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किशनगंज : समाज में अंतिम पंक्ति पर खड़े लोगों तक त्वरित न्याय सुलभ करना ही इनका ध्येय है..

संर्घषों के बल पर रचा इतिहास।वो है कर्तव्यनिष्ठ आईपीएस कुमार आशीष।श्री कुमार किसी परिचय के मोहताज नहीं है।इनके द्वारा मधेपुरा, नालंदा और किशनगंज के पुलिस कप्तान के तौर पर कई प्रयोग किये गए जिनकी व्यापक रूप से प्रशंसा हुई है और सामुदायिक पुलिसिंग के क्षेत्र में मील के पत्थर सिद्ध हुई है।बिहार पुलिस में सर्वप्रथम फेसबुक पेज और व्हात्सप्प ग्रुप द्वारा आम जनता से सीधा संपर्क बनाने का श्रेय, इन्होने ये प्रयोग आईपीएस प्रशिक्षु के रूप में सन 2014 में मोतिहारी जिले से किया था।आइये जानते हैं विस्तार से उनके द्वारा अबतक किये गए कुछ प्रशंसनीय कार्यों को जिन्होंने व्यापक रूप से आम जनमानस में गहरी पैठ बनाई है:कॉफ़ी विथ एसपी-ये प्रोग्राम नालंदा जिले से 2016 में शुरू किया गया था जिसमें युवाओं के करियर काउंसलिंग पर फोकस करते हुए उनकी समस्याओं पर तुरंत कारवाई की जाती है साथ ही, पुलिस और प्रशासन की क्या युवाओं से क्या आशाएं है, कैसे युवा अच्छे नागरिक बन कर देश हित में अपना योगदान कर सकते हैं, इन विषयों पर श्री कुमार आशीष एवं उनकी टीम के द्वारा व्यापक चर्चा की जाती है।पिंक पेट्रोलिंग-शहरों में छेड़खानी और यौन उत्पीडन की घटना पर रोकथाम के लिए एक स्पेशल दस्ता का गठन जो निर्धारित समय और स्थानों पर गतिशील रह कर मनचलों की गतिविधियों पर विधिसम्मत कार्रवाई करता है।इसकी शुरुआत जुलाई 2016 में बिहारशरीफ से की गयी थी।मिशन वस्त्रदान-गरीब और साधनहीन जनता से जुड़ने के लिए लोगों की सहायता से नए-पुराने गर्म वस्त्र इक्कट्ठा कर पुलिस द्वारा उन्हें वितरित किया जाता है।अबतक 30 हज़ार से ज्यादा लोग इससे लाभान्वित हो चुके हैं।थाना दिवस-आम जनता की समस्या, सुझाव और शिकायत सीधे उनसे ही सुनकर त्वरित करवाई करने के लिए प्रत्येक सप्ताह विभिन्न थानों और सार्वजनिक जगहों पर थाना दिवस का आयोजनस्कूल विजिट-हरेक हफ्ते एक स्कूल विजिट कर वहां बच्चों से सीधा वार्तालाप, पुलिस का अज्ञात भय बच्चों के दिमाग से निकालने का प्रयास, उनकी करियर काउंसिलिंग तथा पुलिस की अच्छी छवि का निर्माण।सामुदायिक पुलिसिंग के तहत बहुत सारे प्रोजेक्ट्स जिसमें विभिन्न स्तरों पर खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन, वृक्षारोपण कार्यक्रम, साहित्यिक गोष्ठी, चित्रकला आदि का नियमित आयोजन।कौमी एकता को बढ़ावा देने के लिए मुशायरा एवं हिंदी कविता सम्मेलनों का नियमित आयोजन।सोशल मीडिया के माध्यम से आम जनता से सीधा संवाद, समस्याओं का तुरंत निराकरण और पुलिस की अच्छी उपलब्धियों को जनता के बीच लाने से पुलिस की छवि में लगातार सुधार करना।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं अखबारों में लगातार लेखन के माध्यम से समाज में जागरूकता फ़ैलाने का कार्य, अब तक 20 से ज्यादा रचनाएँ छप चुकी है।छठ पूजा पर विस्तृत आलेख फ्रेंच भाषा में लिखा जो 54 देशों के लोगों तक छठ पूजा की महिमा को बताने में सहायक सिद्ध हुआ है।स्वयं भी JNU दिल्ली से फ्रेंच भाषा में डॉक्टरेट किये हुए हैं।किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, ”उठ जाग मुसाफिर भोर भईए यह बेर नही है सोने की“ वाली कहावत को चरितार्थ करते हुये जीवन में आये कई विध्न वाधाओं को पार कर देश की सर्वोच्च सेवा भारतीय पुलिस सेवा में अपने प्रतिभा के दम पर ये शख्स अपना डंका बजा रहे है।बैसे बिहार की माटी से प्रत्येक वर्ष सैकड़ों आइएस, आइपीएस, डॉक्टर इंजिनियर निकलते है।लेकिन गॉव की गलियों में कभी बेट बॉल खेलने वाला छोरा आज अपने प्रतिभा के बल पर देश के प्रत्येक कोने में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कर बिहार का नाम पूरे देश में कर रहा है।हम बात कर रहे वैसे पुलिस अफसर की जो कम ही दिनों में अपने कर्मठता और नेकनियती के बदौलत हजारों दिलों का सुकून बना है।वह है किशनगंज जिले के युवाए ओजस्वीए तेज तर्रार पुलिस कप्तान कुमार आशीष भा०पु०से० के 2012 बैच।वैसे तो इनके कारनामें की तस्वीर तो प्रत्येक दिन भारत के किसी न किसी अखबारों में छपती है परन्तु इन्होनें किस परिस्थिति से गुजरते हुये भारतीय पुलिस सेवा के अवसर को ग्रहण किया ये उन्हीं की जुबानी के शब्द है जो शायद बिहार के प्रत्येक जिलें के युवाओं के लिये प्रेरणा और मिसाल साबित हो सकते है।वैसे ही हालात से उपजे बिहार के जमुई जिले के एक छोटा सा कस्बा सिकन्दरा जो बिहार के पिछ़ड़े जिले और नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।उस छोटे से गॉव से निकल कर अपनी प्रारंभिक शिक्षा की शुरूआत मुंगेर जिला के संग्रामपुर स्थित सरकारी मिडिल स्कूल एवं रानी प्रभावती देवी हाई स्कूल से नौवीं क्लास तक की पढ़ाई पुरी की। देहाती वेश, भूषा में हाथ में स्लेट और बैठने के लिये बोरा लेकर पैदल पाँव विधालय पहुॅच कर अपने गुरू के दिये ज्ञान को अपने शिशु मन में वैठाते हुये कल्पनाओं की उॅची उड़ान और सपने पालते हुये उन सपनों को उड़ान देने की जिद आज सफलता का पर्याय बन गया।दसवीं की पढ़ाई श्री कृष्ण उच्च बिधालय सिकंदरा से पूरी की जो वर्तमान में इंटर विधालय का दर्जा प्राप्त कर गया है।इंटर की शिक्षा धनराज सिंह कॉलेज, पिरहिंडा सिकन्दरा से पुरी किया।पारिवारिक स्थिति कोई खास अच्छी नही होने के बाबजुद अपने हौसले और मेहनत के बल पर उच्च शिक्षा के लिये 2001 में दिल्ली के जबाहरलाल नेहरू विश्वविधालय के इंट्रेस परीक्षा में ऑल इंडिया टॉपर होकर अपने परिवार का नाम रौशन किये।अपने परिवार में सबसे छोटे होने का लाभ और परिवार का स्नेह इन्हें संबल प्रदान करता रहा।पिता ब्रजनंदन प्रसाद सिंचाई विभाग में मोहरिर के पद पर से सेवानिवृत हुए है।दो बड़े भाई और तीन बहनों ने भी अपने शिक्षा ग्रहण करने के दौरान अभावों को देखा था।संघर्ष करते हुये बड़े भाई संजय कुमार रेलवे में उज्जैन में सहायक स्टेशन प्रबंधक तो दुसरे भाई सम्प्रति देहरादून में लेफ्टिनेंट कर्नर्ल डॉ मुकेश कुमार आर्मी में चिकित्सा सेवा से जुड़ें।कुमार आशीष को उच्च शिक्षा के सबसे महत्वपुर्ण पड़ाव एंव लम्बें अन्तराल तक संघर्ष दिल्ली में ही झेलना पड़ा।अध्ययन के दौरान आर्थिक तंगी को इन्होने अपने पढ़ाई पर कभी हावी नही होने दिया।और हालात से लड़कर अपने हिम्मत और मेहनत के बल पर अपनी पढ़ाइ करते हुये श्रछन् विश्वविद्यालय में अपने जुनियर कक्षाओं में पढ़ाया भी।आल इंडिया रेडियो दिल्ली के विदेशी सेवा विभाग में चार सालों तक फ्रेंच भाषा का प्रोग्राम भी किया।इस संन्दर्भ में उन्होनें कहा कि जीवन में शिक्षा के लिये आर्थिक आवश्यकता तो होती ही है परन्तु अगर दिल में लगन और हौसला है तो अपने कर्म पर विश्वास कर कोई भी मंजिल को हासिल करना कठिन नही होता है।प्रारंभिक दौर में मन कभी विचलित भी होता तो उसे नियत्रंण मे करने का गुण पैदा किया।और दुनिया की भाग दौड़ से दुर अपने सपनों को साकार करने की ठान ली।जेएनयु से स्नातक और स्नातकोतर की डिग्री हासिल कर पीएचडी की पढ़ाई किया।रिसर्च फेलोशिप मिला और फ्रेंच की पढ़ाई पुरी की।वर्ष 2006 इनके लिये गौरव का समय रहा जिसमें ये अपने देश से दुर अपने सपनों को उड़ान देने के लिये फ्रांस गए एवं एक साल वहां उच्च शिक्षा ग्रहण की।वहॉ कुछ समय बिताने के बाद लगा कि यहॉ के अधिकतर लोग भारत को जानते जरूर है परन्तु बिहार को नही जानते थे।इसका इनको काफी अफसोंस हुआ।इन्होने फ्रेंच लोगों को बिहार की संस्कृति और सभ्यता और यहॉ के पौराणिक विशेषताओं की कहानी से उनलोगो को अवगत कराया।बिहार के पिछड़ेपन होने का मुख्य कारण एक फ्रेंच आदमी ने इन्हें बताया की बिहार के मेधावी एवं अच्छे युवा बिहार से बाहर पढाई करने जाते हैं परन्तु लौट कर वापस बिहार नहीं आते।जिस वजह से बिहार जहाँ था वही खड़ा है।ये बात इनके मन में टीस पैदा कर गयी।इन्होने वहॉ निर्णय कर लिया कि मै अपने बिहार अपनी माटी के लिये ही कुछ करूँगा।भारत वापस लौटने के बाद ये सिविल सेवा की तैयारी में लग गये।जेहन में एक बात हमेशा कौंधती थी, देश के लिए बिहार के लिए कुछ करना है।उस सपने को साकार करने में इनके परिवार ने काफी सहयोग और संबल दिया।कभी भी विचलित होने नही दिया।सिविल सेवा की परीक्षा उर्तीण करने पर इन्हें भारतीय पुलिस सेवा अर्थात आईपीएस के लिए चुना गया। 2012 में ये सपना साकार हुआ और सहर्ष इन्होने एक अच्छे समाज के निर्माण में अपना योगदान एक अच्छे पुलिस ऑफिसर के रूप में करना स्वीकार किया तथा ये जहॉ भी रहे सबसे अच्छा एवं कुछ अलग हट के करने का प्रयास किया।पुलिसिंग के साथ साथ सामाजिक, और रचनात्मक कार्य के साथ आम लोगों से जुड़ने और उनकी भावनाओं को परखने का कार्य करते हुये अपना कार्य करते रहे।वर्ष 2014 में मोतिहारी जिले में बतौर आईपीएस की ट्रेनिंग ली।फिर सदर दरभंगा के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी की जिम्मेवारी दी गयी।वहां के सिर्फ एक महीने के कार्यकाल में इन्होने काफी प्रशंसा बटोरी।इनके असामयिक तबादले ने लोगों में काफी रोष उत्पन्न किया एवं आम जनता ने रोड जाम तक किया।फिर इनकी पोस्टिंग बलिया, बेगुसराय, के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के रूप में हुई जहाँ इन्होने कल्चरल पोलिसिंग के तरीके को आजमाया और आशा से कही ज्यादा सफलता प्राप्त की।बलिया अनुमंडल की जनता आज भी इन्हें श्रध्दा और शिद्दत से याद करती है।फिर वर्ष 2015 के अगस्त महीने में इन्हें मधेपुरा के पुलिस कप्तान के रूप में पदस्थापित किया गया जहाँ इन्होने सफलता के नए आयाम गढ़े एवं अपराधियों के लिए काल साबित हुए।सभी बड़े.छोटे बदमाशों को सलाखों के पीछे पहुँचाया और जनता के दिल में पुलिस की नरम दिल छवि बनायीं।इनके महती कार्यो को देखते हुए सरकार ने इन्हें संकट की घड़ी में नालंदा जैसे अतिमहत्वपूर्ण जिले का कार्यभार दिया जिसे ये बड़ी लगन एवं अथक परिश्रम से बाखूबी निभाये।इनके कम्युनिटी पुलिसिंग के कॉन्सेप्ट ने आम लोगों को पुलिस से जोड़ दिया है।इनका ब्रेन चाइल्ड प्रोग्राम कॉफी विथ एसपी काफी सफल रहा है जिसके माध्यम से पुलिस कप्तान कुमार आशीष द्वारा युवाओं के साथ इंटरेक्शन किया जाता है।इसकी सफलता कई जिलों में आदर्श बन चुकी है।साथ ही पुलिस कप्तान द्वारा शुरू किये गए शहर का निगरानी दस्ता हॉक ब्रिगेड महिलाओं की सुरक्षा के लिए पिंक ब्रिगेड काफी कारगर साबित हुए है।जिले में कल्चरल पोलिसिंग की शुरुआत हुई है।पुलिस और पब्लिक सभी त्योहारों में साथ मिलकर सुख-दुःख बाँटते है।हाल में ही दिवाली में सुदूर तेल्हाडा थाना के लोदीपुर एवं पूरा गाँवों में गरीबों के बीच दीया जलाना, स्वतंत्रता दिवस पर मुशायरा सह कवि सम्मलेन का आयोजन क्रिकेट, फुटबॉल एवं वॉलीबॉल की प्रतियोगिताएं रक्तदान, वस्त्रदान एवं नेत्र, शिविर का आयोजन, विभिन्न सामाजिक संगठनों को अपनी मुहिम से जोड़ना, जरूरतमंद बच्चों के लिए लाइब्रेरी, क्रीडा गृह की स्थापना, ट्रैफिक जागरूकता के कई प्रोग्राम, नशामुक्ति की दिशा में सक्रिय भागीदारी निभाना, हाईटेक फेसबुक, व्हात्सप्प के अलावा आम जनता से जुड़ने के लिए शिकायत पेटिका, जरुरतमंदों को त्वरित एवं उचित सहायता आदि जैसे कई कार्य पुलिस प्रशासन ने किए हैं जो सराहनीय एवं आम जनता के लिए फायदेमंद रहे हैं।जरुरत है ऐसे प्रयासों को जारी रखने की जो पुलिसिंग की गुणवत्ता में चार चाँद लगाकर समाज में सकारात्मक रूप से अपराध में कमी लाकर नयी पीढ़ी को एक नयी दिशा दे रही है।इन्होने नालंदा में कार्यभार संभालने के बाद अपने दाम्पत्य जीवन की शुरूआत भी किया।इनके जीवन मे कब किस वक्त देवयानी ने दस्तक दिया कुछ पता नही चला और यह रिश्ता परवान चढता गया।अप्रैल 2016 में दोनों एक दुसरे से जीवन की डोर को बांध कर दामपत्य जीवन में प्रवेश कर गये।इस बीच इस दुनियॉ मे लाने वाली इनकी ममतामयी मॉ मुंद्रिका देवी इनको सदा के लिए छोड़कर चली गयी।मॉ की ममता और छॉव ये हमेशा के लिए मरहूम हो गये।परन्तु वटवृक्ष के रूप में पिता श्री ब्रजनंदन प्रसाद तथा भाई एंव बहनों का स्नेह काफी हद तक इनका मजबूत संबल बना रहा है।उन्होनें कहा कि आज के युवाओं और विधार्थियों को भी अपने भविष्य को बनाने के लिये सतत प्रयत्नशील होकर मेहनत करने की जरूरत है।जिस क्षेत्र को चुनें उसमें इमानदारी पुर्वक नियमित गहन अध्ययन कर निरंतर प्रयत्नशील रहें सफलता अवश्य मिलेगी।आपको बता दे कि यह कहानी नही हकीकत है जीवन में मुश्किल काम भी आसान होता है जब हम अपने हौसले को बुलंद कर सपनों को उड़ान देते है।आज किशनगंज पुलिस कप्तान कुमार आशीष युवाओं के लिये प्रेरणा और मध्यमवर्गीय, गरीब परिवार के लिये बंराड एम्बेस्डर है।जिन्होनें अपने मेहनत और कर्मठता के बल पर देश की सर्वोच्च सेवा में अपना मुकाम हासिल कर अपने बिहार की माटी और यहॉ के लोगो के लिये कुछ करने की तमन्ना पाले है।बिहार की प्रतिभा को भेदने वाला नही है।बिहार के गॉव की गलियों और पगडंडी एवं माटी के कण कण में हजारों आशीष है और देश के मानचित्र पर अपने राज्य गॉव और अपने परिवार के नाम को उकेरा है।कहा गया है “पंख से कुछ नही होता हौसलों से उड़ान होती है।मंजिले उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है“।

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