बाल श्रम के उन्मूलन हेतु जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक हुई।।…

बाल श्रम के उन्मूलन के लिए अंतर्विभागीय समन्वय की आवश्यकता पर डीडीसी ने दिया बल
नियमित तौर पर बाल श्रम संवेदीकरण कार्यशाला एवं धावा दल का संचालन करने का डीडीसी ने दिया निदेश
विमुक्त बाल श्रमिकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं से आच्छादित करेंः डीडीसी
त्रिलोकी नाथ प्रसाद:- जिला पदाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह के निदेश पर उप विकास आयुक्त श्री तनय सुल्तानिया की अध्यक्षता में आज विकास भवन स्थित कार्यालय कक्ष में बाल श्रम उन्मूलन हेतु गठित जिला-स्तरीय टास्क फोर्स की मासिक बैठक हुई। इस बैठक में जिले में बाल श्रमिकों की पहचान, विमुक्ति, पुनर्वास एवं बाल श्रम के उन्मूलन हेतु की गई कार्रवाइयों की समीक्षा की गई तथा अद्यतन प्रगति का जायजा लिया गया।
श्री मनीष कुमार,श्रम अधीक्षक ने बताया कि इस वर्ष कुल 36 बच्चों को बाल श्रम से विमुक्त कराया गया है और सभी संबंधित नियोजकों के विरुद्ध बाल एवं किशोर श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम 1986 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है । इसके साथ ही उन सभी दोषी नियोजकों को प्रति विमुक्त बाल श्रमिक 20,000 रु की दर से जिला बाल श्रमिक पुनर्वास एवं कल्याण कोष में जमा करने हेतु नोटिस निर्गत किया गया है।कुल 22 नियोजकों द्वारा उक्त राशि जमा की गई है ।डीडीसी ने निर्देश दिया कि जिन दोषी नियोजकों द्वारा बाल श्रमिक पुनर्वास एवम कल्याण कोष में राशि नही जमा की गई है उनसे राशि वसूली हेतु नियमानुकूल सर्टिफिकेट वाद दायर किया जाए।
डीडीसी ने बाल श्रम के उन्मूलन हेतु अन्तर्विभागीय समन्वय की आवश्यकता पर बल देते हुए विमुक्त बाल श्रमिकों तक सरकार की विभिन्न लोक कल्याणकारी एवं विकासात्मक योजनाओं का लाभ पहुँचाने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं, शिक्षा, पुलिस, स्वास्थ्य, विधि, समाज कल्याण विभाग सहित सभी भागीदारों को आपस में सार्थक समन्वय करते हुए बाल श्रम उन्मूलन हेतु प्रतिबद्ध रहना होगा।
डीडीसी श्री सुल्तानिया ने निदेश दिया कि जो बाल श्रमिक विमुक्त कराए जाते हैं और CLTS में दर्ज है उनका इनटाइटलमेन्ट कार्ड निर्गत कर उनका फॉलो-अप किया जाए ताकि वे पुनः बाल श्रम की ओर न लौटें।
डीडीसी श्री सुल्तानिया द्वारा जिला कल्याण पदाधिकारी पटना को निर्देश दिया गया कि अनुसूचित जाति की श्रेणी के विमुक्त बच्चों का नामांकन कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में कराया जाए ताकि उनका शैक्षणिक विकास हो सके। उनके पुनर्वास,शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाए। डीडीसी श्री सुल्तानिया ने कहा कि सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई विमुक्त बाल एवं किशोर श्रमिकों के शैक्षणिक एवं आर्थिक पुनर्वास हेतु राज्य कार्य योजनान्तर्गत नोडल पदाधिकारी के रूप में नामित हैं। जिला बाल संरक्षण इकाई को निदेश दिया गया कि सीएलटीएस में दर्ज विमुक्त बच्चों की सूची के आधार पर उनके एवं उनके परिवार की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर सरकारी योजनाओं से जोड़ने का कार्य करेंगे।
डीडीसी श्री सुल्तानिया ने आम जनता से आह्वान किया कि बाल श्रम से संबंधित कोई भी सूचना या शिकायत मोबाईल नं. 9471229133 पर भेजी जाए। जिला स्तर से इसपर त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
डीडीसी श्री सुल्तानिया ने नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों एवं श्रम अधीक्षक को होटल, ढाबा, चाय की दुकान, गैरेज सहित सभी संभाव्य स्थानों पर बाल श्रम के विरूद्ध विशेष अभियान चलाने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि आवश्यकतानुसार जिला नियंत्रण कक्ष से दंडाधिकारियों एवं पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी।
विगत एक माह में 124 विमुक्त बाल श्रमिकों का फॉलोअप किया गया। इसमें यह ज्ञात हुआ कि 75 बच्चे स्कूल में पंजीकृत हैं तथा 105 बच्चे के परिवार जन वितरण प्रणाली आच्छादित है।
डीडीसी श्री सुल्तानिया ने कहा कि बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत बच्चों से कार्य कराना संज्ञेय अपराध है। साथ ही बाल श्रम संवैधानिक प्रावधानों यथा-अनुच्छेद 21ए(शिक्षा का अधिकार), अनुच्छेद 23, अनुच्छेद 24 एवं अनुच्छेद 39 का उल्लंघन भी है। डीडीसी श्री सुल्तानिया ने नियमित रूप से धावा दल का संचालन करने का निदेश दिया। उन्होंने विमुक्त बाल श्रमिकों के बारे में आंकड़ों को नियमित तौर पर अद्यतन करने का निदेश दिया। उन्होंने प्रखंड स्तर पर भी बाल श्रम उन्मूलन हेतु टास्क फोर्स का बैठक कराने एवं सघन अभियान चलाने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि दोषी नियोजकों के विरूद्ध यथाशीघ्र नियमानुकूल कार्रवाई कर दंडित किया जाय ताकि भविष्य में कभी बाल श्रम का नियोजन नहीं करे।
डीडीसी श्री सुल्तानिया ने प्रखंड स्तरों पर टास्क फोर्स की बैठक कराने एवं नियमित अंतराल पर इस टास्क फोर्स के माध्यम से बाल श्रम उन्मूलन कार्यक्रम का अनुश्रवण करने का निदेश दिया। उन्होंने श्रम अधीक्षक को सभी प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ उन्मुखीकरण एवं संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित करने का निदेश दिया।
श्रम अधीक्षक द्वारा बताया गया कि कुल 49 विमुक्त बाल श्रमिकों के नाम से मुख्यमंत्री राहत कोष से प्राप्त राशि से प्रति व्यक्ति 25000 रु की दर से सावधि जमा कर दिया गया है ।डीडीसी श्री सुल्तानिया ने विमुक्त बाल श्रमिकों का शत-प्रतिशत भौतिक सत्यापन कर मुख्यमंत्री राहत कोष से सभी पात्र विमुक्त बाल श्रमिको के नाम से सावधि जमा की प्रक्रिया को त्वरित गति से पूर्ण करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि आवश्यकतानुसार आवंटन की अधियाचना कर लें।
डीडीसी ने कहा कि त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के जन प्रतिनिधियों के बैठक एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में बाल श्रम उन्मूलन, विमुक्ति एवं पुनर्वास विषय को अनिवार्य रूप से शामिल कर गॉव-गॉव तक संवेदीकरण एवं जन-जागरूकता उत्पन्न की जाए।
डीडीसी श्री सुल्तानिया ने पात्रता रखने वाले बाल एवं किशोर श्रमिकों के परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर जन वितरण प्रणाली से जोड़ते हुए राशन कार्ड निर्गत करने का तथा उनके परिवार को प्राथमिकता के आधार पर मनरेगा के अंतर्गत जॉब कार्ड उपलब्ध कराने हेतु निदेश दिया।
डीडीसी श्री सुल्तानिया ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को निदेश दिया कि विमुक्त बाल एवं किशोर श्रमिकों को उच्च प्राथमिकता के आधार पर प्रारंभिक एवं बुनियादी शिक्षा उपलब्ध कराया जाए, उनका नामांकन विद्यालय में कराने तथा उनको मुफ्त पाठ्य पुस्तक मध्याह्न भोजन, छात्रवृति, साईकिल एवं पोशाक उपलब्ध कराया जाए। जिला कार्यक्रम समन्वयक, बिहार शिक्षा परियोजना, पटना को निदेश दिया कि श्रम संसाधन विभाग और समाज कल्याण विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर बाल श्रमिक सहित विद्यालय से बाहर रह गये बच्चों का सर्वेक्षण करना, साथ ही साथ विद्यालय से बाहर रह गये सभी बच्चों का विद्यालय में नामांकन करवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने बच्चों को ब्रिजकोर्स से जोड़कर उनको मुख्य धारा में लाने का निदेश दिया। स्वास्थ्य विभाग को निदेश दिया गया कि विमुक्त बाल एवं किशोर श्रमिकों तथा उनके माता-पिता को प्राथमिकता के आधार पर निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जाए।
डीडीसी श्री सुल्तानिया ने कहा कि बाल श्रम जैसे सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने के लिए सघन जन-जागरूकता अभियान चलाने का आवश्यकता है। उन्होंने बाल श्रम उन्मूलन पर आधारित चलचित्रों एवं वृतचित्रों का प्रदर्शन करने का निदेश दिया। नियमित तौर पर जागरूकता अभियान चलाने एवं व्यापक प्रचार-प्रसार करने, किशोर श्रम के मुद्दों को लक्ष्य में रखकर प्रशिक्षण, सूचना, प्रचार-प्रसार अभियान के लिए संसाधन सामग्रियों, अद्यतन हस्तकों, यूजर मित्रवत मानक बुकलेट आदि का वितरण कराने का निदेश दिया।
डीडीसी श्री सुल्तानिया ने कहा कि जिन परिवारों के बच्चों को मजबूरन बाल श्रमिक बनने की सम्भावना है, उनपर ध्यान केन्द्रित करते हुए ऐसे परिवारों के बच्चे को चिन्हित करते हुए आईसीडीएस केन्द्रों में नामांकित करने की कार्रवाई की जाए।
डीडीसी श्री सुल्तानिया ने कहा कि बाल श्रम उन्मूलन, विमुक्ति एवं पुनर्वास हेतु सभी भागीदारों (स्टेक होल्डर्स) को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
बैठक में सिविल सर्जन, पटना, पुलिस विभाग से मानव व्यापार निरोध इकाई, जिला कल्याण पदाधिकारी, श्रम संस्थाओं के प्रतिनिधि, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (शिक्षा), जिला विधिक सेवा प्राधिकार, जिला बाल संरक्षण इकाई के प्रतिनिधि एवं अन्य भी पदाधिकारी उपस्थित थे।