार पाने के लिए एक अवैधानिक काम को आकार दे रही है।

संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रीय सचिव पूनम पासवान, विधान पार्षद डॉ समीर कुमार सिंह, प्रेमचंद मिश्र, कोषाध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता, कपिलदेव प्रसाद यादव, कुमारी माला, मोनी पासवान, प्रवक्ता डॉ स्नेहाशीष वर्धन पाण्डेय, सोशल मीडिया विभाग के चेयरमैन सौरभ सिंहा, असित नाथ तिवारी सहित अन्य नेतागण मौजूद रहें।

 

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