गार्गी पाठशाला के 21 केंद्र* स्थापित हैं जिनमें आर्थिक रूप से वंचित *2000+ विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा* दी जा रही है ।

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/गार्गी पाठशाला के तृतीय वार्षिकोत्सव पर *Let’s Inspire Bihar* अभियान के *गार्गी अध्याय* से जुड़ीं सभी *विदुषियों को बधाई* देते हुए मैंने कहा कि उनके सद्प्रयासों के कारण ही आज बिहार के *10 जिलों* यथा पटना, बेगूसराय, खगड़िया, अररिया, दरभंगा, नवादा, समस्तीपुर, मोतिहारी, रोहतास तथा मधेपुरा *में गार्गी पाठशाला के 21 केंद्र* स्थापित हैं जिनमें आर्थिक रूप से वंचित *2000+ विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा* दी जा रही है । अभियान में वंचितों के हितार्थ निःशुल्क शिक्षादान की अवधारणा प्रारंभ से ही अवश्य थी परंतु *4 वर्षों की यात्रा* के क्रम में इसे वास्तविक रूप में चरितार्थ विदुषियों ने ही किया और यह बिहार के उज्ज्वलतम भविष्य के लिए अत्यंत शुभ संकेत है कि स्वैच्छिक अभियान में जहाँ अभी तक सिवान, औरंगाबाद, मधुबनी और गया के 5 केन्द्रों सहित *14 जिलों में 26 निःशुल्क शिक्षा केंद्र* स्थापित हैं, उनमें से 21 विदुषियों के द्वारा ही संचालित हैं ।
मैंने सभी को बताया कि बिहार में महिलाओं को संबोधित करते हुए मैंने सदैव कहा है कि जिस भूमि में प्राचीनतम काल से ही गार्गी, मैत्रेयी समेत अनेक विदुषियों की महान परंपरा विद्यमान रही हो, उसका भविष्य निश्चित ही उज्ज्वलतम होना चाहिए । मेरा मानना रहा है कि आवश्यकता *स्वत्व बोध के साथ समेकित प्रयास एवं सकारात्मक योगदान* मात्र की ही है, सामर्थ्य तो स्वतः स्पष्ट एवं प्रमाणित है । अतः मेरे लिए यह अत्यंत सुखद है कि गार्गी अध्याय आज बिहार में संकल्पित एवं प्रबुद्ध महिलाओं का प्रमुख वैचारिक एवं सामाजिक मंच बन चुका है । संकल्पित विदुषियों द्वारा बिहार में शिक्षा की क्रांति के बीजारोपण का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है और शिक्षादान के अतिरिक्त वंचित महिलाओं के स्वरोजगार हेतु गार्गी कला कौशल केंद्रों तथा गार्गी कृत्या के माध्यमों से भी उत्कृष्ट प्रयास किया जा रहा है ।
गार्गी अध्याय के कार्यों की प्रशंसा करते हुए मैंने सभी को बताया कि अभियान के प्रथम वार्षिकोत्सव के कुछ दिवस पश्चात *अप्रैल, 2022* मे जब *मुख्य समन्वयक डाॅ प्रीति बाला* जी ने मुझे बताया था कि कुछ विदुषियों ने मिलकर वंचित विद्यार्थियों के लिए शिक्षादान हेतु केन्द्रों की स्थापना की इच्छा व्यक्त की है तब मेरे मन में संशय था कि कहीं ऐसा न हो कि केंद्र खुलने के कुछ दिनों के पश्चात ही बंद हो जाएं और इसीलिए मैंने तब सचेत भी किया था और कहा था कि केंद्र भले कम ही हों परंतु स्थाई होंने चाहिए। यह *विदुषियों की समाज के प्रति अद्भुत प्रेरणा का ही प्रतिफल* है कि पटना के 3 केन्द्रों से प्रारंभ पाठशाला के आज 21 केंद्र स्थापित हैं और नित्य अभिवृद्धि का क्रम गतिमान है । पाठशाला के केन्द्रों में बिहार के हर बच्चे को शिक्षित एवं स्किल्ड बनाने के उद्देश्य से योगदान कर रही विदुषियों के संकल्प एवं निष्ठा को देखकर ऐसा प्रतीत होने लगता है कि मानो विदुषी गार्गी वाचक्न्वी की प्रेरणा आज भी जीवंत हो और समाज की बौद्धिक जागृति हेतु प्रयासरत हो ।
इन केन्द्रों के पीछे दृष्टि यही है कि यदि बिहार के हर पंचायत तथा नगरीय वार्ड में भी इसी प्रकार से सक्षम व्यक्तियों एवं संस्थानों द्वारा *’अपने-अपने हिस्से के बिहार’* के प्रति दायित्वों का निर्वहन किया जाने लगेगा तो निश्चित ही विकसित बिहार का स्वप्न शीघ्र साकार हो सकेगा । यदि ऐसा नहीं हुआ और बिहार की एक बड़ी जनसंख्या आर्थिक अथवा सामाजिक अभाव या समस्या के कारण शिक्षा की ज्योति से वंचित रह जाती है तो निश्चित ही आने वाले समय में उनके द्वारा बिहार के विकास में अपेक्षाकृत योगदान संभव न हो सकेगा । अतः जाति-संप्रदाय, लिंगभेद एवं विचारधाराओं के मतभेद से परे उठकर हम सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि शिक्षा से कोई वंचित न रहे और गार्गी पाठशाला का तो नारा भी यही है कि *”अब हर बच्चा बनेगा हुनरवाला, क्योंकि आपके शहर में है गार्गी पाठशाला !”*
संबोधन के अंत में मैंने कहा कि यह अवश्य सुखद है कि *2,00,000+* बिहारवासी आज व्हात्सएप समूहों के माध्यम से अभियान के साथ सीधे रुप से जुड़ चुके हैं जिनमें *15,000+* महिलाएं भी सम्मिलित हैं परंतु 2047 तक विकसित भारत में विकसित बिहार के निर्माण के निमित्त शिक्षा एवं उद्यमिता की वांछित क्रांति हेतु यह अत्यंत आवश्यक है कि 2028 तक बिहार के हर पंचायत तक अभियान के अध्यायों के साथ-साथ गार्गी अध्याय का भी विस्तार हो ताकि तीव्रता सहित प्रेरणा का प्रसार संभव हो सके । हर ग्राम-नगर के जन-जन को अभियान के साथ जोड़ने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा । वार्षिकोत्सव की कुछ स्मृतियाँ साझा कर रहा हूँ। *यात्रा गतिमान है !*
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