प्रधानमंत्री द्वारा अयोध्या में राममंदिर उद्घाटन और भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम धार्मिक भावनाओं का राजनीतिक दुरुपयोग।..

कुणाल कुमार:-पटना। , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव एवं पूर्व विधायक रामनरेश पाण्डेय ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अयोध्या में राममंदिर का उदघाटन करना धार्मिक भावनाओं का घोर अपमान और धर्म तथा आस्था का राजनीतिक दुरुपयोग है। राम मंदिर का उदघाटन एवं रामलाला की प्राण-प्रतिष्ठा की निर्धारित तिथि भगवान श्री राम के प्रति श्रद्धा से अधिक राजनीतिक हित पूर्ति के लिए मान्य परंपरा का घोर उल्लंघन एवं अधार्मिक लगता है। सभी को ज्ञात है कि रामनवमी भगवान राम की जन्म तिथि है जो 17 अप्रैल 2024 को है। क्या अच्छा होता कि रामनवमी को प्राण प्रतिष्ठा की तिथि रखी जाती। दो तीन महीने बाद ही रामनवमी को ही अगर यह कार्य किया जाता तो लगता कि श्रीराम से श्रद्धा है। इतना ही नहीं श्री राम का गृह प्रवेश या प्राण-प्रतिष्ठा मंदिर पूर्ण रूप से बने बगैर किया जाना भी गृह प्रवेश करने के मान्य प्रथा के विरूद्ध है और राजनीतिक स्वार्थ में अधार्मिक कुकृत्य कहा जाना चाहिए। धर्मगुरु शंकराचार्य ने भी यह मुद्दा उठाया है। प्रधानमंत्री द्वारा 22 जनवरी 2024 को मंदिर के उद्घाटन को धार्मिक आस्था से अधिक राजनीतिक हित पूर्ति जैसा बताया गया है।इस बार रामनवमी 17 अप्रैल 2024 को पड़ता है। वास्तव में अगर मंदिर का पूर्ण निर्माण और रामजन्म तिथि जैसे पवित्र दिवस पर निर्धारित होता तो लोकसभा चुनाव घोषित होकर आदर्श आचार संहिता लगा रहता तो यह इसका राजनीतिक लाभ कैसे लेते? इसलिए आनन फानन में अधर्मी तरीके से चुनावी लाभ लेने हेतु आधे अधूरे मंदिर का राजनीतिक उदघाटन और भगवान राम की मूर्ति का प्रवेश और प्राण प्रतिष्ठा किया जा रहा है। भाजपा या संघ मंडली को तो सिर्फ धर्म के नाम पर धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग से मतलब रहा है। उनके लिए जनभावना और आस्था एक राजनीतिक हथियार और हथकंडे मात्र है। उन्हें वास्तविक धर्म से कोई लेना देना नहीं है। धर्म के बारे में स्वयं श्री राम अपने भाई भरत को बताते हैं जिसकी चर्चा रामचरितमानस में तुलसीदास ने कहा है कि ‘‘परहित सरिस धरम नहीं भाई पर पीड़ा सम नहीं अधमाई’’ भाजपा मंडली सिर्फ चुनावी फायदा के लिए आधे अधूरे मंदिर का उदघाटन करने जा रहा है जो सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का घोर दुरुपयोग है।
भाकपा राज्य सचिव ने कहा है कि हिन्दू धर्म में गृह प्रवेश का भी एक महत्व है। निर्माणाधीन भवन में गृह प्रवेश नहीं हो सकता है। राममंदिर का निर्माण कार्य अभी चल ही रहा है। ऐसी हालत में गृह प्रवेश उचित नहीं है। इसके बावजूद गृह प्रवेश का कार्य रखा गया है। यह धार्मिक भावना के विपरीत है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान स्पष्ट रूप से धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित करता है जिसके तहत धर्म राजनीति और राज्य से अलग है। उन्होंने कहा कि मंदिर का उदघाटन खुले तौर पर धर्म के राजनीतिकरण को दर्शाता है जो संविधान के सिद्धांतों के विपरीत है। भारत के प्रधानमंत्री द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और संवैधानिक पदों पर बैठे अन्य लोगों की उपस्थिति में मंदिर का उदघाटन भाजपा के राजनीतिक उद्देश्य के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं का घोर दुरुपयोग है।
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि भाजपा को सही मायने में हिन्दू धर्म में आस्था है तो राम मंदिर का उदघाटन 22 जनवरी के बजाए रामनवमी के दिन 17 अप्रैल 2024 को हो और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के बजाय धार्मिक लोगों के हाथों कराया जाये। धर्म के राजनीतिक इस्तेमाल पर रोक लगे।