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हिन्दू राव मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में औरंगाबाद की सिमरन का चयन…

औरंगाबाद उड़ने के लिए पंख ही नहीं हौसलों में भी जान होना चाहिए क्योंकि कहते है परिंदों के हौसलों में जब शिद्दत होती है तो आसमान भी अपना कद झुकाने लगता है।आज देश की सरकार हो या राज्य सरकार “बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ” अभियान चलाकर एक नया कृतिमान स्थापित करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है लेकिन धरातल पर अब भी यह सुरक्षित नहीं है, शिक्षित नहीं हैं क्योकि हम जागरूक नहीं है।हमारी मानसिकता उस तरह की नहीं, हमारे अंदर बेटों के लिए सारे अधिकार देने की क्षमता है परंतु बेटियो के लिए पिंजड़े के सिवा कुछ नहीं।इसी घृणित मानसिकता एवं दोहरे चरित्र की वजह से यहाँ की बेटियों का प्रतिभा दब जाता हैं और वह अपने सपने को दबाए जिंदगी गुजार लेती है।यह कहना उचित इस लिए था कि आज भी ग्रामीण परिवेश के 90 प्रतिशत लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए उचित स्थान इस लिए नहीं भेजा जाता कि उनके माता पिता की मानसिकता अभी भी पुरानी परंपराओं की रही हैं। लेकिन जिनके माता पिता अपने बेटी को उचित एवं उच्च शिक्षा दिया हो वह बेटों से बड़ा नाम बनकर समाज मे अपने माता पिता का सर गौरवान्वित कर रही है।ग्रामीण परिवेश में रहकर सिमरन ने जिस शिद्दत से एमबीबीएस की पढ़ाई की एवं आज डॉक्टर के रूप में दिल्ली के हिन्दू राव मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इंटर्नशिप कर रही है।मूल रूप से औरंगाबाद के देव के कठवर गाँव के जाने माने प्रतिष्ठित बिजनेश मैन राकेश चौबे की पुत्री सिमरन की इस सफलता से पिता फुले नहीं समाते।उन्होंने बताया कि आसपास के क्षेत्रों में कोई भी लड़कीं डॉक्टर नहीं बनी है अभी तक यह मेरी पहली बेटी है।इस बात का मुझे गर्व है।ऐसा नहीं है कि इस क्षेत्र के बेटियों के अंदर प्रतिभा नहीं है बल्कि उसके प्रतिभा को उसके पैरेंट्स द्वारा दबा दिया जाता है जिसके चलते वह चाह कर भी सपने पूरे करने में असफल हो जाती है।सिमरन के बारे में उनके पिता राकेश चौबे बताते है कि उसे बचपन से ही पढ़ने का जुनून रहा है।ग्रामीण में प्रारंभिक शिक्षा के बाद हजारीबाग से अपने पढ़ाई को जारी रखा।उसके बाद दिल्ली में एक साल मेडिकल की तैयारी करने के उपरांत तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज, मोरादाबाद से एमबीबीएस की पढ़ाई की।सेवा भाव शुरू से ही कूट कूट कर भरा है ऐसा इसलिए कह रहा है कि वह बचपन से ही घर हो या बाहर दुसरो के लिए जीती रही है, काफी दयालु प्रवृत्ति का है।सिमरन ने बातचीत के क्रम में बताया कि वह अभी काफी खुश है कि उनको हिन्दू राव मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, दिल्ली में सेवा करने का मौका मिला है।और साथ ही साथ वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखेगी।उन्होंने बताया कि यूपीएससी की तैयारी करना है।चुकि डॉo बन जाने के बाद एक कैरियर तो निश्चित हो गया, अब इसके साथ तैयारी करने में मैं भटकाव फील नहीं करूंगी ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है।

रिपोर्ट-श्रीधर पांडे 

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