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क्या पत्रकार मे अवैध उगाही और माफियाओं से साठगाँठ के वजह से जारी है आपसी भिड़ंत ?

मुजफ्फरपुर-मोतीपुर पत्रकारों का बगावत और शोषण का यह कारोबार उनके पोस्ट से ही उजागर हुआ है।आपको बताते चले की ये मामला बहुत गंभीर और बहुत बड़ा मामला बन गया है,जो आज पत्रकारिता समाज को कलंकित कर रहा है आखिर उन पत्रकारों पर उनके सम्पादक करवाई क्यों नही कर रहे है ? क्या कहा जाये की इस हमाम मे सभी नंगे है,क्या पत्रकारों का यह बगावत किसी पत्रकार का बलि ले लेगा ? पत्रकारों पर समाज और प्रशासनिक अधिकारी काफी भरोसा करते हैं समाज का तीसरा नेत्र कहे जाने वाला आइना माने जाने सजग प्रहरी माने जाने वाला पत्रकार अगर भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाएगा तो समाज का क्या होगा ? आज समाज से बुराई हटाने वाले ही बुराई में लिप्त हो जाए तो फिर समाज से भ्रष्टाचार और माफिया गिरी कौन समाप्त करेंगा,मोतीपुर में पत्रकारों का खेमा कमाने-खाने की होड़ में तीन खेमे में बटा हुआ है,हर खेमा किसी ना किसी माफिया से मिला हुआ है,इन पत्रकारों के खेमा के कोई न कोई राजनीतिक दल के सक्रिय नेता संरक्षण कर्ता और उन्हें अपने साथ रखने वाला कठपुतली 

बना लिया है,कूछ भ्रष्ट सफेद पोंश नेता इन भ्रष्ट पत्रकारों कॊ मोहरा बना लिया है,माफियाओं के जारी वर्चस्व मे कई पत्रकार अवैध कमाई मे आज बगावत पर उतारू है आपसी संघर्ष और वर्चस्व की लड़ाई के कारण पत्रकारों में भिड़ंत जारी है,पत्रकारों का खेमा आपसी तकरार को लेकर थाने में FIR पर FIR दर्ज कराने में लगे हुए हैं,तो हमले की भी खबर है,वही माफिया अपनी माल की सप्लाई करने में लगा हुआ है,तो कई राजनेता राजनीति रोटी सेक रहे हैं मोतीपुर में माफियाओं का कई खेमा है,इन खेमा के द्वारा भ्रष्ट पुलिस और भ्रष्ट पत्रकारों को अपने करोबार कॊ लेकर मैनेज करने का खेल किसी राजनीति दल के नेता या थाना के दलाल या भ्रष्ट पत्रकार कॊ सेंटर बना कर किया जाता है,खेमों में पत्रकारों का टीम आज अलग-अलग माफियाओं के इशारे पर चल रहे हैं,यहां पर भ्रष्ट पुलिस पदाधिकारी से लेकर भ्रष्ट अधिकारी पदाधिकारी और माफिया पत्रकारों को अपने रणनीति से  पत्रकारों को अपने चुंगल में लेकर अपना कारगुजारी को करते नजर आ रहे हैं।राजनीति क्षेत्र के कई दिग्गज खिलाड़ी पत्रकारों को अपना मोहरा तक बना लिए हैं,ऐसे कई सफेदपोश राजनीतिक दल के नेता है जिन्होंने माफियाओं को संरक्षण दे रखा है,जिन्हे वोट के समय ये माफिया और ये भ्रष्ट पत्रकार सेवा देते है,और वह माफिया उन

राजनेताओं के लिए कई गैर कानूनी कार्य भी करते हैं,और अपने गोरखधंधे को संचालित करते हैं,ध्यान रहे कि 2003 और 2004 के समय में दीपक कुमार नाम का एक पत्रकार उभरा था,जिसके आने के पश्चात कई वरिष्ठ भ्रष्ट पत्रकारों की अवैध कमाई के कारण उनकी नौकरी खतरे में पड़ गए थे,उनका बँधा बधाई नजराना नाजायज रुपया भी बंद हो गया था,मोतीपुर में पत्रकारों के शह पर काफी गोरखधंधा चरम सीमा पर थे,एक के बाद एक कई समाचार पत्रों में दीपक कुमार ने इनके कारगुजारियों को खोलना शुरू किया,और मुजफ्फरपुर के पूर्व डीएम श्री सूर्य कुमार मिश्रा और पूर्व एसपी अमित लोढ़ा ने छापामारी शुरू किया, भारी मात्रा में गोरखधंधा का पर्दाफाश शुरू हो गया,मुजफ्फरपुर के पूर्व एसपी रत्न संजय और डीएम विनय कुमार ने त्वातॉर करवाई किया,उस समय थानाध्यक्ष कॊ मोटी रकम महीना मिलता था जिससे गुप्त सूचना को सर्वजनिक कर माफिया को बताया करते थे,और माफिया का माल खुद पुलिस की गाड़ी से और आतुर वाहन से ठिकाने लगवाते थे,यहा तक थाने से कच्चा इस्प्रिट तक माफिया कॊ बेचा गया जिस पर पूर्व डीआईजी श्री गूप्तेसवर पांडे ने कड़ी करवाई किये,उस समय थानाध्यक्ष को बचाने भी कूछ भ्रष्ट पत्रकार पूर्व आईजी बशिष्ठ जयंत कॊ गवाही देने गये थे,मगर भ्रष्ट थानाध्यक्ष श्री आरपी गुप्ता को निगरानी ने जेल भेजा और उसे पूर्व डीआईजी श्री बच्चू सिंह मीना ने बर्खास्त कर दिया,यहा तक कई माफिया और दलालो

ने भ्रष्ट नेता के इशारे पर साजिश कर दीपक कुमार पर मोतीपुर मे कई एफआईआर दर्ज करवाया जो जाँच मे गलत निकले,ये भ्रष्ट पत्रकारों और माफियाओं ने और उनके संरक्षक नेता ने दीपक कुमार पर कई बार जानलेवा हमले किये,और इतना प्रताड़ना किया की विवश होकर दीपक 2013 मे प्रभात ख़बर से खुद हटना उचित समझा,इसमे गहरी साजिश दीपक कुमार को हटाने और अपने गोरख धँधा का कार्य कॊ करने के लिये चला गया,ईश्वर ने दीपक कुमार कॊ सहयोग किया और दीपक दीपक से महाकाल बन गया,दीपक के कई पत्र और समाचार पर कई एसपी, डीएम  ने टीम गठित करके ताबड़तोड़ छापामारी कराया और कई बड़े-बड़े माफियाओं का गिरेबान पकड़ लिया,इसका असर पूरे बिहार मे दिखा यहा तक कि केंद्र सरकार ने भी कई कारगर करवाई किया,उसके पश्चात कई भ्रष्ट पत्रकारों ने दीपक कुमार के विरुद्ध कार्य शुरू किया माफिया शराब माफिया से लेकर कई माफियाओं ने उस पर कई बार जानलेवा हमला भी किये और  प्राथमिकी तक भ्रष्ट पुलिस पदाधिकारियों को मिलाकर मोतीपुर थाने में दर्ज कराया गया,सारे के सारे केस जांच में झूठा साबित हुए 2003 और 2004 से शुरू किए पत्रकारिता क्षेत्र में दीपक कुमार के रहते हुए भ्रष्टाचारी माफिया अपना इलाका छोड़कर भाग गए थे और कई ने अपना धँधा बदल लिये थे, दीपक कुमार के नाम से ही माफिया पनाह मांगते थे,भ्रष्ट पत्रकारों की नौकरी चली गई थी,कलम 

की मार से कितने माफिया को जेल जाना पड़ा,खाधान्न,उर्वरक,बीज,तेल,डालडा शराब,गंजा,तस्करी समेत अपराध पर कई बड़े बड़े करवाई हुये,दीपक के पत्रकारिता जगत से हटते ही इन माफियाओं का साम्राज्य पुनर्गठित हो गया पूर्व के एसपी और डीएम ने मोतीपुर थाने पर विशेष नजर रखना शुरू किया था,जिससे मोतीपुर मे चोरी,छिनतइ,लूट बंद थे,पत्रकारिता जगत में आए दीपक कुमार ने कई मुख्य मुख्य बिंदुओं पर और कानून व्यवस्था के सुधार को लेकर के बिहार के उच्च अधिकारियों से लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार तक लंबे समय तक पत्राचार किया माफिया और सफेदपोश नेताओं और भ्रष्ट पत्रकारों के प्रताड़ना से दीपक से दीपक कुमार पत्रकार महाकाल बन गया,उसने जण कल्याण के लिए योगी बनकर समाज में तरह-तरह का उपदेश देकर समाज सुधारने में लग गया,अब इधर पुनः कुछ भ्रष्ट पत्रकार इन अपने कारगुजारी को दिखाते हुए शोषण करते हुए माफियाओं से सांठगांठ करना शुरु कर दिए और कई भ्रष्ट पुलिस पदाधिकारी समेत कई माफियाओं से यह अवैध उगाही करने लगे नीतीश कुमार के सुशासन में समाज को सुधारने का ठेका लेने वाले यह पत्रकार ही भ्रष्टाचार में लिप्त है,तो समाज को सुधारेगा कौन ? आज इन पत्रकारों का जारी आपसी बगावत और इनके एक दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप का जारी किया गया सोशल मीडिया पर का पोस्ट इनके अवैध धंधे और अवैध कारोबार और अवैध उगाही के पोल खोल दिया है,इन भ्रष्ट पत्रकारों ने अपने बचाव मे कई रणनीति तैयार किया है जो चौंकने वाला है,कूछ पत्रकार का कहना है की जिसके पोस्ट है ओ इस पोस्ट कॊ अब फर्जी जाहीर कर रहे है,मगर

सत्य तो सत्य है ओ उजागर हो गया है,इनके करनी का पोल इनके पोस्ट ही खोल कर रख दिया है,पत्रकारों के बारे में जहां तक चर्चा है और जो सच्चाई है वह जो सामने आया है वह काफी शर्मनाक है,कई पत्रकार शराबबंदी के बाद भी शाम ढलते ही नशे में चूर हो जाते हैं,जो जाँच का विषय है,श्री नीतीश सरकार शराब के नशे वालो को बक्शने के मुंड मे नही है,हरियाणा या अन्य जगह के तस्करों से शराब माफियाओं से अन्य कई पदाधिकारी से जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं उनसे महीना लेने के लिए आमादा है,पत्रकारिता की आड़ में आज जारी यह खेल शर्मनाक है।कुछ पत्रकारों के द्वारा शोषण और कमाई दोहन से ईमानदार पत्रकार भी बदनाम हो रहे है,ऐसे पत्रकारों पर प्रशासन को चाहिए कि समय रहते चिन्हित करके कानूनी कार्रवाई करें,और ऐसे भ्रष्ट पत्रकारों को सलाखों के पीछे धकेल दें,इन भ्रष्ट पत्रकारों पर इनके समाचार के प्रबंध संपादक एवं प्रबंधक को भी चाहिए साफ सुथरा वातावरण करने के लिए इन पर कार्रवाई करें आज इन भ्रष्ट पत्रकारों के कारगुजारी से समाचार पत्र और पत्रकारिता जगत भी शर्मसार हो रहा है,कई पत्रकारों ने भ्रष्टाचार में लिप्त होकर के कई जगहों पर अपना महीना तक बँधा रखा है,जिसका खुलासा इनकी आपसी कमाने खाने के तकरार से हुआ है,सोशल मीडिया पर पोस्टर जारी किया गया है जो काफी रहस्य कॊ खोलते है,बरूराज़ और मोतीपुर थानों मे कई माह से कई एफआईआर दर्ज कराया गया,मोतीपुर पर सीधा उच्च अधिकारियों का ध्यान है किसी भी गरबड़ी मे कोई हो बक्सा नही जायेगा,एफआईआर ही सारी सच्चाई को जाहिर कर रहा है,कई माफिया और भ्रष्ट पुलिस पदाधिकारी और भ्रष्टाचार में लिप्त अन्य पदाधिकारी और शराब माफिया को यह कुछ पत्रकार कमाने खाने के चक्कर मे बचाते है,उन्ही गलत कर्म का फल है की उनके करनी ही उनके लिए आफत बनता जा रहा है।कुछ पत्रकार तो भ्रष्टाचार में खुद लिप्त है और कूछ ने फर्जी लोगो और फर्जी पत्रकार बन कर अपना उल्लू सीधा कर रहे है।पत्रकारों की इस बगावत की बड़ी जांच होना अति आवश्यक है, पत्रकारों का बगावत और शोषण का यह कारोबार बहुत गंभीर और बहुत बड़ा मामला बन गया है,पत्रकारों पर समाज और प्रशासनिक अधिकारी काफी भरोसा करते हैं,समाज का तीसरा नेत्र कहे जाने वाला आइना माने जाने वाला पत्रकार अगर भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाएगा तो समाज का क्या होगा ? आज समाज से बुराई हटाने वाले ही बुराई में लिप्त हो जाए तो फिर समाज से भ्रष्टाचार और माफिया गिरी कौन समाप्त करेंगा ? मोतीपुर में पत्रकारों का खेमा कमाने-खाने की होड़ में तीन खेमे में बटा हुआ है,हर खेमा किसी ना किसी माफिया से मिला हुआ है,इन पत्रकारों के खेमा के कोई न कोई राजनीतिक दल के सक्रिय नेता संरक्षण कर्ता है,कई पत्रकार माफिया और कुछ राजनेताओं के हाथों की कठपुतली बने पाया जा रहा है,धंधे कॊ लेकर माफियाओं के जारी संघर्ष और वर्चस्व की लड़ाई के कारण मददगार होने के कारण पत्रकारों में भी भिड़ंत जारी है,पत्रकारों का खेमा आपसी तकरार को लेकर थाने में एफआईआर पर एफआईआर दर्ज कराने में लगे हुए हैं वही माफिया अपनी माल की सप्लाई करने में लगा हुआ है,कई राजनेता राजनीति रोटी सेक रहे हैं मोतीपुर में तीन खेमों में पत्रकारों का टीम आज अलग-अलग माफियाओं के इशारे पर चल रहे हैं,यहां पर भ्रष्ट पुलिस पदाधिकारी से लेकर भ्रष्ट अधिकारी पदाधिकारी और माफिया पत्रकारों को अपने संघ पत्रकारों को अपने चुंगल में लेकर अपना कारगुजारी को करते नजर आ रहे हैं,राजनीति क्षेत्र के कई दिग्गज खिलाड़ी पत्रकारों को अपना मोहरा तक बना लिए हैं,ऐसे सफेदपोश राजनीतिक दल के नेता है जिन्होंने माफियाओं को संरक्षण दे रखा है और वह माफिया उन राजनेताओं के लिए कार्य भी करते हैं,और अपने गोरखधंधे को संचालित करते हैं।जब रक्षक ही बनेंगे भक्षक तो कौन होगा सच्चा रक्षक ?

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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