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आपसी विश्वास और सम्मान के बिना गठबंधन कैसा?

 

रणजीत कुमार सिन्हा पटना  कर्पूरी जी और कर्पूरी जी के बाद लालू जी के निकटतम सहयोगी रहे आदरणीय रघुवंश बाबू के दु:खद निधन और निधन के ठीक पूर्व राजद से त्यागपत्र देने की घटना ने राजद-नीत महागठबंधन में एक भूचाल सा ला दिया है। पहले तो जीतन राम मांझी ही गठबंधन नेतृत्व की शिकायत करते थे। अब तो कांग्रेस ने भी यह कहना शुरू कर दिया है कि तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन चुनाव लड़े, यह उन्हें भी मंजूर नहीं है। यह वास्तव में एक ऐसा विषय है जिसे तो महागठबंधन को आपस में ही तय करना है । लेकिन, आपसी विश्वास और आपसी सम्मान के बिना कोई भी गठबंधन संभव कैसे होगा यह एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है। यह तो स्पष्ट दिख रहा है कि महागठबंधन में शामिल राजद को छोड़कर तमाम दलों को राजद के नेतृत्व के ऊपर से चुनाव के पूर्व ही विश्वास उठता जा रहा है I

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