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*बजट में बिहार को बीमारू राज्य से निकालने की कोई योजना नहीं: डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह*

*मीडिया में बिहार केन्द्रित बजट बता सूबे को ठगा जा रहा है: डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह

*बिहार को बजट में मिला कुछ नहीं, हल्ला पूरा किया: डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह

मुकेश कुमार/राज्यसभा में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने केंद्रीय बजट पर बहस में शामिल होकर आज बिहार के साथ किए गए छलावे और बजट में कटौती पर विस्तार से चर्चा किए।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किए गए बजट को मीडिया में ऐसे प्रचारित किया गया जैसे बिहार को ही बजट में सब सौगात मिल गई। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि आप बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और बिहार के लिए बजट में क्या रहा है इसकी चर्चा होनी चाहिए। बिहार के बंटवारे के समय को याद करते हुए उन्होंने कहा कि देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने बिहार को हरियाणा और पंजाब बनाने की बात कही थी। बिहार को एक लाख अस्सी हजार करोड़ रुपए के पैकेज की बात कही थी जो आज तक नहीं मिली।

राज्यसभा सांसद डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री के 2047 के विजन और 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के दावे पर हम भी चाहते हैं कि हमारा देश बने लेकिन जो सामाजिक भिन्नता रहेगी तब तक हमारा राष्ट्र विकसित राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर नहीं आ सकता। प्रधानमंत्री के इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के आधार पर 1960-61 में बिहार का प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत 60% होता था लेकिन वर्तमान में 32% ही रह गया है। देश के कुल जीडीपी में बिहार का योगदान 8% था जो आज नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में 4% रह गया है। बिहार में सड़कों पर खर्च की दर 44 रुपया है लेकिन राष्ट्रीय औसत 117 रुपए है। कृषि पर 104 रुपए है और राष्ट्रीय औसत 199 रुपए है। नाबार्ड ने खुद अपने रिपोर्ट में स्वीकारा है कि बिहार में बाकी राज्य के अपेक्षा कृषि ऋण का भुगतान बेहद कम है। इसलिए सरकार का विकास का दावा खोखला रह जाता है। नीति आयोग के रिपोर्ट को देखा जाएं तो स्वास्थ्य, शिक्षा, औद्योगिकीकरण में हम या तो निचले पायदान पर हैं या अंतिम हैं। बिहार ने आपको लोकसभा में क्रमशः तीन चुनावों में 32, 39 और 30 सांसद दिए लेकिन आज तक अपने बिहार के लिए केवल काम करने का छलावा किया। बिहार में जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बोली लगाने वाले दिनों को हमलोग नहीं भूले हैं केवल पुराने योजनाओं को री पैकेजिंग करके उन्होंने वाहवाही लेने की कोशिश की जिसका खंडन उन्हीं के सहयोगी मुख्यमंत्री ने अखबारों में अगले दिन खंडन कर दिया। बिहार के केंद्रीय मंत्रियों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि आपलोग बिहार में काम करने पर ध्यान दीजिए। केला उद्योग को भी बोर्ड बना देना चाहिए। कोल्ड स्टोरेज पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में केवल 313 है जबकि गुजरात में 1 हजार से ज्यादा है और उत्तर प्रदेश में 2500 है। जमीनी हकीकत और घोषणाओं में इस सरकार का बहुत अंतर है। खाद्य मंत्रालय 2021-22 में 33 करोड़ रुपए, 2022-23 में 33 करोड़ और इस साल ये 32 करोड़ रुपए ही रह गई। रविशंकर प्रसाद के मंत्री रहते बिहार में आईटी पार्क की बात हुई थी और आईटी हब के तर्ज पर पटना को विकसित करने की घोषणा किए थे लेकिन हुआ कुछ नहीं। चीनी मिल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले चुनावों में बोली बातों पर कटाक्ष करते हुए डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने कहा था कि अगली बार जब बिहार आऊंगा तो चीनी मिल से धुंआ निकलेगा और यही के चीनी से बनी चाय आपलोगों के साथ पियूंगा लेकिन आज भी चीनी मिल उसी स्थिति में है और कुछ बंद ही हो गए हैं। बड़े उद्योगपतियों के दबाव में आपलोग नीतियां बनाते हैं और बिहार को मजदूर फैक्ट्री बनाकर रखना चाहते हैं ताकि सस्ते मजदूर आपके मित्र उद्योगपतियों को मिल सकें। ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भागलपुर के हवाई अड्डे का विकास नहीं हुआ। बिहार एक चारों ओर से जमीन से घिरा है इसलिए विशेष पैकेज हमारी जरूरत है तभी हमारा राज्य निचले अर्थव्यवस्था से मध्य आय वर्ग में आ सकेगा। बिहार के राजधानी पटना में स्थित पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग को पूरा नहीं किए जबकि आपके सहयोगी मुख्यमंत्री ने भी मांग की। बिहार आर्थिक रूप से कमजोर राज्य है लेकिन राजनीतिक रूप से सजग प्रदेश है तो ऐसे जुमलेबाजी न करें केंद्र की एनडीए सरकार वरना बिहार के लोग आपको राजनीतिक वनवास दे देने में वक्त नहीं लगाएंगे। बिहार के साथ बजट में कटौती करने के बाद भी मीडिया में बिहार केंद्रित बजट बताया जा रहा है और आम बिहारी खुद को ठगा महसूस कर रहा है।

 

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