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किशनगंज : जन्मजात बीमारियों से बच्चों के बचाव के लिये जागरूकता जरूरी

लापरवाही है बच्चों में जन्मदोष संबंधी मामलों की मुख्य वजह, कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखकर जन्मदोष से बच्चों का बचाव संभव

किशनगंज, 13 फरवरी (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, नवजात शिशुओं की मौत सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिये हमेशा से एक चुनौती रहा है। इसके लिये कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। लेकिन समय पूर्व प्रसव, किसी तरह का संक्रमण, असुरक्षित प्रसव, उचित पोषण का अभाव, कम उम्र में शादी, एएनसी जांच की अनदेखी सहित अन्य कई वजहों से नवजात जन्मजात विकार के साथ पैदा होते हैं। आंकड़ों की मानें तो जिले में हर दिन पैदा होने वाले तकरीबन 10 फीसदी बच्चे किसी न किसी रोग से पीड़ित होते हैं। उचित समय पर सही उपचार नहीं मिल पाने के कारण इसमें से कई बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। जन्मदोष संबंधी मामलों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से जनवरी को नेशनल बर्थ डिफेक्ट अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2024 में नेशनल बर्थ डिफेक्ट अवेयरनेस मंथ का आयोजन एवरी जर्नी मैटर्स की थीम पर मनाया गया। एसीएमओ डॉ सुरेश प्रसाद बताते हैं कि जन्मदोष एक स्वास्थ्य समस्या व असामान्य शारीरिक परिवर्तन है। जो बच्चों के जन्म के समय मौजूद होता है। ये बेहद सामान्य भी हो सकता है हैं और अधिक गंभीर भी। लेकिन जन्मदोष संबंधी अधिकांश मामलों से बचाव संभव है। प्रभारी सिविल सर्जन डा. देवेंद्र कुमार ने बताया कि जन्म दोष बच्चों के शारीरिक बनावट व अंगों की क्रियाशीलता में होने वाले किसी तरह के बदलाव को कहते हैं। जन्मदोष से ग्रसित बच्चों के हार्ट, ब्रेन, स्पाइन, स्किन सामान्य बच्चों से अलग हो सकते हैं। जन्मदोष शरीर की बनावट, शारीरिक अंगों की क्रियाशीलता और कुछ एक मामलों में दोनों को प्रभावित कर सकता है। आज के समय में जन्मदोष संबंधी मामले बेहद आम हो चुके हैं। लिहाजा बच्चों को किसी तरह का जन्मदोष से बचाने के लिये अभिभावक व खास कर गर्भवती महिलाओं का संबंधित मामलों के प्रति अधिक जागरूक होने की जरूरत है। डा. देवेंद्र कुमार ने बताया कि बच्चों को किसी तरह के जन्मदोष से बचाने के लिये अभिभावकों का जागरूक होना जरूरी है। इसके लिये गर्भधारण से लेकर प्रसव होने तक महिलाओं को अपनी सेहत का विशेष देखभाल करने की जरूरत होती है। स्वस्थ व सेहतमंद बच्चे के लिये गर्भवती महिला व उनके परिवार के लोगों को कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। इसमें थोड़ी सी लापरवाही बच्चों में जन्मजात दोष की वजह बन सकता है। उन्होंने कहा कि आज जितनी तेजी से नई तकनीकें विकसित हो रही है। उतनी ही तेजी से हमारा वातावरण प्रदूषित हो रहा है। महिलाओं का लाइफ स्टाइल भी काफी बदल चुका है। जो बच्चों में जन्मजात दोष की वजह बन रहा है। नवजात को किसी तरह का जन्मदोष से बचाने के लिये जरूरी है कि गर्भधारण से करीब एक माह पूर्व से ही पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड का सेवन शुरू कर देना चाहिये। जानकारी देते हुए प्रभारी सिविल सर्जन डा. देवेंद्र कुमार ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान भी इसका नियमित सेवन जरूरी होता है। ये हरी सब्जी, बीन्स, मटर व नट्स में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं। साथ ही इसके लिये चिकित्सकों की सलाह पर मल्टीविटामिन सप्लीमेंट के माध्यम से ही इसे मेंटेन किया जा सकता है। गर्भधारण से पहले महिलाओं का स्वास्थ्य जांच जरूरी है। ताकि अगर किसी स्वास्थ्य समस्या को लेकर पूर्व से दवा का सेवन किया जा रहा है। तो इस संबंध में चिकित्सकों से जरूरी सलाह ली जा सके। इसके अलावा किसी तरह के नशापान से परहेज, बल्ड शुगर को अंडरकंट्रोल रखना, अपने वजन को नियंत्रित रखना व गर्भधारण से पूर्व सभी जरूरी टीका का निर्धारित डोज पूरा करना भी नवजात को किसी तरह के जन्मदोष से बचाने के लिहाज से बेहद जरूरी है।

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