*केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में लूट मची है।*
*रोजगार की गारंटी हो न हो लेकिन भ्रष्टाचार की पूरी गारंटी है।*
अजब योजना की गजब कहानी
गौनाहा प्रखंड के धनौजी पंचायत में मनरेगा योजना में मस्टरोल में बन रही मजदूरों की फर्जी हाजरी।
मनरेगा योजना मे लूट की खुली छुट
इस खेल में मनरेगा कार्यालय से लेकर रोजगार सेवक एवं मुखिया तथा पंचायत समिति सदस्य की अहम भूमिका।
डी एन शुक्ला/पश्चिमी चम्पारण।आर्थिक विशेषज्ञों का मानें तो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी योजना (मनरेगा) दुनिया के स्तर पर सबसे बड़ा रोजगार गारन्टी कानून है। जिसमें श्रमिकों को साल में 100 दिन काम देने की गारन्टी की गई है।उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में जब पूरी दुनिया में आर्थिक सुनामी से अन्य देशों की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही थी, तब भारत पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा था। क्योंकि ग्रामीणों के पास मनरेगा जैसी योजना के कारण क्रय शक्ति प्रभावित नहीं हुई। ठीक यही परिदृश्य 2020-21 के लॉकडाउन के दौरान भी देखी गई। जब देश में लॉकडाउन से सारी आर्थिक गतिविधियां बन्द थीं, तब ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों के लिए रोजगार का एकमात्र साधन मनरेगा ही था। लेकिन आज के दौर मे।
“महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना” यानी “मनरेगा”। सरकार की ये योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। यू कहे इस योजना मे *रोजगार की गारंटी हो न हो लेकिन भ्रष्टाचार की पूरी गारंटी* है।दरअसल मनरेगा में चौंकाने वाला मामला उजागर हुआ। मजदूरों को रोजगार की गारंटी देने वाली केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा को मुखिया, पंचायत समिति सदस्य,मनरेगा पीओ, पंचायत रोजगार सेवक एवं पदाधिकारीओ के लिए *कामधेनु गाय* साबित हो रही हैं। इस योजना में भ्रष्टाचार रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है *यूँ कहे भ्रष्टाचार चरम पर है।* साथ ही रोज़गार गारंटी योजना के नियमों की जमकर “धज्जियां” उड़ाई जा रही हैं।मामला पश्चिमी चंपारण जिले के गौनाहा प्रखंड के ग्राम पंचायत धनौजी का है।हम आपको बता दे की गौनाहा प्रखंड के धनौजी पंचायत मे सिसई से रतनी जानेवाली कच्ची सड़क मे प्रसिद्ध नाथ के खेत के पास पुलिया निर्माण कार्य प्रगति पर है जिसका मस्टर रोल नंबर 8641एवं 8642 है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि इस योजना मे दिखाए गए “फोटो मे 5 से 10 मजदूरों को दिखाया गया है वो भी एक ही फोटो को हर मस्टर रोल मे जबकि हकीकत कुछ और है”।सरकारी रूपये को हजम करने के नियत से इस योजना मे गलत हाजिरी बनाई जा रही है लेकिन जब कार्यस्थल पर मुआयना किया गया तो वहां कोई भी मजदूर उपस्थित नही पाये गये । वही लोगो का कहना है की यह पांच माह पहले ही बना हुआ है।अब सवाल यह उढ़ता है की जब पुल का निर्माण पांच माह पहले ही बन कर तैयार हो गया है, तो क्या मजदूरों की हाजरी बनाना लाजमी है। वही जब इस योजना के बारे मे पंचायत रोजगार सेवक के दूरभाष पर कॉल किया गया तो उन्होंने कॉल को रिसीव नही किया गया।वही कुछ ग्रामीणों का कहना है की कभी कभी * पांच से दस * लोग आते हैं और फोटो खिंचवा कर चले जाते हैं। और तो और डाली गईं इस फोटो मे दस से बारह आदमी का फोटो वह भी मर्द का जो की हर मस्टर रोल नंबर मे दिखाई देगा जबकि हाजरी मे मर्द और औरत का बन रहा है।जबकि इस दोनों योजना मे वही एनएमएमएस पर हर रोज एक ही मजदूरों वाली फोटो लगाकर *हर रोज 20 मजदूरों* की हाजरी बनाई जा रही है। जबकि फोटो मे 10 से 12 मजदूरों की फोटो दिखाई दे रहा है।आश्चर्य करने वाली बात तो यह है की 01/11/2024 से 15/11/2024 तक धनौजी पंचायत मे दिखाए गए मजदूरों की *संख्या 300* दिखाई गई है। इससे स्पष्ट रूप से योजना की विश्वनिता को कटघरे में खड़ा कर रहा है। पंचायत में भी रोजगार देने के नाम पर लूट हो रही है।इससे ज्यादा क्या कहूं। इस योजना को कामधेनु बनाने में सार्थक साबित होता दिख रहा है। अब सवाल यह उठता है कि,सरकार योजना बनाती है,उसे लागू कर राशि आवंटित भी करती है।इन योजनाओं को क्रियान्वयन के लिए विभाग के साथ ही अधिकारी एवं कर्मचारि के साथ एक बड़ी फौज निगरानी के लिए नियुक्त की है। इसके बावजूद अधिकारी इस योजना पर निगरानी करने के वजाय इस योजना का कमाई का एक स्रोत मान बैठे हैं।