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किशनगंज : नाइट ब्लड सर्वे की सफलता को लेकर साप्ताहिक समीक्षात्मक बैठक आयोजित

सर्वे के दौरान रात साढ़े आठ बजे से 12 बजे तक लिया जायेगा लोगों का ब्लड सैंपल

  • एएनएम के साप्ताहिक कार्यों की हुई समीक्षा, विभिन्न स्वास्थ्य इंडिकेटर पर चर्चा

किशनगंज, 16 जून (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत नाइट ब्लड सर्वे कार्यक्रम की सफलता से जुड़ी तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। जिले के सभी पीएचसी में आयोजित एएनएम की साप्ताहिक बैठक में सर्वे की सफलता पर विशेष जोर दिया गया। इसके साथ ही विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन पर विस्तृत चर्चा गयी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दिघलबैंक में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा० टी एन रजक की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में एएनएम के साप्ताहिक कार्यों की गहन समीक्षा की गई। इसमें एमआर एलिमिनेशन प्रोग्राम के प्रभावी क्रियान्वयन व मातृत्व-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी को लेकर जरूरी निर्देश दिये गये। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा० टी एन रजक ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत दो सेशन साइट चिह्नित हैं। इसमें दोगाछी, गरबनडांगा में सत्र का संचालन होगा। इसे लेकर पूर्व से ही क्षेत्र में सघन जन जागरूकता अभियान संचालित करते हुए सर्वे की सफलता सुनिश्चित कराने का निर्देश उन्होंने दिया। पीएचसी प्रभारी ने मातृत्व-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावी बनाते हुए गर्भवती महिलाओं की चतुर्थ एएनसी जांच सुनिश्चित कराते हुए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने का निर्देश दिया। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा० मंजर आलम ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे का कार्य रात साढ़े आठ बजे से बारह बजे तक होना है। लोगों के ब्लड सैंपल जुटाने के लिये स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग अपेक्षित है। संबंधित क्षेत्र की आशा व एएनएम लोगों को इसके प्रति जागरूक करें। ताकि प्रत्येक सत्र पर सर्वे के लिये निर्धारित तीन सौ लोगों का ब्लड सैंपल जुटाया जा सके। इसके अलावा बैठक में प्रमंडलीय आयुक्त के प्रस्तावित निरीक्षण कार्यक्रम को देखते हुए स्वास्थ्य कर्मियों को कई जरूरी सुझाव व निर्देश दिया गया। बैठक में क्षेत्र में बुखार के साथ शरीर में छोटे दाना होने की शिकायत किसी बच्चे में मिलने पर इसकी तत्काल सूचना पीएचसी को उपलब्ध कराने के लिये कहा गया। यूनिसेफ के एसएमसी एजाज अफजल ने बताया कि रोग ग्रस्त बच्चे को विटामिन-ए की दवा व एंटी एलर्जी दवा तुरंत उपलब्ध करायें। इलाके का सर्वे कर नौ माह से पांच साल के सभी बच्चों को एमआर का टीका लगाया जाना है। ब्लड सैंपल की जांच में अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आता है तो बच्चों को टीका की अतिरिक्त खुराक दी जानी है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा० मंजर आलम ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत जहां 19 से 26 जून तक रात साढ़े आठ बजे से 12 बजे तक जांच के लिये लोगों के रक्त सैंपल जुटाये जायेंगे। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी जांच करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया या हाथी पांव के लक्षण सामान्य रूप से शुरू में दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन इसके परजीवी शरीर में प्रवेश करने के बाद इसका लक्षण लगभग पांच से दस सालों बाद दिखाई दे सकता है। इसलिए सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी इसकी जांच कराएं। फाइलेरिया एक घातक बीमारी है। यह साइलेंट रहकर शरीर को खराब करती है। फाइलेरिया एक परजीवी रोग है, जो एक कृमि जनित मच्छर से फैलने वाला रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते लेकिन बुखार, बदन में खुजली व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसील की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे.धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसका कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है।

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