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किशनगंज : नेपाल से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में लगातार हो रही है खाद्य की तस्करी।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, सीमावर्ती क्षेत्र से सटे क्षेत्र बंगाल के इलाके से धान फसल के उपयोग में आनेवाले खाद्य की लगातार तस्करी की जा रही है। खाद्य तस्करी कर नेपाल से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में डंप करने के बाद नेपाल में खपाया जाता है। इसके लिए बंगाल से अधिकांश मात्रा में खाद्य की तस्करी की जा रही है जिसका सुगम मार्ग किशनगंज बना हुआ है। जिला प्रशासन द्वारा गठित टास्क एवं पुलिस द्वारा अब तक खाद्य तस्करी के 13 मामले पकड़े गए हैं। सभी में बंगाल निर्मित व खाद्य की खेप पकड़ी गई है। जिले के भौगोलिक स्थिति के कारण खाद्य बार्डर से सटे इलाके से नेपाल में भेजे जाते हैं। तस्कर खाद्य की खेप नेपाल से सटे दिघलबैंक, टेढ़ागाछ और ठाकुरगंज इलाका में करते हैं। इसके बाद इसे कोरियर ब्वाय के माध्यम से नेपाल तक पहुंचाते हैं। पश्चिम बंगाल से खाद्य की तस्करी कर नेपाल तक भेजने के लिए किशनगंज का रास्ता तस्करों के लिए मुफिद मार्ग बना हुआ है। नेपाल से बिना बाड़ के बार्डर व खेतों से सटे इलाके से तस्करी का सबसे महफूज स्थान है। जिलास्तरीय टास्क फोर्स की छापेमारी में अब तक भारी मात्रा में बंगाल निर्मित खाद्य की खेप पकड़ी जा चुकी है। बंगाल में खाद्य बिक्री के नियमों की नरमी एक मुख्य वजह बताया जाता है। धीरे-धीरे खाद्य की खेप बार्डर इलाका तक पहुंचता है और फिर स्थानीय लोगों की सहयोग से इसे नेपाल पहुंचाकर तस्कर ऊंची कीमत पर बेचकर मुनाफा कमाते हैं। बार्डर पर एसएसबी की सख्ती के बावजूद स्थानीय लोगों की मिलीभगत से ऐसे कार्य अंजाम दिए जा रहे हैं। जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के आदेश पर जिलास्तर पर सात टीमों का गठन किया गया है। वहीं अबतक टीम के सदस्यों द्वारा 270 छापेमारी की गई है। प्रखंडवार टीम लगातार सक्रिय रहती है। अब तक 13 मामलों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। वहीं छापेमारी के दौरान अबतक लगभग 350 बोरी खाद्य जब्त की गई है। नेपाल के बार्डर से सीमा साझा करने वाले प्रखंड दिघलबैंक में सात प्राथमिकी दर्ज की गई है। तस्कर बार्डर के गांवों तक खाद्य की खेप पहुंचा इसका स्टाक करवाते हैं। इसके बाद बार्डर पार सक्रिय अपने लोगों की मिलीभगत से साइकिल, बाइक का इस्तेमाल कर इसे पार करवाते हैं। खाद्य की तस्करी खेतों के रास्ते की जाती है। सुरक्षाबलों का भी ऐसे इलाके में हमेशा सक्रिय रहना टेढ़ी खीर साबित होती है। गौरतलब हो कि जिले के रास्ते तस्करी कर भेजी गई खाद्य (यूरिया) का नेपाल में उच्च कीमत प्राप्त होता है। जहां यूरिया की कीमत किसानों को 266.50 बोरी मिलती है। वहीं नेपाल में इसकी कीमत बढ़ कर एक हजार से 15 सौ रुपये तक हो जाता है। वहीं सरकार द्वारा भारत में मिलने वाले किसानों को सब्सिडी के कारण भी तस्कर इसे किसानों के नाम पर दिखा तस्करी करते हैं। वहीं किसानों के लिए खाद्य की किल्लत बनी रहती है। कृष्ण नंदन चक्रवर्ती, जिला कृषि पदाधिकारी किशनगंज ने बताया कि टास्क फोर्स द्वारा तस्करी की लगभग तीन सौ बोरी से अधिक खाद्य जब्त की गई है। सभी खाद्य बंगाल से बिहार के रास्ते आ रही थी। जिले के किसानों को खाद्य की दिक्कत ना हो इसके लिए टास्क फोर्स लगातार सक्रिय है।

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