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आखिर कौन थे ? सम्राट पृथ्वीराज चौहान..

सम्राट पृथ्वी राज चौहान जी की कृति को नमन,

  • पुरा नाम:-पृथ्वीराज चौहान
    अन्य नाम:-राय पिथौरा
    माता/पिता:- राजा सोमेश्वर चौहान/कमलादेवी
    पत्नी:-संयोगिता
    जन्म:-1149 ई.
    राज्याभिषेक:- 1169 ई.
    मृत्यु:-1192 ई.
    राजधानी:-दिल्ली, अजमेर
    वंश:-चौहान (राजपूत)

पटना/रीता सिंह, पृथ्वीराज चौहान भारतीय इतिहास में एक बहुत ही प्रसिद्ध और चर्चित नाम है।चौहान वंश जन्मे पृथ्वीराज चौहान आखरी हिंदू शासक थे बहुत ही कम आयु में उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के पश्चात दिल्ली और अजमेर का शासन संभाला और कई सीमाओं तक भी फैलाया था लेकिन विश्वासघात के शिकार हुए और अपनी रियासत हार बैठे लेकिन यह कमी कोई हिंदू शासक पूरी नहीं कर पाया, पृथ्वीराज चौहान के पिता का नाम सोमेश्वर चौहान और माता का नाम कमलादेवी और चौहान वंश के थे।पृथ्वीराज को राय पिथौरा भी कहा जाता है पृथ्वीराज चौहान छोटे से ही एक कुशल योद्धा थे और युद्ध के अनेक गुण सीख रखे थे उन्होंने अपने बचपन में ही शब्दभेदी बाण विद्या का भी अभ्यास किया था।बरदाई ने मोहम्मद गोरी को पृथ्वीराज के शब्दभेदी वाण चलाने की कला के बारे में बताया।जब गोरी को यकीन नहीं हुआ तो चंद बरदाई ने अपनी योजना के मुताबिक पृथ्वीराज को तीर-कमान देकर अपनी आंखों से ये कला देखने की बात कही।पृथ्वीराज नामक बालक महाराजाओं के छत्र अपने बल से हर लेगा।सिंहासन की शोभा को बढाएगा अर्थात् कलियुग में पृथ्वी में सूर्य के समान देदीप्यमान होगा।इतिहास के पन्ने पलटे तो पृथ्वीराज चौहान के बारे में कई जानकारियां हाथ लगेगी।पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1149 में अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान के यहां गुजरात में हुआ था।वह बचपन से ही प्रतिभाशाली बालक थे।जब उनके पिता की मृत्यु हुई तो उन्होंने 13 साल की उम्र में अजमेर के राजगढ़ की गद्दी को संभाला।पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही एक कुशल योद्धा थे, उन्होने युद्ध के अनेक गुण सीखे थे।उन्होने अपने बाल्य काल में ही योद्धा बनने के सभी गुण सीख लिए थे।बता दें, पृथ्वीराज के दादा अंगम दिल्ली के शासक थे।उन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साहस और बहादुरी के किस्से सुनने के बाद उन्हें दिल्ली के सिंहासन का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।बताया जाता है पृथ्वीराज इतने बलवान थे कि एक बार उन्होंने बिना किसी हथियार के मदद के शेर मार डाला था।पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली के राज सिंहासन की गद्दी पर विराजने के बाद ही किला राय पिथौरा का निर्माण किया था।13 साल की उम्र में उन्होंने गुजरात के पराक्रमी शासक भीमदेव को हरा दिया था।पृथ्वीराज चौहान 6 भाषाओं में निपुण थे, जैसे–संस्कृत, प्राकृत, मागधी, पैशाची, शौरसेनी और अपभ्रंश भाषा।इसके अलावा उन्हें मीमांसा, वेदान्त, गणित, पुराण, इतिहास, सैन्य विज्ञान और चिकित्सा शास्त्र का भी ज्ञान था।प्रथ्वीराज चौहान ने 12 वर्ष कि उम्र मे बिना किसी हथियार के खुंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़ ड़ाला था।पृथ्वीराज चौहान ने 16 वर्ष की आयु मे ही महाबली नाहरराय को युद्ध मे हराकर माड़वकर पर विजय प्राप्त की थी।पृथ्वीराज चौहान ने तलवार के एक वार से जंगली हाथी का सिर धड़ से अलग कर दिया था।महान सम्राट प्रथ्वीराज चौहान कि तलवार का वजन 84 किलो था, और उसे एक हाथ से चलाते थे..सुनने पर विश्वास नहीं हुआ होगा किंतु यह सत्य है..सम्राट पृथ्वीराज चौहान पशु-पक्षियो के साथ बाते करने की कला जानते थे।प्रथ्वीराज चौहान 1166 ई. मे अजमेर की गद्दी पर बैठे और तीन वर्ष के बाद यानि 1169 मे दिल्ली के सिहासन पर बैठकर पुरे हिन्दुस्तान पर राज किया।सम्राट पृथ्वीराज चौहान की 13 पत्निया थी।इनमे संयोगिता सबसे प्रसिद्ध है..सम्राट पृथ्वीराज चौहान की सबसे बड़ी विशेषता यह थी की..जन्म से शब्दभेदी बाण की कला ज्ञात थी।जो की अयोध्या नरेश “राजा दशरथ” के बाद केवल उन्ही मे थी।पृथ्वीराज चौहान ने महमुद गौरी को उसी के भरे दरबार मे शब्दभेदी बाण से मारा था।गौरी को मारने के बाद दुश्मन के हाथो नहीं मरे..अर्थार्त अपने मित्र के हाथो मरे दोनो ने एक दुसरे को मार लिया..क्योंकि और कोई विकल्प नहीं था।सम्राट पृथ्बी राज चौहान का आज जन्मदिवस है।हम लोग कोरोना 19 संक्रमण बीमारी को सोशल डिस्टेंश को देखते हुए, इंटरनेट व्हाट्सएप्प, पर जन्म दिवस मनाए, जिसमें छतीसगढ़ के राजा विक्रमादित्य जूदेव जी, रानी जया जी, राणा सिंह, चंद्रशेखर सिंह, बहुरानी, आशा सिंह, नेहाराज, दिल्ली माधुरी सिंह, पूर्व प्रचार्य अजय सिंह, सम्राट होटल, अर्बेश सिंह दिल्ली, उमेश सिंह, धनवंत सिंह राठोर, सभी बुद्धिजीवियों मिल कर जन्म दिन इंटरनेट के जरिये चन्दन वंदन अभिनन्दन किये।

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