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किशनगंज : जिले के मेडिकल ऑफिसर को नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू।

कंगारू मदर केयर तकनीक हाइपोथर्मिया सहित शिशुओं को अन्य कई जटिलताओं से निजात दिलाता है : डॉ मंजर आलम

  • जन्म के उपरांत नवजात में होने वाली जटिलताओं के निदान को लेकर दी गयी जरूरी जानकारी।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। मातृ मृत्यु व नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी क्रम में नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत जिले के सभी पीएचसी में कार्यरत मेडिकल ऑफिसर का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सोमवार को शुरू हुआ हुआ। सदर अस्पताल में संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कर्मियों को प्रसव के उपरांत नवजात में होने वाली जटिलताओं का बेहतर प्रबंधन व सामान्य बच्चों के बेहतर देखभाल संबंधी तकनीक को लेकर कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा। कार्यक्रम में मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका डॉ मंजर आलम ने निभाया।विदित हो की यह प्रशिक्षण दो बैच में जिले के चयनित एएनएम को पूर्व में दिया गया है। वही 06 एवं 07 फ़रवरी को मेडिकल ऑफिसर को दिया जा रहा है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य नवजात शिशु परिचर्या और पुनर्जीवन में स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता को प्रशिक्षित करना है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ जन्म के समय परिचर्या, हाइपोथर्मिया से बचाव, स्तनपान शीघ्र आरंभ करना तथा बुनियादी नवजात पुनर्जीवन के लिए किया गया है। नवजात शिशु परिचर्चा और पुनर्जीवन किसी भी नवजात शिशु कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण प्रारंभिक बिंदु है तथा जीवन में सर्वोत्तम शुरुआत सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। इस नई पहल का उद्देश्य है कि प्रत्येक प्रश्न के समय नवजात शिशु परिचर्चा और पुनर्जीवन के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता होना चाहिए। प्रशिक्षण 2 दिनों के लिए है तथा इससे नवजात मृत्यु दर में कमी आने की उम्मीद है।प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया की समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे, कमजोर व बीमार नवजात के लिये हाइपोथर्मिया यानि शरीर का तापमान सामान्य से कम होना, शरीर का ठंडा होना वजन कम होना सहित अन्य जटिलताओं से निजात दिलाने के लिये कंगारू मदर केयर तकनीक बेहद प्रभावी है। एसएनसीयू की इंचार्ज वर्षा रानी ने बताया कि तय समय से प्री मेच्योर बर्थ व शिशु का वजन सामान्य से कम होने पर बच्चे ज्यादा कोमल व कमजोर होते हैं। उन्हें कई तरह की बीमारियों का खतरा होता है। जिसे कंगारू मदर केयर तकनीक से ठीक किया जा सकता है। इसमें नवजात को बगैर किसी कपड़े मां के सीने पर कंगारू की तरह चिपका कर लिटाना होता है। रोजाना एक घंटे इस तकनीक के इस्तेमाल से बच्चों में होने वाली बहुत सी परेशानियों से निजात मिल सकती है। इस विधि में शिशु को मां के शरीर की गर्माहट मिलती है। इसमें शिशु के हाथ-पैर व पीठ को साफ कपड़ों से ढकना चाहिये। इससे उनके शरीर के तापमान को संतुलित किया जा सकता है। मेडिकल ऑफिसर को नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम की प्रशिक्षण देते हुए डॉ मंजर आलम ने बताया कि नवजात अगर मां का दूध नहीं पी रहा हो, शरीर का रंग नीला व पीला होना, बार-बार उलटी करना, अच्छी तरह से ढके होने के बाद भी बच्चे का हाथ व पांव का ठंडा होना नवजात के जटिल स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ निशानी है। उन्होंने कहा कि जन्म के शुरुआती एक घंटे के भीतर शिशुओं के लिये स्तनपान अमृत के समान है। जन्म के शुरुआती दो घंटे तक शिशु सर्वाधिक सक्रिय अवस्था में होते हैं। इस दौरान शिशु आसानी से स्तनपान की शुरुआत कर सकता है। इससे शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। सामान्य व सिजेरियन दोनों ही तरह के प्रसव संबंधी मामलों में यह जरूरी है। इससे बच्चे के निमोनिया, डायरिया सहित कई अन्य गंभीर रोगों से बचाया जा सकता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ मंजर आलम ने कहा कि नवजात के सर्वात्तम जीवन की शुरुआत प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। जो नवजात मृत्यु दर के मामले में कमी लाने के उद्देश्य से जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रसव व जन्म के उपरांत किसी मामूली कारणों से भी नवजात की मौत हो सकती है। इसलिये इस दौरान नवजात के विशेष देखभाल की जरूरत होती है। नवजात का किसी भी तरह के संक्रमण से बचाव, तापीय सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। जन्म के उपरांत नवजात को किसी गर्म स्वच्छ व सूखे स्थान पर रखा जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे, कमजोर नवजात, विभिन्न तरह की जटिलताओं के साथ जन्म लेने वाले बच्चों को स्पेशल केयर की जरूरत होती है।

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