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किशनगंज : गर्भावस्था में प्रसव पूर्व जांच से सुरक्षित मातृत्व को मिल रही है गति: सिविल सर्जन

प्रसव पूर्व जांच गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा के लिये जरूरी, उच्च जोखिम में सावधानी बहुत जरूरी, शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने की है बेहतर व्यवस्था

किशनगंज, 21 नवंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले में सुरक्षित प्रसव को लेकर स्वास्थ्य विभाग अपनी ओर से पूरी तरह से सुदृढ़ है। अब जरूरत है गर्भवती महिलाओं और उनके परिजनों के जागरूक होने की। लोगों को समझना होगा कि सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के लिए प्रसव पूर्व प्रबंधन बहुत जरूरी है। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। सदर अस्पताल के साथ-साथ अनुमंडल और पीएचसी स्तर के सरकारी अस्पतालों में भी वैसी तमाम सुविधाएं हैं, जिससे सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा मिले। वहीं जिले के एचडब्ल्यूसी में भी प्रसव पूर्व जांच से लेकर प्रसव कराने तक की बेहतर व्यवस्था है। सुरक्षित मातृत्व के लिए एएनसी जांच कराना अत्यंत आवश्यक है। एएनसी जांच का मकसद मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना होता है। इसी क्रम में मंगलवार को जिले में मातृत्व स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने व जच्चा-बच्चा की सुरक्षा सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से सभी पीएचसी, सीएचसी, रेफरल एवं अनुमंडलीय व जिला अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व (एएनसी) जांच प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान के अंतर्गत की गयी। जिले में प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान के तहत प्रत्येक माह की 9 व 21 तारीख को विशेष शिविर लगाकर गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व (एएनसी) जांच की जाती है। जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान को और भी सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए प्रयासरत है। वहीं गर्भवती माताओं एवं उच्च जोखिम वाली गर्भवती माताओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच की सुविधा प्रदान की गयी। इसके तहत महिलाओं का वजन, बीपी, एचआईवी, ब्लड शुगर के साथ कोविड टीकाकरण भी किया गया है। वहीं सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि जिले में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान अंतर्गत 600 से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की मुफ्त प्रसव पूर्व जांच की गई। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. अनवर आलम ने बताया कि प्रसव अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर तुरंत जांच करानी चाहिए। दरअसल, समय पर जांच कराने से किसी भी प्रकार की परेशानी का शुरुआती दौर में ही पता चल जाता और पता लगने पर ही उसे आसानी से दूर किया जा सकता है। इससे प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी प्रकार की अनावश्यक शारीरिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व 04 जांच कराना जरूरी है। महिलाओं की स्वास्थ्य जांच के लिए की गई यह व्यवस्था शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने की बेहतर व्यवस्था है। सरकार की यह व्यवस्था मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में अच्छी पहल है। इससे ना सिर्फ सुरक्षित प्रसव होगा, बल्कि शिशु-मृत्यु दर पर विराम लगेगा। इसके साथ ही जच्चा-बच्चा दोनों को अनावश्यक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। सभी गर्भवती महिलाओं को आयरन एवं कैल्सियम की गोली का उचित मात्रा में सेवन करना जरूरी है। तभी गर्भावस्था के दौरान महिलाओं व उनके गर्भस्थ  बच्चे का उचित शारीरिक व मानसिक विकास होता है। सदर अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. सपना कुमारी ने बताया उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था वह अवस्था है, जिसमें महिला या उसके भ्रूण के स्वास्थ्य या जीवन को खतरा होता है। गर्भावस्था में जहां जटिलताओं की संभावना अधिक होती उस गर्भावस्था को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी या उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था में रखा जाता है। इस तरह की गर्भावस्था को प्रशिक्षित चिकित्सक की विशिष्ट देखभाल की आवश्यकता होती है।  खानपान के रूटीन का पालन करना जरूरी है। डाइट में विटामिन को जरूर शामिल करें । जिससे कि डाइट लेने में किसी प्रकार की समस्या ना हो। ऐसे में तेल, घी और मसालेदार खाने से परहेज करें। बहादुरगंज प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. रिजवाना तबस्सुम ने बताया, प्रसव का समय नजदीक आए तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे कि सबसे पहले एम्बुलेंस या फिर किसी गाड़ी वाले का नंबर को पास में रखें। अगर दर्द शुरू हो तो तुरंत गाड़ी वाले को फोनकर बुलाएं। इसके अलावा दो-तीन ऐसे लोगों को तैयार रखें, जो कि जरूरत पड़ने पर रक्तदान कर सकें। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को प्रोटिनयुक्त आहार का जरूर सेवन करना चाहिए। दूध, अंडा, मछली, मांस के साथ हरी सब्जियों का भरपूर सेवन करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को एक साथ दो जान की परवाह करनी पड़ती है। पौष्टिक और प्रोटिनयुक्त आहार लेने से दोनों का ध्यान रखा जाता है। जो गर्भवती महिलाएं मांसाहार का सेवन नहीं करती हैं, उन्हें दूध, हरी सब्जियों और फल के सेवन पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

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