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किशनगंज : परिवार विकास अभियान के सफलता हेतु डीएम की अध्यक्षता में बैठक का किया गया आयोजन।

लोग अस्थायी तकनीकों का भी उठाएं लाभ।

  • परिवार नियोजन को लेकर जिले में चलाया जा रहा संचार अभियान।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में जनसंख्या पर नियंत्रण हेतु मिशन परिवार विकास अभियान के तहत 05 मार्च से 25 मार्च तक परिवार विकास अभियान का आयोजन किया जाएगा। गौरतलब है कि जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में परिवार विकास अभियान की सफलता के लिए डीएम श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में जिला सभागार में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि कोरोना महामारी के इस दौर में प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका विपरित प्रभाव पड़ा है। इसकी वजह से मातृ-शिशु मृत्यु दर के प्रभावित होने की चुनौतियों को देखते हुए जिला स्वास्थ्य समिति आम जनों को बेहतर मातृत्व-शिशु स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के प्रति प्रतिबद्ध है। इसके लिए परिवार नियोजन की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हुए नियोजन संबंधी विभिन्न उपायों के प्रति लोगों को जागरूक करने व योग्य दंपतियों को तत्काल परिवार नियोजन की सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। बैठक में जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि जिले में सभी आशा कार्यकर्ताओं का उन्मुखीकरण किया जा रहा है जिससे परिवार नियोजन के साधनों एवं इसके लाभ के संदेश को वह सटीक तरीके से समुदाय से साझा कर सकें। डीपीएम डॉ मुनाजीम ने बताया कि परिवार नियोजन साधनों को अपनाने के बारे में समुदाय में फैली भ्रांतियों को दूर करने की जरुरत है और इसमें फ्रंट लाइन वर्कर्स की भूमिका अहम् है। उन्होंने बताया गया कि नवीन गर्भनिरोधक छाया की महिलाएं सहजता से स्वीकार कर इसके उपयोग कर रहीं हैं। इसे दर्शाने के लिए आंकड़ों के साथ एक विडियो भी बैठक में शामिल लोगों को दिखाया गया। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि परिवार नियोजन संबंधी उपायों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य इस विशेष दिन जिला से लेकर सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में स्थित विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में परिवार नियोजन सेवा से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। उन्होंने हाल ही में जारी किए गए रिसर्च रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि परिवार नियोजन सेवाओं को सुलभ बनाकर अनचाहे गर्भ के मामले में 70 फीसदी, मातृत्व मृत्यु दर में 67 फीसदी नवजात मृत्यु दर में 77 फीसदी व प्रसव संबंधी जटिलता के मामलों में दो तिहाई तक कमी लाई जा सकती है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आम लोगों तक परिवार नियोजन संबंधी सेवाओं की आसान पहुंच से ही असुरक्षित गर्भपात के मामलों में कमी आयेगी। इसके साथ ही मातृत्व व शिशु मृत्यु दर में गिरावट, एचआईवी संक्रमण से बचाव, महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक विकास को भी तेज करने में मदद मिलेगी। सिविल सर्जन ने बताया पुरुष नसबंदी भी एक स्थायी साधन है जिसे मात्र 10 मिनट में दक्ष चिकित्सक द्वारा बिना चीड-फाड़ के किया जाता है। जिसमें एक घंटा बाद लाभार्थी की छुट्टी भी हो जाती है। यह विधि कभी भी अपनायी जा सकती है इससे किसी भी प्रकार की कमजोरी नहीं होती है। सिविल सर्जन ने बताया परिवार नियोजन की तस्वीर बदलने में महिलाएं आगे हैं। जिला में 15 से 49 वर्ष की विवाहित महिलाओं में परिवार नियोजन के आधुनिक साधनों का इस्तेमाल पूर्व की तुलना में बढ़ा है। वर्ष 2019-20 की राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे रिपोर्ट-5 के मुताबिक वर्तमान में 59.7 प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। जबकि एनएफएचएस-4 में यह महज 34 प्रतिशत था। वहीं 44 प्रतिशत महिलाओं ने बंध्याकरण चुना जो पूर्व में 32 प्रतिशत था। पुरुषों में कंडोम का इस्तेमाल बढ़ा है। नई रिपोर्ट में सौ में से लगभग सात लोग गर्भनिरोध के लिए कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। जबकि पूर्व में यह 1 प्रतिशत ही था।सिविल सर्जन ने बताया कॉपर-टी एक अस्थायी विधि है। जिससे बच्चों के जन्म में अंतर रखा जा सकता है। कॉपर-टी विधि 10 वर्षों एवं 5 वर्षों के लिए अपनायी जा सकती है। कॉपर-टी निकलवाने के बाद प्रजनन क्षमता तुरंत वापस आ जाती है। कॉपर-टी के अलावा गर्भनिरोधक गोली का चुनाव भी महिलाएं कर सकती हैं। इसके अलावा अंतरा एवं छाया दोनों परिवार नियोजन की नवीन अस्थायी विधियाँ हैं। अंतरा एक सुई है जो तीन माह तक प्रभावी रहती है। लंबे समय तक सुरक्षा के लिए हर तीन महीने में सुई लगवानी होती है। जबकि छाया एक गोली है जिसे सप्ताह में एक बार तीन महीने तक, फिर सप्ताह में केवल एक बार जब तक बच्चा न चाहें।

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