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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के अनुसार भैंस के मांस के मामले में भारत अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के निर्देशों का पालन करने के साथ-साथ गुणवत्ता, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण प्रबन्धन प्रणालियों के अनुरूप काम कर रहा है

भारत से निर्यात होने वाला प्रशीतित हड्डी रहित भैंस का मांस (फ्रोजन बोनलेस बफैलो मीट) पूरी तरह सुरक्षित है –एपीईडीए

त्रिलोकी नाथ प्रसाद -भारत भैंस के मांस के प्रमुख निर्यातकों में से एक हैI पिछले एक साल से अधिक की अवधि में वैश्विक महामारी कोविड-19 के बावजूद भारत वर्ष 2020-21 में 03 अरब 17 करोड़ अमरीकी डॉलर मूल्य के उत्पादों का निर्यात करने में सफल रहा है जो इससे पिछले सामान्य स्थिति वाले वित्तीय वर्ष 2019-20 के स्तर के बराबर ही हैI भैंस के मांस के निर्यात से होने वाली आय भी 2754 अमरीकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से बढ़ कर 2921 अमरीकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गई हैI भारत का पौष्टिक एवं जोखिम रहित भैंस का मांस विश्व के 70 से अधिक देशों में बहुत ही लोकप्रिय हैI हांग कांग, वियतनाम, मलयेशिया, मिस्र, इंडोनेशिया, ईराक, सऊदी अरब, फिलीपीन्स और संयुक्त अरब अमीरात भारत से भैंस के मांस का आयात करने वाले प्रमुख देश हैंI किसी भी खतरे (जोखिम) से बचने के लिए भैंस के मांस का प्रसंस्करण और निर्यात ओआईई के निर्देशों के अनुरूप ही किया जाता हैI भारत से केवल हड्डी रहित (बोनलेस) भैंस के मांस का निर्यात करने की अनुमति है क्योंकि यह सुरक्षित और किसी भी प्रकार के जोखिम से मुक्त हैI

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) ने कहा है कि सभी आयातक देश भारतीय मूल के (भारत में प्रसंस्कृत) प्रशीतित हड्डी रहित भैंस के मांस (फ्रोजन बोनलेस बफैलोमीट) को सुरक्षित रूप से मंगवा सकते हैंI भारत से हड्डी रहित भैंस के मांस का निर्यात सुगमतापूर्वक हो रहा है और इसकी आपूर्ति श्रुंखला में किसी भी प्रकार का अवरोध नहीं हैI वाजिब मूल्य पर उपलब्ध भैंस के मांस से आयातक देशों में खाद्य सुरक्षा और खाद्य पदार्थों के मूल्य में होने वाली बढ़ोत्तरी दोनों ही नियन्त्रण में हैंI

भारत सरकार ने पशुधन में होने वाले विभिन्न रोगों के नियन्त्रण और उनके उन्मूलन की दिशा में कई प्रयास किए हैंI जून 2019 में शुरू किया गया राष्ट्रीय पशु रोग नियन्त्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) भारत सरकार का एक ऐसा ही प्रमुख कार्यक्रम है जिसके तहत 2025 तक मुंह और खुरपका रोग (एफएमडी) और ब्रुसेलोईस को नियन्त्रण में लाया जाएगा और 2030 तक टीकाकरण के द्वारा इस रोग का उन्मूलन कर दिया जाएगाI इस रोग को नियंत्रित करने एवं इसका उन्मूलन करने के लिए प्रयुक्त टीके (वैक्सीन) की शत प्रतिशत लागत का वहन भारत सरकार द्वारा किया जाता है और इसके लिए 13,343 करोड़ रूपये के परिव्यय का प्रावधान किया गया हैI इस कार्यक्रम के अंतर्गत टीका लगाए हुए सभी पशुओं के कानों में टैग लगाकर उनके कहीं भी आने-जाने पर पूरी नजर रखी जाती हैI इसके अलावा भारत सरकार ने आर्थिक महत्त्व के समस्त पशुधन में होने वाले एफएमडी जैसे सभी रोगों से बचाव, रोकथाम और नियन्त्रण के लिए कई योजनाओं को लागू किया हैI ओआईई क्षेत्रीय पशु स्वास्थ्य कोड के प्रावधानों के अंतर्गत भारत के आधिकारिक एफएमडी नियन्त्रण कार्यक्रम को ओआईई का समर्थन मिला हुआ हैI

भारत में मांस प्रसंस्करण की विश्व स्तरीय आधारभूत अवसंरचनाएं उपलब्ध हैं जिन्हें गुणवत्ता प्रबन्धन, खाद्य सुरक्षा प्रबन्धन और पर्यावरण प्रबन्धन प्रणालियों के लिए प्रमाणपत्र मिला हुआ हैI

ओआईई, डब्ल्यूएचओ और एफएओ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इस आशय के निर्देश जारी किए हुए है जिनमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि लोगों को किसी खाद्य पदार्थ अथवा पैकेट में बंद खाद्य पदार्थ से कोविड-19 संक्रमण होने की आशंका नहीं होतीI कोविड-19 सांस से जुडी बीमारी है और लोगों के परस्पर सम्पर्क में आने से होती हैI इन अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के निर्देशानुसार भारत में मांस प्रसंस्करण का कार्य करने वाले उद्यम उचित शारीरिक दूरी, कठोर स्वास्थ्य एवं स्वच्छता उपायों का पालन कर रहे हैंI खाद्य सुरक्षा प्रविधियों पर कर्मचारियों और श्रमिकों को निरंतर नियमित रूप से प्रशिक्षण भी दिया जाता हैI

 

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