किशनगंज : नगर परिषद मुख्य पार्षद एवं उप मुख्य पार्षद सहित वार्ड पार्षदों ने किया कारगिल पार्क का निरीक्षण।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, नगर परिषद क्षेत्र के रुईधासा मैदान स्थित कारगिल शहीद पार्क एनओसी के चक्कर में जंगल के रुप में तब्दील हो रहा है। शहीद कारगिल पार्क नगर परिषद और आर्मी के विवाद में फंस कर रह गया है। आर्मी की तरफ से एनओसी नहीं मिलने से पार्क का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। आर्मी ने कारगिल युद्ध के बाद अपनी भूमि पर शहीदों के याद में इस पार्क का नींव रखा। किशनगंज नगर परिषद ने करोड़ो का खर्च कर इस पार्क का निर्माण करवाया। नगर परिषद के मुख्य पार्षद अधिवक्ता इंद्रदेव पासवान ने करिगिल पार्क का निरीक्षण किया। इनके साथ उप मुख्य पार्षद श्रीमती निकहत कलीम, वार्ड पार्षद मो कलीमुद्दीन, सफाई निरीक्षक संजीव कुमार उर्फ लड्डू सहित अन्य लोग मौजूद थे। मुख्य पार्षद अधिवक्ता इंद्रदेव पासवान ने कहा कि नगर परिषद के द्वारा साफ सफाई करवाया जाएगा। करिगिल पार्क को पुर्नजीवित किया जाएगा। नगर परिषद से जितना बेहतर सेवा होगा दिया जाएगा। पूछने पर की यह जमीन आर्मी की है। तो उन्होंने कहा कि हमलोग रख रखाव करेंगे, कोई कंस्ट्रक्शन नही करेंगे। मुख्य पार्षद अधिवक्ता इंद्रदेव पासवान से पूछने पर की नगर परिषद के द्वारा करोड़ो रुपया करिगिल पार्क पर खर्च किया गया है। उन्होंने कहा कि मैं देखूंगा की कितना व्यय हुआ है जो भी होगा उचित किया जाएगा। जानकारी लिया जा रहा है। गौरतलब हो कि वर्ष 2004 में बने इस पार्क को लेकर पेंच उस समय फंसा जब निवर्तमान डीएम ने आर्मी से नगर परिषद किशनगंज को एनओसी देने की मांग की।एनओसी नहीं मिलने की स्थिति में पार्क का रखरखाव नहीं हो सका। वर्तमान में पार्क जंगल में तब्दील हो चुका है। शहर के बीच इस पार्क में बच्चो के खेलने के लिए तरह-तरह के झूले थे। इसके अलावा रंग-बिरंगे फूल लगाए गए थे। जो जंगल में पूरी तरह से ढक चुके हैं। शहर के लिए आकर्षण का केंद्र रहने वाला खूबसूरत पार्क फिलहाल वीरान है। पार्क जंगली पौधों से ढक गया है वहीं, आवारा पशुओं के लिए चारागाह बन गया है। और नशेड़ियों के लिए सुरक्षित ठिकाना। वही इस पार्क में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की एक मूर्ति भी बनाई गई है, जिसके चारो तरफ बड़े-बड़े पौधे उगे हुए हैं। मूर्ति जंगल मे छिप चुका हैं। इस पार्क का निर्माण निवर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष और वर्तमान उपाध्यक्ष त्रिलोक चंद जैन के कार्यकाल में हुआ। इस पार्क के निर्माण में करोड़ो रुपये खर्च किये गए।
नगर परिषद उपाध्यक्ष के मुाताबिक आर्मी के शर्त के मुताबिक ही कारगिल के शहीदों के नाम पर पार्क का नामकरण हुआ। लेकिन इस पार्क के लिए आर्मी ने एनओसी नहीं दिया। इसके वजह से नगर परिषद ने इस पर आगे खर्च नहीं किया। आलम यह है कि पार्क जंगल के रुप में तब्दील हो चुका है।