विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सभी को प्रकृति की रक्षा के लिए पौधे लगाने चाहिए – गोविंदा

केवल सच – पलामू
पाटन – पाटन खंड के सगुना पंचायत स्थित सगुना गांव में आर एस एस के पाटन खंड के खंड कार्यवाह गोविंदा जी,पलामू विभाग के शारीरिक शिक्षण प्रमुख उमाकांत जी और पलामू जिले के भाजपा जिला मीडिया सह प्रभारी नवेन्दु मिश्र के साथ-साथ पाटन खंड के व्यवस्था प्रमुख छोटू जी ने एक साथ कई कीमती पौधों को लगाया।प्रमुख पौधों में अनार,अमरूद, महोगनी, सागवान, आंवला और कुछ आम के पौधे थे। पौधे लगाने के बाद उनकी रक्षा का संकल्प सभी ने लिया।
पलामू विभाग शारीरिक शिक्षण प्रमुख उमाकांत जी ने कहा कि हमारे पूर्वज हम सभी की सुरक्षा के लिए ही वृक्षारोपण किया करते थे। जिसका लाभ हम सभी ने लिया है अतः हम सभी को भी पौधारोपण निरंतर करते रहना चाहिए । जो पौधे हमारे दादा परदादाओं ने लगाया था उसका लाभ आज हम सभी ले रहे हैं अतः हमें भी वृक्ष लगाना चाहिए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां उनका लाभ उठा सकें और पर्यावरण में प्रदूषण कम हो जिससे कई बीमारियां स्वता ही समाप्त हो जाएंगी।
खंड कार्यवाह गोविंदा जी ने कहा कि वृक्षारोपण करने से आत्म संतुष्टि होती है जैसे-जैसे पौधे बढ़ते रहते हैं पौधों की हरियाली देखकर अपने मन में भी हरियाली आती है। हम सभी भाग्य के धनी हैं कि हम सभी को पौधारोपण करने का आज अवसर प्राप्त हुआ है आज विश्व पर्यावरण दिवस भी है अतः हम सभी को वर्ष भर निरंतर इस तरह का कार्यक्रम करते रहना चाहिए पर्यावरण में प्रदूषण को कम करने का सबसे अच्छा तरीका वृक्षारोपण नहीं है
नवेन्दु मिश्र ने कहा कि जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ती जा रही है वैसी स्थिति में ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का केवल एक मात्र उपाय वृक्षारोपण ही है। आज हम कई दीवारों पर यह लिखा हुआ पढ़ते हैं कि एक वृक्ष सौ पुत्रों के समान होता है ।वृक्षारोपण से संबंधित पूर्व में भी कई सरकारी योजनाएं चलाई जाती रही है और आज भी चल रही है। पूर्व में वृक्षों को कटने से बचाने के लिए पूरे देश भर में चिपको आंदोलन भी चलाया गया था जिसका लाभ भी हुआ था । वैसे तो किसी भी देश के उसके कुल भूभाग के 33% भूमि पर वृक्ष होने ही चाहिए। जबकि आज सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 18 से 22 प्रतिशत भू भाग पर ही वृक्ष हैं जो कि चिंता का विषय है। इधर हाल के सात – आठ वर्षो में वृक्षारोपण पूरे देश भर में जोर शोर से हुआ है । वृक्ष हर स्थिति में हमें लाभ ही प्रदान करते हैं। वृक्षों से हमें कई तरह की औषधियां व मधु प्राप्त होते हैं।
छोटू जी ने कहा कि वृक्षों की पूजा करना हमारी संस्कृति और सभ्यता की पहचान थी जो बीच के काल खंडों में कुछ विकृत हो गई थी । बीच-बीच में पौधे का वितरण भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई इकाइयों के द्वारा किया जाता है ।लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उसके लिए निरंतर प्रयास कर रहा है, और सफलता भी मिल रही है