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किशनगंज : मिशन इंद्रधनुष 5.0 :  जिले में सात अगस्त से शुरू होगा नियमित टीकाकरण अभियान

दो वर्ष तक के बच्चे और गर्भवती महिलाओं का होगा टीकाकरण, साप्ताहिक समीक्षा बैठक के माध्यम से सभी एएनएम् को दी गयी जानकारी

किशनगंज, 04 जुलाई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 25 दिसंबर 2014 को मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत की थी। मिशन इंद्रधनुष एक बूस्टर टीकाकरण कार्यक्रम है जो टीकाकरण का कवरेज अधिक करने के लिए चिह्नित जिलों में चलाया जाता है। जिले में सघन मिशन इंद्रधनुष (एमआई) 5.0 कार्यक्रम के तहत आगामी 7 अगस्त से नियमित टीकाकरण अभियान की शुरुआत की जायेगी। नियमित टीकाकरण को गति देने के उद्देश्य से संचालित इस अभियान की सफलता को लेकर विभागीय स्तर से जरूरी तैयारियां की जा रही हैं। विदित हो कि मंगलवार को सिविल सर्जन कार्यालय सभागार में सिविल सर्जन की अध्यक्षता में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर जिले के सभी प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों को कार्यक्रम की जानकारी दे दी गयी है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा० देवेन्द्र कुमार ने बताया कि मिशन इन्द्रधनुष कार्यक्रम की सफलता को ले केंद्र सरकार के स्तर से जरूरी दिशा-निर्देश दिये गये हैं। इस विशेष अभियान से बच्चों में होने वाली बीमारियों के वायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ाने का काम किया जायेगा।उन्होंने कहा कि इस अभियान में एक भी बच्चा टीकाकरण से वंचित नहीं हो, इसका ध्यान रखा जा रहा। सुदूर ग्रामीण इलाकों पर खास नजर रखने का निर्देश दिया गया है। मिशन इंद्रधनुष विशेष टारगेट पर काम करता है। यह ऐसे क्षेत्रों में कारगर होगा, जहां नियमित टीकाकरण नहीं होता है। इसमें उन गांव और टोलों को प्राथमिकता दी जा रही, जहां नियमित टीकाकरण नहीं हुआ है। जिले में मिशन इंद्रधनुष  अभियान के तहत विशेष रूप से मिजिल्स 01, मिजिल्स 02, खसरा रुबेला के छूटे हुए बच्चों एवं पीसीबी का बूस्टर एफ़आईपीबी का तीसरा डोज, गर्भवती महिला का प्राथमिक रूप से टीकाकरण करना है। इसी क्रम में जिले के सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक  केन्द्रों में आयोजित समीक्षा बैठक में सभी एएनएम को कार्यक्रम के बारे में विशेष जानकारी दी गयी। सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर ने बताया कि भारत में मिशन के तहत ‘टीकाकरण कार्यक्रम’ की शुरुआत वर्ष 1985 में चरणबद्ध तरीके से की गई थी। जो कि विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक था। इसका उद्देश्य देश के सभी जिलों को 90% तक पूर्ण प्रतिरक्षण प्रदान करना था। लेकिन इस मंशा में बाधा आई है, जिससे वैक्सीनेशन का प्रतिशत कम हुआ है। नतीजा केवल 65 से 70% बच्चों को उनके जीवन के प्रथम वर्ष में होने वाले रोगों से पूरी तरह से सुरक्षित करा पाया गया। इस कारण से ही 25 दिसंबर 2014 को ‘मिशन इन्द्रधनुष’ की शुरुआत हुई। इसका असर भी व्यापक तौर पर देखने को मिला। डा० देवेन्द्र कुमार ने बताया कि गर्भवती महिलाएं व दो वर्ष तक के बच्चों को विभिन्न प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिये नियमित टीकाकरण बेहद जरूरी है। मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम के तहत जिला के सभी 7 प्रखंडों के चयनित स्थलों पर गर्भवती महिलाएं व बच्चों के टीकाकरण का इंतजाम सुनिश्चित करायी जायेगी। यहां दो वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को बीसीजी, ओपीवी, पेंटावेलेंट, रोटा वैक्सीन, आईपीवी मिजिल्स, विटामिन-ए, डीपीटी बूस्टर डोज व बूस्टर ओपीवी के टीके लगाये जायेंगे। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को अभियान के क्रम में टेटनेस- डिप्थेरिया के टीके लगाए जायेंगे। उन्होंने बताया कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत टीकाकरण से वंचित दो वर्ष तक के सभी बच्चों व सभी गर्भवती महिलाओं तक टीकाकरण की पहुंच सुनिश्चित कराना मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। बच्चों में होने वाली प्रमुख बीमारियों तपेदिक, पोलियोमाइलाइटिस, हेपेटाइटिस बी, डिप्थेरिया, पर्टुसिस, टेटनस और खसरा, खसरा रुबेला, रोटावायरस, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप-बी और पोलियो के खिलाफ टीकों को शामिल किया गया है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकरी डा० देवेन्द्र कुमार  ने बताया कि मिशन इन्द्रधनुष कार्यक्रम नियमित टीकाकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि मिशन इन्द्रधनुष 5.0 के तहत जिला भर में पहले चक्र का अभियान 07 से 12 अगस्त, इसके बाद 11 से 16 सितम्बर एवं 09 से 14 अक्टूबर तक तीसरे व अंतिम चक्र के टीकाकरण अभियान का संचालन किया जायेगा। इस अभियान के तहत 02 वर्ष उम्र तक के बच्चे व गर्भवती महिलाओं के शत-प्रतिशत टीकाकरण का प्रयास किया जायेगा।

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