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बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले का सदर अस्पताल में मरीजों का स्थिति बद से बदतर है।

अनिल कुमार मिश्र : सांस की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को जिले के सदर अस्पताल में बेड तक नसीब नहीं हो पा रहा है। वहीं अस्पताल में डॉक्टरों की किल्लत है जिससे अस्पताल का व्यवस्था जूझ रहा है । ऑक्सीजन और बेड के लिए पैरी का दौर भी चल रहा है। सच कहा जाए तो स्वास्थ्य विभाग के नजरों में कोरोना से नहीं अन्य अदृश्य बीमारियों से अब तक दर्जनों जान जा चुकी है । सदर अस्पताल मे जगह और बेड़ के हालात ऐसे हैं कि किसी का ऑक्सीजन बरामदे में चढ़ रहे हैं तो किसी का ऑक्सीजन स्ट्रेचर पर लगे हुए हैं ।जिले के स्वास्थ्य विभाग का एक ओर दयनीय हालात तथा विकराल स्थिति है तो दूसरी और जनता की लापरवाही भी मौत की दावत दे रहे है ।

महामारी की दौर में सब कुछ जानते हुए भी लोग अनजान बने हुए है और भीड़ के हिस्से बन रहे हैं । वहीं सरकार के प्रशासनिक अधिकारी फाईन वसूलने में व्यस्त हैं । ऐसी हलात मे अब आप ही बताएं कि लॉकडाउन से क्या हम बढ़ते संक्रमण को रोक सकते हैं ? अगर नहीं तो लॉकडाउन की ड्रामा बाजी क्यों ? जब भीड़ इकट्ठा हो ही रहे हैं और शादी- विवाह में सैकडों की जमावड़े चल ही रहे हैं।हलात ऐसा बन चुका है की चंद लोगों को छोड़कर सवालों का प्रतिउतर भी देने के लिए कोई तैयार नहीं है। ऐसी हलात मे जिले का जनता भग्वान भरोसे दिख रहे है।

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