CUJ : देशी वनों पर आक्रामक पादप प्रजाति की तीव्रता पर शोध प्रकाशित
सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड रांची की डॉ. पूरबी शइकिया ने देशी वनों पर आक्रामक पादप प्रजाति की तीव्रता पर अंतरराष्ट्रीय पत्रिका नेचर में शोध आलेख प्रकाशित किया
रांची : सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड रांची (CUJ) की डॉ. पूरबी शइकिया ने अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्ध पत्रिका नेचर (प्रभाव कारक (Impact factor 64.8) में विदेशी आक्रामक प्रजातियां की गंभीरता के विषय पर एक शोध लेख विश्वस्तर के शोधकर्ताओं के एक समूह के साथ अगस्त 2023 में प्रकाशित किया है। यह शोध लेख वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। इस लेख में उन्होंने विश्व भर में गैर-स्थानीय पादप प्रजातियों (invasive species) के आक्रमण के स्थापना और आक्रमण की तीव्रता पर स्थानीय पादप समुदायों की जैववर्गीय और कार्यात्मक विविधता, मानव दबाव और पर्यावरण का विश्लेषण किया है। उनके शोध से स्पष्ट होता है कि मानवी तत्व पौधों पर आक्रमण की पूर्वानुमान करने में महत्वपूर्ण हैं। आक्रामक प्रजातियां की तीव्रता स्थानीय विविधता के अंतर्निहित है। जिसमें उच्च विविधता कम आक्रमण की गंभीरता की भविष्यवाणी करती है। तापमान और वर्षा आक्रामक पादप प्रजातियों के पूर्वानुमान में महत्वपूर्ण चर (variable) सामने के रूप में चिन्हित किया गया हैं। यह शोध गैर-स्थानीय आक्रामक पादप प्रजातियों के वैश्विक परिचित्र प्रस्तुत करता है। जिस पर देशी वनों के जैववर्गीय और कार्यात्मक विविधता पर पादप प्रजातियों की स्थापना और प्रसार में मानवजनित प्रभाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डॉ. शइकिया ने पूर्व में नेचर जर्नल में शोधकर्ताओं इसी समूह के साथ एक और शोध लेख प्रकाशित किया था, जो वन वृक्ष सहजीवन तथा जलवायु नियंत्रण के वैश्विक विश्लेषण पर आधारित था।