बिहार की जनता नहीं भूली जंगलराज, तेजस्वी के झूठ से रहे सावधान! – अंजुम आरा

मुकेश कुमार/जद (यू) प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती अंजुम आरा ने तेजस्वी यादव के ट्वीट पर जमकर निशाना साधा और कहा कि नेता प्रतिपक्ष का ये ट्वीट फर्जी और मनगढ़ंत है और राज्य की जनता को इससे सावधान रहने की जरुरत है। तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सही मायने में बिहार को अंधकार युग से उजाले में लाने का काम हमारे मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोशिशों की बदौतल लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी शासनकाल के दौरान बदहाल बिहार आज विकसित बिहार बनने की कगार पर खड़ा है।
नीतीश कुमार सरकार जनता की उम्मीदों का प्रतीक है। बिहार में हर गांव तक बिजली, हजारों किलोमीटर सड़कें, हजारों स्कूलों का निर्माण इस बात का सबूत हैं कि माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार कैसे तरक्की के पथ पर अग्रसर है। राज्य में घर-घर बिजली पहुंचाने का काम किया गया जहां ग्रामीण इलाकों में भी 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की तरफ से बेटियों के लिए चलाई गई साइकिल योजना, पोशाक योजना, छात्रवृत्ति और जीविका जैसी योजनाओं से महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ और राज्य में महिलाएं आत्मनिर्भर हुईं। आज अपराधियों पर सख्ती से बिहार में कानून का राज स्थापित हुआ है, अपराध करने वाले ना केवल जेल जा रहे हैं बल्कि उन्हें कानून की धाराओं के मुताबिक सजा दिलाने का भी काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की सरकार ने राज्य में सफलतापूर्वक जाति आधारित सर्वे कराने का काम किया और इस सर्वे के बाद जरुरतमंदों को उनकी आबादी के अनुरुप आरक्षण की सीमा बढ़ाने का भी काम किया साथ ही चिह्नित करीब 94 लाख परिवारों के एक सदस्य को स्व रोजगार एवं आर्थिक सहायता के तौर पर 2-2 लाख रुपए देने का भी काम किया जा रहा है।
पार्टी प्रदेश प्रवक्ता ने तेजस्वी यादव से सवाल पूछते हुए कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने से पहले अपने माता-पिता से पूछना चाहिए कि उन्होंने अपने 15 साल के शासन के दौरान बिहार को क्या दिया? हत्या, लूट, जातीय नरसंहार, फिरौती के लिए अपहरण घटनाएं आम थी जहां लोग शाम होते ही घरों में दुबक जाते थे। बेटियों का घर से निकलना दूभर था और अगर कोई शाम छह बजे के बाद घर नहीं लौटता था तोे परिजन किसी अनहोनी की आशंकाओं से घिर जाते थे। तेजस्वी यादव को आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि बिहार आज भी लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी शासनकाल के दौरान हुए 118 जातीय नरसंहारों को नहीं भूला है जहां 812 निर्दोष लोग मारे गए थे। उस दौरान फिरौती के लिए 5 हजार 243 लोगों का अपहरण हुआ था जिन्हें छुड़ाने की डील मुख्यमंत्री आवास में हुआ करती थी।
उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी राज में सबसे ज्यादा पीड़ित महिलाएं हुईं जहां करीब 12 हजार महिलाओं के साथ दुष्कर्म की दुखद घटनाएं हुईं। उस चैपट व्यवस्था में पीड़ितों को न्याय मिलना तो दूर उनकी एफआईआर तक नहीं लिखी जाती थी। उस शासनकाल के दौरान कई पुलिसवालों की हत्याएं हुई, जन प्रतिनिधियों की सरेआम हत्याएं की गई लेकिन तेजस्वी यादव इस सत्य को भूल गए और आज मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की सुशासन सरकार पर फर्जी आरोप लगाकर लोगों को भ्रमित करना चाह रहे हैं। तेजस्वी यादव को सच्चाई का आईना दिखाते हुए उन्होंने कहा कि अपराधियों के डर से बडे पैमाने पर राज्य से डाॅक्टरों, उद्योगपतियों, छात्रों और किसानों का पलायन हुआ और वो दूसरे राज्यों में बस गए। इसके चलते राज्य का विकास प्रभावित हुआ, अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई और कृषि चैपट हो गई। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को सवाल उठाने से पहले जरा इतिहास के पन्नों को पलटना चाहिए और अपने माता-पिता के कुशासन की जिम्मेदारी लेनी चाहिए साथ ही राज्य की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
तेजस्वी यादव पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता ने अपने शासनकाल के दौरान बिहार का विकास करने की बजाए अपना और अपने परिवार का विकास किया। नौकरी देने के नाम पर गरीबों से जमीनें लिखवाई गईं यहां तक कि लालू प्रसाद यादव ने नौकरी के बदले जमीन लिखवाने में अपने परिजनों तक को नहीं छोड़ा लेकिन मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के शासनकाल के दौरान उनके परिवार के ही एक महिला को नौकरी मिली लेकिन बदले में उसे एक धूर भी जमीन नहीं लिखना पड़ा। यही अंतर है लालू प्रसाद यादव-राबड़ी देवी शासनकाल और हमारे मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के सुशासन काल की।