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किशनगंज : 100 वर्ष पुराना है दिलावरगंज काली मंदिर का इतिहास

मंदिर के ठीक बगल में 60 साल पुराना पीपल का पेड़ है। बगल में बजरंगबली का मंदिर है।मंदिर परिसर में ही एक कुआं भी है। पहले कुआं में जल रहता था। अब जल सूखने लगा है। यहां वर्ष 1980 में पक्के के मंदिर का निर्माण हुआ। फिलहाल मंदिर के रंग रोगन का कार्य चल रहा है

किशनगंज, 11 नवंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, दिलावरगंज स्थित काली मंदिर का इतिहास सौ वर्ष पुराना है। यहां मां काली की स्थायी प्रतिमा स्थापित है।शनिवार को मंदिर के पुजारी गजानंद शर्मा ने बताया कि यहां करीब 100 वर्ष से माता की पूजा की जाती है। उस समय स्व० सुरेन पाल ने उक्त जमीन को मंदिर के लिए छोड़ दिया था। इसके बाद यहां टाटी के मंदिर में माता की पूजा की जाने लगी। उस समय यहां आसपास जंगल ही जंगल था।फिलहाल इनके वंशज बंगाल के चोपड़ा में रहते हैं। काली पूजा के दिन इनका परिवार यहां पहुंचता है। शुरुआत में काली पूजा में माता की प्रतिमा स्थापित की जाती थी। धीरे धीरे समाज के लोग आगे आएं तो यहां माता की स्थायी प्रतिमा स्थापित की गई। मंदिर के ठीक बगल में 60 साल पुराना पीपल का पेड़ है। बगल में बजरंगबली का मंदिर है।मंदिर परिसर में ही एक कुआं भी है। पहले कुआं में जल रहता था। अब जल सूखने लगा है। यहां वर्ष 1980 में पक्के के मंदिर का निर्माण हुआ। फिलहाल मंदिर के रंग रोगन का कार्य चल रहा है। यहां सबसे खास बात यह है की काली पूजा के लिए केवल कुछ घरों से ही चंदा लिया जाता है। यहां कुम्हरा की बलि दी जाती है। मंदिर के पुरोहित गजानंद शर्मा ने बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से माता से मनोकामना मांगता है। माता उनकी मनोकामना पूर्ण करती है। रौंगटे खड़े करने वाले ऐसे कई प्रमाण भी मिले है। उन्होंने कहा कि मन्नत मांगने पर कुछ को यहां माता की कृपा से संतान की प्राप्ति भी हुई है। पुरोहित ने कहा कि वे स्वयं बीमार पड़ गए थे।डाक्टरों ने भी इलाज किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।तब माता के शरण मे पहुंचे और वे स्वस्थ्य हुए।

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