किशनगंज : न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट बीमारियों से ग्रसित तीन बच्चों को इलाज के लिए भेजा गया एम्स पटना

न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट दिमाग, स्पाइनल कॉर्ड और रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति है।
- बच्चे में सामाजिक और भावनात्मक विकास में देर होने पर दुनिया को देखने के उसके नजरिए पर प्रभाव पड़ता है।
- इलाज की पूरी प्रक्रिया में परिवार को नहीं होगा कोई भी खर्च।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, बच्चे का जन्म पूरे परिवार के लिए खुशियों से भरा होता पर जन्म से ही अगर बच्चा किसी जानलेवा रोग से ग्रसित हो तो परिवार के लिए यह सबसे मुश्किल घड़ी हो जाती है। जिला के बहादुरगंज प्रखंड की 07 वर्ष की बच्ची इकरा नाज, 05 वर्षीय बच्ची पार्वती एवं दिघलबैंक प्रखंड की 18 माह की बच्ची पाखी न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से ग्रसित मिली है।
उक्त मामले की जानकारी मिलने पर सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर ने तीनों बच्ची को जिला में कार्यरत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के डिस्ट्रिक्ट अर्ली इन्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) के माध्यम से सदर अस्पताल से एम्बुलेंस से एम्स पटना भेजने की व्यवस्था की जहां इनका सफल इलाज होगा। गुरुवार को सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट दिमाग, स्पाइनल कॉर्ड और रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति है। यह तब दिखता है, जब दिमाग और रीढ़ की हड्डी में ऐसा विकार बन जाए कि यह पूर्ण रूप से बंद होने में विफल हो जाए। न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट गर्भावस्था के पहले 5 हफ्तों में ही हो जाता है। यह बहुत ही गंभीर जन्मजात रोग है। आरबीएसके जिला समन्वयक डॉ. ब्रह्मदेव शर्मा ने बताया कि पूरी जांच और ऑपरेशन की प्रक्रिया आरबीएसके टीम द्वारा ही की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में परिजनों को किसी तरह का कोई भी खर्च नहीं करना पड़ेगा।
ऑपरेशन के बाद भी बच्चे की फीडबैक के लिए टीम के द्वारा उनके घर जाकर नियमित जानकारी ली जाती है। आरबीएसके टीम बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से कार्यरत है। उनके मुताबिक पटना एम्स में आरबीएसके समन्वयक डॉ केशव किशोर की देखरेख में बच्चे का सफल इलाज करवाया जायेगा। सफल इलाज के बाद सभी प्रकार की जांच सही आने के बाद फिर एम्बुलेंस द्वारा बच्ची व उनके परिजन को घर तक पहुँचाया जायेगा। सिविल सर्जन ने बताया कि इन बच्चों का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सफल इलाज किया जायेगा। इसके लिए जिले के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की पूरी टीम धन्यवाद की पात्र है।
जिन्होंने बच्ची के ह्रदय एवं अन्य इलाज के लिए स्क्रीनिंग का कार्य किया है। 18 साल तक के बच्चों को किसी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर आईजीआईएमएस, एम्स, पीएमसीएच इलाज के लिए भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी लंबाई व सिर एवं पैर आदि की माप आदि करती हैं। फॉर्मासिस्ट, रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों का ब्योरा तैयार करते हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल तक के सभी बच्चों को चार मुख्य समस्याओं पर केंद्रित किया जाता है। इनमें डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी डिजिज, डेवलपमेंट डीले तथा डिसएबिलिटी आदि शामिल हैं। इससे जुड़ी सभी तरह की बीमारी या विकलांगता को चिह्नित कर इलाज किया जाता है। आरबीएसके के तहत 30 तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है।