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किशनगंज : प्रत्येक नवजात शिशु का जन्मसिद्ध अधिकार” की थीम पर नवजात शिशु सुरक्षा सप्ताह का हुआ आयोजन

जन्म के बाद का 28 दिन नवजात के जीवन व विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण: सिविल सर्जन

किशनगंज, 29 नवंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, नवजात के जन्म के बाद पहले 28 दिन उसके जीवन व विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है।बचपन के किसी अन्य अवधि की तुलना में नवजात के मृत्यु की संभावना इस दौरान अधिक होती है। इसलिये कहा जाता है कि नवजात के जीवन का पहला महीना आजीवन उसके स्वास्थ्य व विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है। शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने एवं लगातार छः महीने तक नवजात शिशुओं के बेहतर देखभाल को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 15 से 21 नवंबर के बीच नवजात सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता था। लेकिन दीपावली और छठ महापर्व को लेकर 30 नवंबर तक विस्तारित किया गया है। इस साल “सुरक्षा, गुणवत्ता और पोषण देखभाल, प्रत्येक नवजात शिशु का जन्मसिद्ध अधिकार” की थीम पर नवजात सुरक्षा सप्ताह का आयोजन जिले में किया जा रहा है। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि जन्म के पहले 28 दिनों में नवजात मृत्यु के अधिकांश मामले घटित होते हैं। हाल के वर्षों में नवजात मृत्यु दर के मामलों में कमी आयी है। इसी के तहत सदर अस्पताल में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डा. कौशल किशोर ने बताया कि जिलाधिकारी तुषार सिंगला के दिशा-निर्देश में सतत विकास लक्ष्य अंतर्गत सूबे में 1000 जीवित जन्मों पर नवजात मृत्यु दर 12 से कम करने में जिला भी प्रयासरत है। वहीं वर्ष 2019-20 में जारी एनएफएचएस 05 की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में नवजात मृत्यु दर शहरी क्षेत्र में 27.9 व ग्रामीण इलाकों में 35.2 के करीब है। नमूना पंजीकरण प्रणाली 2020 अनुसार राज्य का नवजात मृत्यु दर 21/1000 जीवित जन्म है। वहीं सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तहत, नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) का लक्ष्य 2030 तक प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 12 से कम करने तथा नेशनल हेल्थ पालिसी का लक्ष्य 2025 तक नवजात मृत्यु दर 16/1000 जीवित जन्म है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सूबे के साथ जिला भी प्रयासरत है। इसलिये जोखिम के कारणों की पहचान, उसका उचित प्रबंधन नवजात मृत्यु दर के मामलों को कम करने के लिये जरूरी है। इसलिए नवजात के स्वास्थ्य संबंधी मामलों के प्रति व्यापक जागरूकता जरूरी है। नवजात सुरक्षा सप्ताह  कार्यक्रम को महत्वपूर्ण बताते हुए सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि जन्म के पहले 28 दिनों में नवजात मृत्यु के अधिकांश मामले घटित होते हैं। हाल के वर्षों में नवजात मृत्यु दर के मामलों में कमी आयी है। सदर अस्पताल में माह अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक कुल 6 हजार 41 बच्चों (नवजात) का जन्म हुआ है। जिसमें 86 नवजात ने मृत जन्म लिया है। नवजात शिशु मृत्यु दर 1.42 प्रतिशत है। वहीं अप्रैल 2023 से अक्टूबर 2023 तक कुल 3679 बच्चों का जन्म हुआ है। जिसमें 3512 नार्मल एवं 167 सी–सेक्शन डिलीवरी हुई है। जिसमे 51 बच्चे मृत जन्म लिए है। नवजात शिशु मृत्यु दर 1 प्रतिशत है। 3 हजार 679 जन्म लेने वाले नवजात में 1 हजार 831 मेल एवं 1 हजार 848 फीमेल नवजात का जन्म हुआ है। इसलिये जोखिम के कारणों की उचित प्रबंधन नवजात मृत्यु दर के मामलों को कम करने के लिये जरूरी है। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. अनवर आलम ने बताया कि जिले में सदर अस्पताल स्थित  एसएनसीयू सेवाओं का लाभ अधिक से अधिक जरूरतमंद नवजात के लिए सदा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के दिशा-निर्देश के आलोक में जरूरी इलाज के लिये एसएनसीयू में बच्चों के निबंधन की संख्या में बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। एसएनसीयू में सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता, निर्धारित रोस्टर के मुताबिक चिकित्सक व स्टॉफ की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। एसएनसीयू में वेस्ट मैनेजमेंट के बेहतर इंतजाम सुनिश्चित कराते हुए किसी तरह के संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर सभी जरूरी इंतजाम सुनिश्चित किया गया है। डा. अनवर आलम ने बताया कि एसएनसीयू में वैसे नवजात शिशुओं को भर्ती किया जाता है जिनका जन्म समय से पहले हुआ हो या फिर कमजोर पैदा हुए बच्चों के साथ साथ जन्म के दौरान अन्य समस्याओं से ग्रसित हों। इस दौरान जिले के सरकारी अस्पताल के अलावा निजी अस्पतालों में जन्मे बच्चों को भी भर्ती किया जाता है। उन्होंने कहा कि माह अप्रैल से अब तक कुल 543 बच्चों को एडमिट किया गया। जिसमें 100 बच्चे को रेफर किया गया है। वहीं 421 स्वास्थ्य होकर सकुशल अपने घर गये व 04 अभी इलाजरत है। एसएनसीयू के साथ-साथ आईसीयू एवं नवजात शिशु से जुड़े अन्य विभागों के अलावा सदर अस्पताल के सभी विभागों को बेहतर किया गया है। जिसका परिणाम यह है कि सदर अस्पताल में इलाज के प्रति लोगों में विश्वास जगा है। लोग सभी तरह के इलाज के लिए अस्पताल में पहुंच रहे और बेहतर इलाज से लाभान्वित भी हो रहे हैं।

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