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पूर्णिया मानव श्रृंखला में हर बेटी की यही पुकार बाल विवाह व दहेज मुक्त हो अपना बिहार…

दहेज प्रथा व बाल विवाह प्रथा के खिलाफ रविवार को आयोजित राज्यव्यापी मानव श्रृंखला में हाथ से हाथ मिलाकर इस सामाजिक कुरीति को खत्म करने का संकल्प लिया।इस बार शहर में मानव श्रृंखला का प्रमुख केंद्र गिरिजा चौक था।जहां प्रमंडल व जिला प्रशासन के साथ-साथ जनप्रतिनिधि शामिल थे।शहरी क्षेत्र में 55 और जिले में 390 किमी और 17 लाख लोगों के ह्यूमन चेन में शामिल होने का दावा किया गया था।लेकिन,इस बार मानव श्रृंखला में आम लोगों की सहभागिता कम दिखी।शहरी क्षेत्र में मुख्य चौराहों पर तो अच्छी भीड़ दिखी,वहीं 500 मीटर आगे बढ़ते ही सन्नाटा दिखने लगता था।फिर,कुछ आगे बढ़ने पर लोग मानव श्रृंखला की कड़ी में जुड़ते नजर आते थे।गिरिजा चौक से कुछ दूर आगे थाना चौक पहुंचते-पहुंचते भीड़ खत्म होती दिखी।मानव श्रृंखला के मुख्य केंद्र बिंदु गिरिजा चौक के पास से महज 500 मीटर से भी कम दूरी पर आस्था मंदिर के पास ही लोग नदारद दिखे।आगे जाने पर आरएन साह चौक के पास लोग दिखे।लेकिन,फिर आगे बस स्टैंड के बाद से लोग गिनती के दिखने लगे।इधर,गिरिजा चौक से फोर्ड कम्पनी चौक तक लोग दिखे फिर वही स्थिति।पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास स्काउट/गाइड व स्कूली बच्चे मिले।यहां दूरस्थ मेडिकल कैम्प में डा.मनमोहन चौधरी अपनी टीम के साथ तैनात दिखे। आगे कुछ दूर खाली मिला।लाइन बाजार चौक के आसपास भी कम लोग दिखे।पंचमुखी हनुमान मंदिर से कसबा जाने वाले रोड में लोग दिखे।वहीं,शहर के अन्य रूटों पर छीट फुट लोग मिले।

इन कारणों से कम शामिल हुए लोग… 

  • राजद कार्यकर्ता शृंखला में नहीं हुए शामिल। 
    शीतलहर व ठंड भी नहीं हुई कम,सुबह 11 बजे तक छाया रहा कुहासा। 
    सरस्वती पूजा आज है इसलिए छात्र इसकी तैयारी में रहे व्यस्त। 
    मानव शृंखला के लिए शामिल होने की अनिवार्यता नहीं थी। 
    आंगनबाड़ी कर्मी और मुखिया संघ भी नहीं हुआ शामिल।
  • नियोजित शिक्षक शृंखला में नहीं हुए शामिल 

गुरुजी की महिमा नहीं समझ पाए नितीश जी…

राज्य संघ के आह्वान पर नियोजित शिक्षकों ने मानव श्रृंखला से खुद को अलग रखा।जिसके कारण बिहार सरकार द्वारा आयोजित मानव श्रृंखला पूर्ण-रूपेण विफल रहा।उक्त बातें बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष पवन कुमार जायसवाल ने विज्ञप्ति जारी कर बताया।जायसवाल ने कहा कि बिहार सरकार के तानाशाही रवैया और नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन के विरोध में उच्चतम न्यायालय में दायर एसएलपी कर दिया।वहीं बिहार के नियोजित शिक्षकों के विगत सात महीने से वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है।जिसके विरोध में बिहार के 4 लाख नियोजित शिक्षकों ने मानव श्रृंखला से अलग रहते हुए यह साबित कर दिया कि बिहार में बिना नियोजित शिक्षकों के सहयोग के कोई भी कार्यक्रम सफल नहीं किया जा सकता है।

मानव श्रृंखला को लेकर भले ही विपक्षी दलों ने उदासीनता दिखाई हो लेकिन आधी आबादी में इस शृंखला को लेकर खासा उत्साह देखा गया।खासकर स्कूली बच्चे व ग्रामीण क्षेत्रों से आई महिलाएं तो हाथ से हाथ जोड़े मानव श्रृंखला को सफल बनाने का गवाह बन रहे थे।हालांकि अबकी बार पिछले वर्ष की तुलना में कम भीड़ देखी गई लेकिन इसके बाद भी लोगों में मानव श्रृंखला को लेकर उत्साह देखा गया।10:30 बजे से ही सड़कों पर चहल-पहल शुरू हो गई।स्कूली बच्चे,महिलाएं व सरकारी महकमा शहर की विभिन्न सड़कों पर नजर आने लगे और ठीक 11:30 बजे एक दूसरे का हाथ पकड़कर बाल विवाह और दहेज के खिलाफ रविवार को राज्यव्यापी मानव श्रृंखला बनी।यह मानव श्रृंखला,नेशनल हाइवे,स्टेट हाइवे, जिला,प्रखंड,पंचायत,गांवों की विभिन्न सड़कों और पगडंडियों से होकर गुजरी और 12:30 बजे तक कतार में एक दूसरे का हाथ थामकर बिहार सरकार के इस सामाजिक अभियान को अपना समर्थन दिया।लोगों में बाल विवाह व दहेज के खिलाफ जागरूकता आरही है।उनके संकल्‍प का प्रकटीकरण सार्वजनिक तौरपर भी होने लगा है।इसलिए इस साल सूबे के सरकार के आह्वान पर 21 जनवरी को बाल विवाह व दहेज के खिलाफ मानव श्रृंखला बनाई गई।

पुरे पूर्णिया जिले में एक तरफ जहां जिला प्रशासन दिन रात एक कर मानव श्रृंखला को सफल बनाने में लगी थी वही शिक्षक और मुखिया इस श्रृंखला के एक एक धागे को तोड़ने में लगे थे जिसका नतीजा रविवार को उस वक्त देखने को मिला जब लाइन लगाने में अधिकारी के पसीने इस ठंढ में भी बह रहे थे तो इस अभियान को कमजोर करने में भी कई समूह अपनी भूमिका निभा रहे थे लिहाजा 390 किलोमीटर की श्रृंखला महज एक सौ किलो मीटर में भी नही दिख रही थी।33 किलोमीटर की मानव श्रृंखला में आमतौर पर लोगों में उत्साह कम देखा गया।इस प्रखंड क्षेत्र में सजी मानव श्रृंखला में नियोजित शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ साथ आगनबाड़ी सेविका की उपस्थिति नगण्य रही,वही दूसरी ओर जदयू और भाजपा सहित नियमित सरकारी कर्मचरियों ने बढ चढकर हिस्सा लिया।जबकि माध्यमिक,उच्च माध्यमिक,प्रोजेक्ट विद्यालय के छात्र -छात्राओं सहित शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भी ससमय उपस्थित होकर मानव श्रृंखला के हिस्सा का बखूबी अंग बनने का गौरव प्राप्त किया।वैसे तो इस मानव श्रृंखला में यह देखने को जरूर मिला,कि पिछले वर्षों की तुलना चयनित जनप्रतिनिधियो में भी जोश खरोश न के बराबर दिखा और न ही सबो की भागीदारी भी दिखी।डरूआ प्रखंड क्षेत्र में कुल 12 किलोमीटर की दूरी में मानव श्रृंखला बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया था।लेकिन अबकी बार मगहज 8 किमी की श्रृंखला बनी।सिर्फ चौक-चौराहे पर ही लोगों की भीड़ देखी गई बाकी जगहों पर श्रृंखला टूटी ही नजर आई।श्रृंखला में अहम किरदार जीविका दीदी, प्राइवेट स्कूल, मदरसा के बच्चों और वार्ड सदस्यों ने निभाया।साथ ही कई सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राएं भी शामिल हुए।

रविवार को राज्यव्यापी कार्यक्रम दहेजप्रथा एवं बालविवाह उन्मूलन हेतु मानव श्रृंखला बनाए जाने को लेकर जहां प्रशासनिक अधिकारी दिन रात एक कर लोगो को सड़क पर लाने को प्रयासरत रहे थे वहीं प्रशासनिक अधिकारियों का यह प्रयास आमलोगों पर बेअसर रहा।प्रशासनिक अधिकारी दिन के ग्यारह बजे से सड़कों पर अपने वाहनों से लगातार भ्रमण कर रहे थे वहीं मानव श्रृंखला की जो उम्मीद थी वह कहीं से भी नजर नहीं आई।सूनी सड़कों पर प्रशासनिक अधिकारी फर्राटे लगाते रहे परन्तु मानव विहीन रही पूरी श्रृंखला और वीरान रही सड़कें।मीरगंज बाज़ार एवं धमदाहा मुख्यालय बाजार को छोड़ कहीं भी सड़कों पर लोग नजर नहीं आए।बताते चले कि पिछले वर्ष शराबबंदी पर आहूत मानव श्रृंखला में जहां धमदाहा प्रखंड ने मानव श्रृंखला बनाने का रिकॉर्ड कायम किया था वहीं इस बार लोगों की बेरुखी ने मानव श्रृंखला को पूरी तरह विफल कर दिया।

वहीं प्रशासन में थानाध्यक्ष जयशंकर प्रसाद, पीओ ज्योति कुमार सिंह, विनायक त्रिपाठी अपने पूरे दलबल के साथ काफी सक्रिय दिखे।बताया जाता है कि श्रृंखला के एक दिन पूर्व एसडीओ मुखिया संघ के साथ एक बैठक प्रखंड में श्रृंखला को लेकर की थी।लेकिन उनकी सक्रियता नहीं दिखी।लोगों ने बताया कि इस मानव श्रृंखला में भीड़ की कमी प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुई।क्योंकि प्रशासनिक स्तर से पिछले वर्ष की भांति अबकी बार कोई व्यवस्था नहीं की गई। 

रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह 

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