किशनगंज में महिला संवाद कार्यक्रम का समापन 20 जून को, 64 दिनों में 2.34 लाख से अधिक महिलाओं ने की भागीदारी
"आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति से सशक्तिकरण की ओर कदम"

किशनगंज,19जून(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले भर में 18 अप्रैल से निरंतर जारी ‘महिला संवाद कार्यक्रम’ 20 जून को अपने समापन की ओर अग्रसर है। यह कार्यक्रम न केवल समय की दृष्टि से ऐतिहासिक रहा, बल्कि इसकी भागीदारी और प्रभावशीलता ने इसे एक जनांदोलन का स्वरूप प्रदान किया। कुल 64 दिनों तक लगातार आयोजित हुए इस संवाद कार्यक्रम में अब तक 2 लाख 34 हजार से अधिक महिलाओं ने सहभागिता की, जिससे यह जिले के सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर बन गया।
समापन दिवस पर 13 ग्राम संगठनों में होगा आयोजन
शुक्रवार को जिले के शेष 13 ग्राम संगठनों में महिला संवाद कार्यक्रम आयोजित कर समापन किया जाएगा। इसमें बहादुरगंज प्रखंड के मोहम्मदनगर पंचायत, दिघलबैंक के सतकौवा, दिघलबैंक पंचायत, कोचाधामन के हल्दीखोड़ा, बलिया, मजकुरी, कोचाधामन पंचायत, ठाकुरगंज के दुधोती, रसिया, भोलमारा, छेतल पंचायत और पोठिया के टिप्पीझाड़ी व नौकट्टा शामिल हैं।
महिलाओं की आवाज बनी विकास की नई चेतना
कार्यक्रम में शामिल महिलाओं ने अपने सवाल, सुझाव, शिकायतें और अनुभव बेबाकी से साझा किए। अब तक 31,040 आकांक्षाएं महिला संवाद मोबाइल एप के माध्यम से दर्ज की जा चुकी हैं। इन आकांक्षाओं को जिला प्रशासन व राज्य सरकार के संबंधित विभागों को अग्रेषित किया जा रहा है, ताकि नीतिगत और प्रशासनिक कार्रवाई की जा सके।
सशक्तिकरण के लिए योजनाओं की जानकारी और तकनीक का समावेश
महिला संवाद कार्यक्रम के दौरान सरकार द्वारा चलाई जा रही महिला सशक्तिकरण योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी गई।
- जागरूकता वाहन में लगी एलईडी स्क्रीन पर वीडियो फिल्मों के माध्यम से महिलाओं को योजनाओं के प्रति जागरूक किया गया।
- विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित लीफलेट भी वितरित किए गए, ताकि महिलाएं अपनी साक्षरता और अधिकारों को लेकर सजग रहें।
1249 ग्राम संगठनों तक पहुँचा संवाद, महिलाओं ने निभाई रचनात्मक भूमिका
अब तक 1249 ग्राम संगठनों में महिला संवाद कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया जा चुका है। इस व्यापक आयोजन में महिलाओं की आत्मविश्वास, जिजीविषा और जिज्ञासा स्पष्ट रूप से देखने को मिली। ग्राम्य जीवन के अनुभव और सामाजिक मुद्दों पर उनकी पैनी दृष्टि ने यह सिद्ध किया कि महिलाएं अब केवल भागीदार नहीं, बल्कि बदलाव की उत्प्रेरक हैं।