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तमिलनाडु केआईवाईजी के लिए क्वालीफाई न कर पाने वाले महाराष्ट्र के योगासन खिलाड़ी अंश ने खुद को साबित करते हुए जीता तीसरा स्वर्ण पदक

त्रिलोकी नाथ प्रसाद। योगासन में अपने करियर का तीसरा स्वर्ण पदक जीतने वाले महाराष्ट्र के अंश रुपेय मयेका के लिए बिहार में जारी खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 खुद को साबित करने वाला टूर्नामेंट रहा है। 12 साल अंश ने अपने करियर का पहला स्वर्ण पदक हरियाणा के पंचकूला में हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स में जीता था। इसके बाद उन्होंने फिर मध्य प्रदेश में आयोजित खेलो इंडिया गेम्स में लगातार दूसरा स्वर्ण अपने नाम किया लेकिन तमिलनाडु में आयोजित पिछले संस्करण के लिए वह क्वालीफाई नहीं कर सके। अंश ने हालांकि इसे एक चुनौती के रूप में लिया और शानदार वापसी करते हुए तीसरी बार चैंपियन बने।

तमिलनाडु केआईवाईजी के लिए क्वालीफाई न कर पाने के बाद अंश हालांकि निराश थे लेकिन इससे जल्द ही उबरते हुए उन्होंने अपने लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया और वह लक्ष्य था-बिहार संस्करण के लिए क्वालीफाई करना और फिर से स्वर्ण पदकस जीतना। औऱ अंश इसमें सफल भी रहे। उन्होंने गया में रविवार को सोना जीतकर खुद को साबित किया।

इस शानदार जीत के बाद अंश ने साई मीडिया से कहा, ” हरियाणा और मध्य प्रदेश में लगातार दो स्वर्ण पदक जीतने के बाद मैं तमिलनाडु के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया था। इसके बाद मुझे खुद को साबित करना था और मैंने अपने कोच की मदद से कड़ी मेहनत की अब मुझे खुशी है कि मैं एक बार फिर से स्वर्ण जीतने में कामयाब रहा हूं।”

उल्लेखनीय है कि महज 4 साल की उम्र में से ही योगासन शुरू करने वाले अंश और रोहन तायडे की जोड़ी ने लड़कों के वर्ग में 129.50 के स्कोर के साथ पहले स्थान पर रहते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

उन्होंने कहा, ” मैं पिछले आठ साल से यानि के जब मैं चार साल का था तभी से मैंने प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया था। ये मेरा तीसरा खेलो इंडिया गेम्स था और मैं अब तक तीनों में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा हूं।”

गया के आईआईएम परिसर में जारी खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 के योगासन स्पर्धा में महाराष्ट्र के लड़कों ने रिदमिक योगासन वर्ग में स्वर्ण और रजत पदक पर कब्जा जमाया जबकि लड़कियों ने भी रिदमिक योगासन वर्ग में पहले और दूसरे स्थान पर रहते हुए स्वर्ण और रजत अपने नाम किया।

दूसरी ओर, अंश के ही टीम साथी रोहन तायडे का यह दूसरा खेलो इंडिया गेम्स है। वह इससे पहले, तमिलनाडु में छठी खेलो इंडिया गेम्स में भी एकल आर्टिस्टिक योगासन में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। वह महाराष्ट्र के अहमदनगर में अपनी प्रैक्टिस करते हैं। रोहन तायडे जब चार साल के थे तभी से उन्होंने योगासन करना शुरू कर दिया था। उन्होंने अब तक की अपनी सफलता का श्रेय अपने पापा को दिया।

12 साल के रोहन ने कहा, ” जब मैं चार साल का था तभी से मैंने योगासन करना शुरू कर दिया था। मेरे पापा मेरे लिए मेरे प्रेरणास्रोत है। उनकी हौसलाअफजाई पर ही मैंने यह खेल चुना। जब मैंने इसे शुरू किया था तब मेरे पापा ने मुझे सिखाना शुरू किया। आज मैं जो कुछ भी हूं अपने पापा की वजह से हूं।”

पहली बार बिहार की मेजबानी में हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में महाराष्ट्र का पदक जीतने का सिलसिला लगातार जारी है। डिफेंडिंग चैंपियन महाराष्ट्र की योगासन की टीम ने पहले दिन दो स्वर्ण सहित चार पदक जीतकर इस पारंपरिक खेल में अपना जलवा जारी रखा है।

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