राजनीति

शराबबंदी पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की जातीय राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण – जद (यू0

हर विषय को जातीय राजनीति का रंग देना लालू परिवार की पुरानी फितरत - जद (यू0)

अविनाश कुमार/जद (यू0) प्रदेश प्रवक्ता डाॅ0 निहोरा प्रसाद यादव और श्री अरविंद निषाद ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की बिहार में शराबबंदी पर जातीय राजनीति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि दरअसल तेजस्वी यादव का राज्य में शराबबंदी पर टिप्पणी करने का कारण ये है कि आरजेडी ने शराब कंपनियों से इलेक्टोरल बाॅन्ड के तौर पर करोड़ों का चंदा लिया है और पार्टी इन शराब कंपनियों की मदद से बिहार में शराबबंदी को खत्म करने की साजिश रच रही है लेकिन बिहार की आम जनता ऐसे सभी प्रयासों को कभी सफल नहीं होने देगी।

तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का यह बयान कि, उनकी सरकार आते ही वो राज्य में ताड़ी से पाबंदी हटाएंगे बिहार से शराबबंदी को खत्म किए जाने का पहला चरण होगा। तेजस्वी यादव जी का यह बयान कि उनकी सरकार आने पर पहले की स्थिति बहाल करेंगे, यह दर्शाता है कि वे बिहार को फिर से अराजकता, भ्रष्टाचार और कुशासन के दौर में ले जाना चाहते हैं। पहले की स्थिति का अर्थ वही जंगलराज है, जब अपराध अपने चरम पर था, निवेशक राज्य से भाग रहे थे, और आम जनता भय के माहौल में जीने को मजबूर थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार को उस अंधकारमय दौर से निकालकर विकास, कानून-व्यवस्था और प्रगति की राह पर आगे बढ़ाया है।

 

 

 

उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव जी द्वारा शराबबंदी की आलोचना करना यह दर्शाता है कि वे समाज के हितों से ज्यादा अपने राजनीतिक फायदे की चिंता करते हैं। बिहार में शराबबंदी कोई साधारण फैसला नहीं, बल्कि महिलाओं, युवाओं और गरीब परिवारों के भविष्य को संवारने का एक सशक्त कदम है। इस नीति से घरेलू हिंसा में कमी आई, स्वास्थ्य में सुधार हुआ और सामाजिक ताने-बाने को मजबूती मिली है। अगर इसमें कुछ चुनौतियाँ हैं, तो सरकार उन्हें दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन शराबबंदी खत्म करने की बात करना समाज को फिर से अराजकता की ओर ले जाने जैसा होगा। विपक्ष को चाहिए कि वह रचनात्मक सुझाव दे, न कि नकारात्मक राजनीति करे।

तेजस्वी यादव जी का यह कहना कि शराबबंदी के तहत दर्ज मामलों में अधिकतर अतिपिछड़ा और दलित समाज के लोग हैं, यह एक गैर-जिम्मेदाराना और भ्रामक बयान है। शराबबंदी कानून का उद्देश्य किसी जाति या वर्ग को निशाना बनाना नहीं, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाना है। कानून सबके लिए समान होता है, और यदि कोई इसके उल्लंघन में पकड़ा जाता है, तो यह उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है, न कि किसी जाति विशेष का मुद्दा।

विपक्ष का यह प्रयास कि हर विषय को जातीय रंग देकर समाज में भ्रम और असंतोष फैलाया जाए, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारी सरकार न्याय के साथ विकास की नीति पर चलती है, और कानून का पालन करवाने में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता।

 

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