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किशनगंज : टाइम टू डिलीवर ज़ीरो मलेरिया: इन्वेस्ट, इनोवेट, इम्प्लीमेंट की थीम पर 25 अप्रैल को जिले में मनाया जायेगा विश्व मलेरिया दिवस

मलेरिया से सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाया जाता है छिड़काव अभियान।

ये हैं मलेरिया के लक्षण :

  • सर्दी व कंपन के साथ बुखार का आना।
  • तेज बुखार, उल्टी, सरदर्द व चक्कर आना बुखार उतरते समय शरीर में अत्यधिक पसीना आना।
  • एक दिन के अंतराल पर नियमित बुखार का आना।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, मलेरिया मादा एनोफिलीज़ मच्छरों द्वारा फैलाए गए एक तरह के परजीवी की वजह से होता है, जो ज़्यादातर शाम को या रात में काटता है। मलेरिया के पहले कुछ लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटे जाने के 7 से 18 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। मलेरिया के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, लेकिन आमतौर पर ये तेज़ कंपकंपी और ठंड लगने के साथ शुरू होता है। इसके बाद तेज़ बुखार और पसीना आता है। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी जाती है। इसी को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्धेश्य से विश्व मलेरिया दिवस हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है। इस साल यह दिवस ‘टाइम टू डिलीवर ज़ीरो मलेरिया: इन्वेस्ट, इनोवेट, इम्प्लीमेंट’ थीम के साथ के साथ मंगलवार को जिले भर में मनाया जायेगा। इस थीम से विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बीमारी से लड़ने के लिए उपलब्ध उपकरणों और रणनीतियों को अमल में लाने पर जागरूकता फैलाना चाहता है। सोमवार को सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर ने सदर अस्पताल परिसर में बताया कि पहले अफ्रीका में मलेरिया संक्रमित मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण वहां इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मलेरिया दिवस मनाया जाता था। अफ्रीका के अलावा अन्य देशों में भी मलेरिया के मरीज होने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा 2007 से इसे पूरे विश्व में मनाए जाने की शुरुआत की गई। तब से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसमें सभी लोगों को इस बीमारी से सुरक्षा के लिए जागरूक किया जाता है। जिला मलेरिया रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि मलेरिया की बीमारी लोगों में एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलती,जो एक मादा मच्छर है। इस मच्छर के काटने से प्लाज्मोडियम नाम का परजीवी मनुष्य के शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता जो मलेरिया का कारण बनता है। मनुष्य में इस मच्छर के काटने के सात दिन के अंदर लक्षण दिखाई देने लगते जिसके तुरंत बाद उसे आवश्यक इलाज की आवश्यकता होती है। समय पर पर्याप्त इलाज कराने से मनुष्य स्वस्थ्य हो सकता है।जिला वेक्टर जनित सलाहकार अविनाश रॉय ने बताया कि एनोफिलिज मच्छर ज्यादातर घर के आसपास फैले गंदे पानी में पाया जाता है। पानी के ज्यादा दूषित होने पर इसके लार्वा में बढ़ोतरी की सम्भावना ज्यादा होती है। इस बीमारी से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को अपने घर के आसपास गंदे पानी को इकट्ठा होने से रोकना चाहिए। अगर घर के आसपास ऐसे गंदे पानी की समस्या हैतो लोगों को बचाव के लिए उसमें केरोसिन के तेल डाल देनी चाहिए। ऐसा करने से पानी के ऊपर एक लेयर बन जाता है जिससे लार्वा को ऑक्सीजन मिलने में समस्या होती और वह नष्ट हो जाता है। इसके अलावा लोगों को मलेरिया से सुरक्षा के लिए नियमित रूप से मच्छरदानी का उपयोग भी करना चाहिए।

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