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*एमबीबीएस को भी फेल कर रहे हैं झोला छाप चिकित्सक । दवा से लेकर फिटनेस का भी देते हैं प्रमाण डॉ रत्न।।…..*

रीता सिंह :-चिकित्सक को धरती के दूसरे भगवान का दर्जा प्राप्त है। ऐसा सिर्फ इसलिए है कि चिकित्सक आकस्मिक सेवा में वैसे मरीजों की जान बचा लेते हैं जो मौत के करीब होते हैं और उनकी सांस भी थम गई होती है। चिकित्सा के क्षेत्र में देश के चिकित्सकों ने काफी उपलब्धियां हासिल किया है और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। खासकर वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिये विकसित देशों की अपेक्षा भारत ने भी बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल किया है। कोविड 19 से बचाव के लिये वैक्सीन का ट्राई रन भी प्रारम्भ हो गया है जिसमे चिकित्सकों की बहुत बड़ी भूमिका है। कई गम्भीर रोगों का इलाज भी अन्य देशों के अपेक्षा सस्ता एवं अच्छा भी होता है।पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान आदि देशों के सैकड़ो मरीज प्रत्येक वर्ष इलाज के लिये आते हैं और स्वस्थ्य होकर यहां से जाते हैं। बिहार में भी चिकित्सा के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है परन्तु गम्भीर रोगों के इलाज के लिये अभी भी मुंबई, दिल्ली, कोलकत्ता, बंगलौर , चेन्नई आदि प्रदेशों में यहां के लोगों को मजबूरन जाना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अभी भी बेहतर चिकित्सा से वंचित है और वैसी स्थिति में उनकी जान नीम – हकीम खतरे जान बाली जैसी रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी झोला छाप चिकित्सकों की संज्ञा से विभूषित चिकित्सक मरीजों का इलाज करते हैं यहां तक कि छोटे बड़ेऑपरेशन भी इन चिकित्सकों के द्वारा कर दिया जा रहा है।गर्भपात से लेकर प्रसव तक भी चिकित्सक करते हैं और ग्रामीणों को झांसा देकर उनसे नाजायज राशि वसूलते है। सूबे के सभी प्रखंडो एवं कस्बाई इलाके में यह धन्धा स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से परवान पर है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में उचित इलाज की व्यवस्था नही रहने के कारण ग्रामीणों को लाचारी होती है इनसे इलाज कराना। ऐसा भी नही है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सभी ग्रामीण चिकित्सक अनुभवहीन ही हैं।

कई चिकित्सक जो लंबे अरसे तक निजी हॉस्पिटल में अपनी सेवा देने के बाद स्वयं चिकित्सक बन जाते है। अब गावँ की बात क्या करें बिहार की राजधानी पटना में भी ऐसे चिकित्सकों की भरमार होती जा रही है। ऐसे चिकित्सक सिर्फ प्राथमिक चिकित्सा ही नही करते बल्कि इलाज के नाम पर पैथोलॉजी जांच भी मरीजों से करवाते हैं और पैथोलोजिस्ट से कमीशन के रूप में भारी रकम भी पाते है। साथ ही साथ मरीजों को अपने पेड पर फिटनेस का प्रमाण पत्र भी देते हैं। ऐसे ही चिकित्सक राजधानी पटना में भी मौजूद हैं, जिनके फिटनेस प्रमाण पर जिला परिवहन पदाधिकारी ड्राइविंग लाइसेंस भी निर्गत करते हैं।बताते चलें कि पटना डीटीओ कार्यालय के नीचे प्रैक्टिस करने वाले डॉ0 रतन चिकित्सा के साथ साथ फिटनेस भी बनाते हैं। इनके प्रमाणपत्रों की जांच की जाये तो डीटीओ कार्यालय से इनके रिश्ते और फिटनेस प्रमाण पत्र का रहस्य अवश्य खुल जायेगा। इस सबन्ध में जब डॉ0 रतन से भेंट कर पूछ ताछ करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इस विषय में बताने से इंकार कर दिया। ऐसे ऐसे डॉ0 रतन हजारों की संख्या में इलाज करते हैं और खुद का जांचघर खोलकर पैथोलोजिस्ट का भी कार्य करते हैं। सरकार स्वास्थ्य सेवा के प्रति गम्भीर है परन्तु ऐसे चिकित्सकों पर कार्रवाई भी नही कर रही है जिसके कारण चिकित्सकों का मनोबल बढ़ रहा है। कई लोगों ने जिलाधिकारी को आवेदन देकर चिकित्सक डॉ0 रतन के चिकित्सक होने का प्रमाण पत्र जांच करने की मांग किया है।

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