ज्योतिष/धर्म
सूर्य की अद्भुत शक्तियों का रहस्य………
सनातन धर्म में प्रकृति को ईश्वर का ही रूप माना जाता है।इसी परंपरा में सूर्य को साक्षात् ईश्वर मानकर उपासना की जाती है,यही नहीं सूर्य की महिमा बताने वाले शास्त्रों में उनको एक मात्र ईश्वर बताया गया है।इस दृष्टि से सूर्य को सृष्टि रचना, पालन और संहार करनेवाला देवता माना गया है,इसीलिए सूर्य साधना शारीरिक, मानसिक और सांसारिक दु:खों,रोगों से छुटकारा देनेवाली मानी गई है,हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में सूर्यदेव चार रूपों में संसार का मंगल करते हैं,इनको सूर्य की चार मूर्तियां भी कहा जाता है,जानते हैं सूर्यदेव की इन चार मूर्तियों की गुण और शक्तियां–सूर्यदेव की पहली मूर्ति राजसी मूर्ति कहलाती है ।संसार की रचना करने वाला यह रूप ब्राह्मी शक्ति के रूप में भी जाना जाता है।विष्णु रूप को सूर्यदेव की दूसरी मूर्ति माना जाता है,यह सत्व या सौम्य गुणोंवाली होती है,जिसके द्वारा बुराई और दुर्जनों का अंत कर जगत का पालन होता है ।सूर्य की तीसरी मूर्ति को शंकर रूप में पूजा जाता है,जो उग्र या तामसी गुणोंवाली है।यह संहार शक्ति के रूप में प्रसिद्ध है ।सूर्य की चौथी मूर्ति होने पर भी अदृश्य रूप में रहती है यानी नजर नहीं आती,यह शक्ति है ऊँकार संसार में दिखाई देनेवाली साकार और निराकार सभी में यह शक्ति स्थित है,जिसके द्वारा पूरा संसार आगे बढ़ता और फैलता है,इस कारण इसे श्रेष्ठ मूर्ति भी माना जाता है…।।।
POSTED BY:–धर्मेन्द्र सिंह DECEMBER 16,2016