खोरठा भाषा में बनी लखी माई डाक्यूमेंट्री को मिल रही अंतरराष्ट्रीय पहचान
संत जेवियर्स कालेज के पूर्ववर्ती छात्र नितेश की डाक्यूमेंट्री को पंचकुला, अमेरिका और चेन्नई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए किया गया चयनित, मिलेगी खोरठा भाषा को अंतरराष्ट्रीय पहचान
रांची : संत जेवियर्स कालेज रांची (St. Xavier’s college Ranchi) के पूर्ववर्ती छात्र नितेश कुमार की डाक्यूमेंट्री लखी माई को पंचकुला, अमेरिका और चेन्नई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए चयनित किया गया है। इस डाक्यूमेंट्री का मजेदार पक्ष यह है कि इसे खोरठा भाषा में फिल्माया गया है। बिल्कुल देसज अंदाज में तैयार डाक्यूमेंट्री को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। लखी माई में जहां उन्होंने किसानी और झारखंड की खेती परंपरा को दर्शाया है वहीं सपने डाक्यूमेंट्री में उन्होंने झारखंड के चुनावी मैदान में होने वाले शह और मात के साथ साथ वोटर्स के गलत निर्णय से हो रहे नुकसान को संजीदे तरीके से दिखाया है। जिसे काफी सराहना मिल रही है। बता दें कि लखी माई को तमिजाघम इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डाक्यूमेंट्री का अवार्ड भी मिल चुका है। वहीं चलचित्रम नेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्पेशल स्क्रीनिंग के लिए भी इस डाक्यूमेंट्री का चयन हुआ। चतरा फिल्म फेस्टिवल में स्पेशल स्क्रीनिंग के लिए इसे चुना गया। इसके बाद रुहिप इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल चेन्नई में लखी माई को बेस्ट डाक्यूमेंट्री अवार्ड मिल चुका है। जिससे नितेश कुमार के हौसले बुलंद हैं।
संत जेवियर्स कालेज से मास कम्यूनिकेशन और इंडियन थियेटर डिपार्टमेंट चंडीगढ़ से पीजी इन परफार्मिंग आर्ट्स करने के बाद फिल्म और डाक्यूमेंट्री बनाने की बारिकियां सीखी। जिसके बाद जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया। बताया कि उन्होंने पहली डाक्यूमेंट्री सपने बनाई थी। जिसे हजारीबाग जिले के बरही प्रखंड अंतर्गत अपने पुस्तैनी गांव पुरहरा में स्थानीय युवाओं की मदद से पूरा किया। सपने में किए गए चुनावी प्रयोग को सफलता और सराहना मिली तो हौसला बढ़ गया। इसके बाद चंडीगढ़ जाकर फिल्म निर्माण की बारिकियां सीखी। नितेश कहते हैं कि फिल्म प्रोडक्शन के क्षेत्र में उन्होंने अपना करियर बनाने का सपना संजोया है। जिसे पूरा करने की दिशा में वह क्रियाशील हैं।
हाल ही में हरियाणा के पंचकुला, चंडीगढ़ में आयोजित फिल्म फेस्टिवल में उनके द्वारा तैयार लखी माई…डाक्यूमेंट्री को सराहना मिली है। इसके अलावे कई और प्रोजेक्ट पर उनका काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, जरूरत सिर्फ इस बात की है कि उन्हें एक अच्छा प्लेटफार्म और प्रशिक्षण मिले तो सबकुछ धरातल पर दिखने लगेगा। सपने डाक्यूमेंट्री में ग्रामीण क्षेत्रों के राजनीतिक परिवेश को दर्शाया गया है। जिसमें जनता ईमानदारी और विकास के आधार पर वोट न देकर अपने व्यक्तिगत संबंध के आधार पर अपने उम्मीदवारों को वोट देती है।
नाना-नानी को बनाया मुख्य पात्र :
नितेश कुमार ने लखी माई डाक्यूमेंट्री का निर्देशन, कैमरा, एडिटिंग, वाइस ओवर एवं रिसर्च किया है। इस डाक्यूमेंट्री के मुख्य पात्र नितेश कुमार के ही नाना नानी दामोदर यादव एवं जामनी देवी हैं। जिन्होंने अपने पात्र को बखूबी निभाया और कम बजट में ही शूटिंग पूरी हो गई। इसकी शूटिंग पुरहरा गांव में ही की गई जबकि एडिटिंग मेवेरिक फिल्मर्स रांची, जेसी फिल्म चंडीगढ़, संतोष एचडी वीडियोग्राफी, ग्लोबल फोटोग्राफी बरही एवं पाहन स्टूडियो ओरमांझी में किया गया है। स्क्रिप्टिंग में प्रणय प्रबोध पाठक, रौशन शर्मा और मृणाल पाठक का सहयोग मिला। इस डाक्यूमेंट्री में किसानों की नौ माह की यात्रा को दर्शाया गया है। जिसमें धान की खेती की विधि, इससे जुड़ी परंपरा एवं संघर्ष को फिल्माया गया है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता होरिल यादव, नाना नानी, गुरू प्रकाश, बीजू टोप्पो, मेघनाथ, रूपेश साहू, तुषार, पुरुषोत्तम, रोहित पांडेय, हिमांशु, रौशन एवं पूरे गांववासियों को दिया है। जिनके प्रोत्साहन के कारण उन्होंने न सिर्फ फिल्म निर्माण के क्षेत्र को चुना बल्कि इस दिशा में अब वह पीछे मुड़कर देखने वालों में नहीं हैं।
स्वयं करते हैं लेखन, निर्देशन और एडिटिंग का कार्य :
नितेश कहते हैं कि सपने और लखी माई डाक्यूमेंट्री का लेखन, निर्देशन और एडिटिंग उन्होंने स्वयं किया है। उनके पिता समाजसेवी होरिल यादव की भी इच्छा थी कि उनका पुत्र समाजसेवा के साथ साथ अपने मनपसंद क्षेत्र में आगे बढ़े। डाक्यूमेंट्री की शूटिंग पुरहरा गांव में पूरी की गई जबकि इसके ड्रीम सिक्वेंस को चंडीगढ़ में फिल्माया गया है।