किशनगंज : बीमारी को महामारी का रूप लेने से रोकेगा आईएचआईपी : डॉ देवेन्द्र

आईएचआईपी के सफल क्रियान्वयन को लेकर एमओआईसी, बीएचएम को मिला प्रशिक्षण।
- आईएचआईपी से मरीजों का रिकॉर्ड रखेगा स्वास्थ्य विभाग।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफोरमेशन प्लेटफार्म (आईएचआईपी) को लेकर जिले के सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक एवं प्रखंड मूल्यांकन समन्वयक को एक दिवसीय प्रशिक्षण सोमवार को दिया गया। आईएचआईपी के जरिए शहर या गांव में फैल रही बीमारियों के बारे में अब स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश सरकार व केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को रोज डेटा भेजा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने जिले के किसी भी गांव व शहर में बीमारियों का पता तत्काल लगाने के लिए इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म पोर्टल के जरिया जानकारी ली जा रही है। इस प्लेटफार्म पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की एएनएम संबंधित इलाके में बढ़ने वाली बीमारियों का आंकड़ा सीधे पोर्टल पर अपलोड करेंगी। इसके जरिए प्रदेश व केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को उसके निवारण के लिए गंभीर कदम उठाने में सहूलियत होगी। इसमें एएनएम को इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म पोर्टल पर बीमारियों का रिकॉर्ड अपलोड करने की जानकारी दी गई। आईडीएसपी एपिडेमियोलॉजिस्ट रीना प्रवीण ने बताया कि अबतक जिले के अलग-अलग इलाकों में बीमारियों के लक्षण की पुष्टि होने पर मैनुअल डेटा स्वास्थ्य विभाग को भेजा जा रहा था। बीमारियों का आंकड़ा जिला, प्रदेश सरकार व केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचने में करीब एक महीने का वक्त लगता था। ऐसे में संबंधित इलाके में बीमारियों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से गंभीर कदम उठाने में देर हो जाती थी। इसको ध्यान में रखते हुए देशभर में एक अप्रैल से इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म पोर्टल को लांच किया गया है। एएनएम मरीजों में होने वाली बीमारियों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करेंगी। एएनएम घर-घर जाकर डेटा एकत्रित करेंगी। यह डेटा आईएचआईपी पर अपलोड किया जाएगा। जिले के सभी सरकारी अस्पताल इससे जुड़े होंगे। जैसे ही किसी व्यक्ति का कहीं इलाज होगा, उसका पूरा ब्योरा आईएचआईपी पर दिखने लगेगा। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि इस एप के जरिए एएनएम आदि को तुरंत ही मिलने वाले सभी मरीजों का डेटा ऑनलाइन फीड करना होगा। यही नहीं अगर गांव में किसी दूसरी बीमारी के मरीज भी मिलते हैं तो उनकी जानकारी भी इस एप पर तुरंत अपलोड करनी होगी। जितने लोग पीड़ित होंगे, उनकी संख्या एप पर उसी समय फीड करनी होगी। वहीं रियल टाइम लोकेशन भी फीड करनी होगी। मरीजों की संख्या फीड होते ही पीएचसी प्रभारी, सीएचसी प्रभारी, एसीएमओ और अन्य अधिकारियों को इसका मैसेज पहुंच जाएगा। सीएचसी प्रभारी को उस पर तत्काल टीम बनाकर कार्रवाई करते हुए रिमार्क डालना होगा। इसकी जानकारी स्वास्थ विभाग के पास पहुंचेगी। इस एप को चलाने के लिए जिला स्तर पर ट्रेनिंग दे दी गई है। रीना प्रवीण ने बताया कि इस एप में तीन प्रकार के फार्म हैं। एस, पी और एल। फॉर्म एस में बुखार, खांसी आदि बीमारी कब से है, इसके बारे में पूरी जानकारी एएनएम को डालनी होगी। इसके अलावा फॉर्म पी में संभावित मरीजों की जानकारी डालनी होगी। फार्म एल पैथोलॉजी से संबंधित होगा। जिसमें यदि कोई मरीज अपनी जांच कराने आता है तो इस पर इंटर्नल और एक्सटर्नल जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा विभाग की ओर से इस एप के जरिए 33 बीमारियों का रिकार्ड रखा जाएगा। इस एप के लिए शुरुआती ट्रेनिंग दे दी गई है। ऑनलाइन ही सभी मरीजों का डेटा फीड किया जाएगा। ऐसे में मरीजों के प्रति बरती जाने वाली लापरवाही पर रोक लग सकेगी। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया की बुखार, डायरिया या हेपेटाइटिस समेत कई बीमारियों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऑनलाइन डाली जाएगी। साथ में मरीजों का पूरा रिकार्ड भी ऑनलाइन होगा। वहीं स्वास्थ्य विभाग से लेकर सीएचसी तक पर मरीज का पूरा अपडेट रखा जाएगा। मौके पर मनोज दुबे जिला डेटा मैनेजर, बैभव, रितम, पियूष जिला समन्वयक आद्री संस्था सहित आशा एवं एएनएम उपस्थित थे।