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किशनगंज : गमले में भी फलाया जा सकता है बेर।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, देवी सरस्वती को चढ़ाया जाने वाला प्रमुख फल बेर का गाछ कुछ बड़ा एवं झाड़ीनुमा होता है, जिस तथ्य से हम सभी वाकिफ हैं। इस गाछ को अपने स्वरूप के चलते सामान्यतः इसे जमीन में ही लगाया जाता है एवं इससे वांछित फल प्राप्त किया जाता है। पर इसे गमले में भी फलाया जा सकता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण रूईधासा निवासी जिला शतरंज संघ के मानद महासचिव तथा बागवानी के जानकार शंकर नारायण दत्ता के निवास पर देखने को मिला। उन्होंने अपने घर के छत पर रखे थर्माकोल के बड़े गमले में इसके छोटे पौधे को लगाया तथा आज वे उससे फल भी प्राप्त कर रहे हैं। इस संबंध में विशेष जानकारी प्रदान करते हुए उन्होंने पत्रकारों को बताया कि इस पौधे का उम्र सिर्फ 2 वर्ष ही है। इसे किसी विश्वसनीय नर्सरी से लाकर लगाया गया है। इसकी परिचर्या या रख रखाव में भी कोई विशेष परेशानी नहीं उठानी पड़ी है। इसकी मिट्टी में गोबर खाद एवं वर्मी कंपोस्ट का व्यवहार किया गया है। साथ में बहुत कम मात्रा में रासायनिक खाद एनपीके। पौधे में समय-समय पर फफूंदी नाशक एवं कीटनाशक दवाओं का भी छिड़काव किया गया है। पौधे में धूप और पानी की मात्रा को भी सही रखा गया है। अब यह पौधा पर्याप्त फल देने लगा है, जो बहुत ही आकर्षणीय एवं प्रसन्नतादायक है। उन्होंने बताया कि वे बेर के अलावे गमले में केला, अमरूद, सपाटू, नारंगी, अनार, नींबू आदि भी फला चुके हैं। गमले में सेव, आम, कटहल, लीची, आमरा, आंवला, गुलजामुन, चेरी आदि भी लगाया गया है, जिनमें फल आने का अभी इंतजार है। इस प्रकार कोई भी व्यक्ति चाहे तो थोड़े श्रम से आम का आम गुठली का दाम कहावत को अनायास चरितार्थ कर सकता है।

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