महापर्व करवा चौथ कल
सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए पति की लंबी उम्र की कामना का महापर्व करवा चौथ कल:-*
इस व्रत में कई अच्छे संयोग मिल रहे है।
इस करवा चौथ पर शुभ रोहिणी नक्षत्र में शुभ योग बन रहा है। करवा चौथ पर इस बार रोहिणी नक्षत्र में पूजन होगा तो गुरुवार होने से व्रतियों को श्री विष्णु का आशीर्वाद भी मिलेगा। विशेषकर सुहागिनों के लिए यह अखंड सौभाग्य देने वाला होगा। कल सायं काल मे मां पार्वती, भगवान शिव, कार्तिकेय एवं गणेश सहित शिव परिवार का पूजन किया जाता है। और मां पार्वती से सुहागिनें अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। इस दिन करवे में जल भरकर कथा सुनी जाती है। महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखकर चंद्र दर्शन के बाद व्रत पूर्ण करती हैं।
*करवा चौथ व्रत पूजन की आवश्यक सामग्री:-*
*बैठने के लिए स्वर्णाभूषण, पल्लव, तुलसी या केला का वृक्ष, सुहागिन स्त्रियों का सम्पूर्ण वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, आभूषण साज सज्जा, सम्पूर्ण श्रृंगार के बाद बैठने के लिए आसन, मिट्टी का कलश, करवा, ढक्कन, दीपक, गोबर, कलश वस्त्र, छोटा चुनरी, घी, बत्ती, माचिस, कपूर, अगरबत्ती, रक्षासुत, लोटा, थाली कटोरा, कटोरी, गंगाजल, रामराज मिट्टी या काली या पीली मिट्टी, कच्चा दूध, दही, देसी घी, मधु, शक्कर, अक्षत, फूल, फूलमाला, बेलपत्र, दुभ, चंदन, रोली, हल्दी, कुमकुम,अबीर सिंदूर, फल, मिठाई, इत्र, मिश्री, पान, खड़ी सुपारी, पंचामृत, चढ़ाने के लिए वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, हवन या आरती, चलनी, और चुनरी जल और भोजन सामग्री के साथ पति।*
*पूजा का मुहूर्त:-*
*चूंकि चतुर्थी में चन्द्रोदयव्यापिनी मुहूर्त आज शाम 5:30 से प्राप्त हो रही है इसलिए इसमें ही करवा चौथ व्रत पूजन किया जाएगा।*
*इसका पूजन मुहूर्त शाम 05:35 से 07:51 तक रहेगा। चंद्रोदय का समय बिहार और उत्तर प्रदेश में रात 7:50 से 7:58 होगा वही दिल्ली में 8 बजे और अन्य प्रान्त में भी 7:55 से 8:11 के बीच मे होगा।*
अलग-अलग स्थानों के हिसाब से समय में थोड़ा अंतर आ सकता है।
सुहागिनों के लिए तीज के बाद बड़ा पर्व करवा चौथ पांच साल बाद विशेष योग के साथ आया है। इस बार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र और गुरुवार का संयोग बन रहा है।
*इस समय स्त्रियां किसी योग्य आचार्य के सहायता से या स्वयं भी एक चौकी पर आसन बिछा कर मिट्टी से शिव पार्वती स्वामी कार्तिकेय के साथ गणेश प्रतिमा बना कर यथा शक्ति सामर्थ्य से पूजन करें और संकट नाशन गणेश स्तोत्र का पाठ कर चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति दर्शन कर व्रत पुर्ण करे।*
*करवा चौथ व्रत कथा:-*
*करवा नाम की एक ऋषि कन्या थी। और उसका पति अल्पायु था। वो अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं। वहीं पर दोनों श्री गणेश जी का नित्य पूजन और चतुर्थी का व्रत किया करते थे। एक बार संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन उसके कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उसे दर्शन दिया और बताया कि आज एक बार में तुम अपने पति को जितना बार देख सकती हो उतने वर्षों तक तुमको पति सुख मिल जायेगा, और तुम अपने संकल्प को जिसे भी एक धागे से बांध दोगी उसे पूरा करने के लिए साक्षात महादेव को भी आना पड़ेगा। तुम आज चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति का अनंत रूपों में दर्शन करो। तब करवा ने सच्चे मन से फिर श्री गणेश जी का ध्यान किया तभी उसकी दृष्टि पास में रखी एक चलनी पर पड़ी और उसने उसे तुरंत उठा कर उसके असंख्य छिद्रों से अपने पति को असंख्य रूपों में देख लिया।*
*फिर एक बार कार्तिक कृष्ण संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजन करने के लिए करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खिंचने लगा। मृत्यु करीब देखकर करवा के पति करवा को पुकारने लगे। करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं और पति को मृत्यु के मुंह में ले जाते मगर को देखा। करवा ने तुरंत धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा के सतीत्व और गणेश जी के आशीर्वाद के कारण मगरमच्छ कच्चे धागे में ऐसा बंधा की टस से मस नहीं हो पा रहा था। करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे थे। करवा ने तुरंत श्री गणेश को पुकारा और अपने पति को जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा। फिर गणेश ने यमराज को याद किया तब यमराज ने कहा मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु शेष है और करवा के पति की आयु पूरी हो चुकी है। इस बात से दुखी होकर करवा स्वयं ही मर जाने के लिए नदी में प्रवेश करने लगी। तब श्री गणेश ने यमराज से कहा, अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको शाप दे दूंगा। गणेश के शाप से भयभीत होकर यमराज ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया। फिर गणेश ने करवा को आशीर्वाद दिया। और उस चतुर्थी को करवा चौथ का नाम देकर कहा कि आज से जो भी स्त्रियां तुम्हारे नाम से इस चतुर्थी का व्रत करेंगी वो इस करवाचौथ व्रत के प्रभाव से सदा सुहागन रहेंगी। और आज से तुम करवा माता के नाम से जानी जाओगी।*
*तब से स्त्रियां करवा चौथ के दिन श्री गणेश पूजन कर माता करवा से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना।और फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर चलनी से अपनी पति के मुख देख कर उसके हाथों से पानी पी कर व्रत पूर्ण करती हैं।*
*करवा चौथ के व्रत पूजन से चंद्र देव के साथ श्री गणेश, पार्वती, महादेव, एवं माता विंध्यवासिनी सबके पति के जीवन के सभी रोग शोक संताप मिटाकर, सम्पूर्ण जीवन प्रेम और खुशियों से भर दे। माता जी सभी व्रतियों को उत्तम आयु, आरोग्यता, सुख सौभाग्य सन्तति सन्तान एवं सम्पूर्ण प्रसन्नता प्रदान करें।*
*श्री मंगल मूर्ति गणेश, माता करवा और मनोकामना महादेव सभी व्रतियों को अखंड सुख सौभाग्य, उत्तम आयु आरोग्यता, उत्तम संतति संतान एवं सुखी दांपत्य सुख प्रदान करें।*
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*हरि ॐ गुरुदेव..!*
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*ज्योतिषाचार्य आचार्य राधाकान्त शास्त्री*
*🌺शुभम बिहार यज्ञ ज्योतिष आश्रम🌺*
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*(अहर्निशं सेवा महे)*
*संपर्क एवं कॉल पर वार्तालाप समय:- सायं 5 बजे से रात्रि 11 बजे तक।*
*!!भवेत् तावत् शुभ मंगलम्!!*
*!!इति शुभम्!!*