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किशनगंज : लोगों के दिलों में बस कर ही आपका मानव जीवन सफल हो सकता है, अमरत्व को प्राप्त कर सकता है:-कुमार आशीष

हम अपने साथ क्या लेकर आये थे जो लेकर जाने का ख्वाब देखते हैं ? याद रखें, आपका व्यवहार ही आपकी पहचान होगी।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, सफ़र में जाते हुए बस की बगल की सीट पर एक बुजुर्ग महिला ने अपना सामान टिकाया और झल्लाए हुए नजर से सहयात्री युवती से पूछा, ‘हटा नहीं जाता तुझे ? थोडा और खिसक..जगह दे मुझे..’बात छोटी-सी थी पर आस-पास के लोगों को लगा की युवती अब क्या कहेगी ? कहीं बात आगे तो नहीं बढ़ जाएगी ? पर सौम्यता भरी ख़ामोशी से युवती ने कुछ नहीं कहा। पीछे की सीट वाली आंटी ने उलाहने भरी दबी-सी आवाज़ में कहा, ‘मैं तो चुप ना बैठती..बुढ़िया को सबक सिखा ही देती आज..’इस पर युवती ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, ‘हर बात पर असभ्य व्यवहार या बहस करना…आवश्यक नहीं, वैसे भी मैं अगले स्टॉप पर उतरने वाली हूँ।सुनने में बहुत ही साधारण परन्तु यह प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है, जिसे सुनहरे अक्षरों में लिखी जानी चाहिए।क्यों ? आइये, समझते हैं-कि हर बात पर असभ्य व्यवहार या बहस करना आवश्यक नहीं..।जरा सोचिये, आखिर हमारे साथ की यात्रा है ही कितनी लम्बी ? अगर हमें यह एहसास हो जाए, कि यहाँ हमारा समय कितना कम है, तो व्यर्थ के झगड़े, निरर्थक तर्क बात-बात पर असहमति और दूसरों में गलती खोजने वाला रवैया समय और ऊर्जा की बर्बादी का कारण नहीं, तो…और क्या है ? हम अपने साथ क्या लेकर आये थे जो लेकर जाने का ख्वाब देखते हैं ? याद रखें, आपका व्यवहार ही आपकी पहचान होगी।लोगों के दिलों में बस कर ही आपका मानव जीवन सफल हो सकता है, अमरत्व को प्राप्त कर सकता है।आपकी गलती ना भी हो, अगर किसी ने आपका दिल तोड़ा तो शाँत रहे! आखिर यात्रा इतनी छोटी जो है।किसी ने आपके साथ विश्वासघात किया, धमकाया, धोखा दिया या अपमानित किया तो शाँत रहें, क्षमा करें ! आखिर हमारी यात्रा…इतनी कम जो है।जब भी कोई मुसीबत हमारे सामने आये, हमें याद रखना चाहिए, कि हमारे साथ की यात्रा बहुत छोटी ही है।इस यात्रा की अवधि कोई नहीं जानता-कोई नहीं जानता, कि उनका पड़ाव कब आएगा ? हमारी यात्रा एक साथ इतनी कम है, कि मालूम नहीं अगले पल क्या होने वाला है ? तो क्यों नहीं, हम अपने दोस्तों व परिवारजनों का ध्यान रखें, और अपने काम को संजोएं। क्यों नहीं-हम एक-दूसरे के लिए सम्मानजनक, दयालु और क्षमाशील हों, और यह अहसास हमें कृतज्ञता और उल्लास से भर दे।आपसी विद्वेष को भुला कर ये सोचें की अगर मेरे व्यवहार ने आपको कभी कोई चोट पहुँचाई है, तो मैं आपसे क्षमा माँगता हूँ।यदि आपने मुझे कभी दुख पहुँचाया है, तो मैंने आपको पहले ही क्षमा कर दिया है।आखिर, हमारी यात्रा एक साथ है ही कितनी ? बीते वर्षों के सुखद समय के लिए हम ईश्वर का आभार मानें, और इस आनेवाले समय में अपनी जीवन यात्रा को सुखमय बनाएं।दिल ना दुखाएं, बुरी यादों को भूल जाएँ और अच्छी यादों को आत्मसात करें।आप सभी को नववर्ष में नए संकल्पों के साथ, आशा और विश्वास के साथ, बेसहारों का सहारा बनने की इच्छा-शक्ति के साथ, अपने चारो ओर खुशियाँ फैलाते रहने के दृढ निश्चय के साथ।आइये कुछ करते है, नए साल 2020 में, अपने लिए, समाज के लिए, देश के लिए।

(कुमार आशीष, पुलिस कप्तान किशनगंज)

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