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*बिहार विधान सभा निर्वाचन में सभी पार्टियाँ दलितों को रिझाने में लगी*।।..

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, 15 अक्टूबर :: बिहार विधान सभा आम निर्वाचन 2020 तीन चरणों में सम्पन्न होगा। प्रथम चरण में राज्य के 16 जिलों यथा- भागलपुर, बांका, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, पटना, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, रोहतास, अरवल, औरंगाबाद, गया, नवादा, जमुई, जहानाबाद की 71 सीटों पर 28 अक्टूबर को मतदान होगा। इस चुनाव में दलित वोटबैंक सभी दलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसे के लिए सभी पार्टियां दलितों को रिझाने की कोशिश कर रही हैं।

बिहार की 243 विधान सभा सीटों में अनुसूचित जाति के 38 और अनुसूचित जनजाति के 02 सुरक्षित हैं। अलग-अलग 22 जातियों के महादलित, राज्य के कुल मतदाताओं के लगभग 16 प्रतिशत हैं।राजनीतिक पार्टियों द्वारा दलित वोटों का प्रभाव इन सीटों आंका जा रहा है।

दलितों के सहयोग से बनने वाली सरकारों ने दलित उत्पीड़न के लिए अभी तक कोई कारगर उपाय नहीं निकाला सका है। जबकि ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस समुदाय से मुख्यमंत्री बनाने से लेकर महादलितों के लिए कई योजनाओं की घोषणा कर दलित नेताओं पर भारी पड़ रहे हैं।

एक तरफ कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से जहां चुनाव आयोग चुनाव नहीं टालने के पक्ष में था, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलित कार्ड खेलकर राजनीतिक चाल चल दी थी। विकास के मामले में भी नीतीश कुमार के कार्यों को नज़र अंदाज करना आसान नहीं है। इन्हीं कार्यों और राजनीतिक महारत के बूते नीतीश कुमार चौथी बार सत्ता में आना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (उत्‍पीड़न रोकथाम) अधिनियम 1995 के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता और निगरानी समिति की बैठक में उन्होंने कहा था कि उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए, समुदाय के उत्थान के लिए, कई योजनाएं चला रहे हैं। दूसरी योजनाओं और परियोजनाओं के बारे में भी सोंच रहे हैं। उनकी सहायता के लिए जो भी आवश्यक होगा करेंगे।

इतना ही नहीं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदाय के किसी व्यक्ति की हत्या हो जाने पर, अनुकंपा के आधार पर परिवार के एक सदस्य को तत्काल रोजगार देने के लिए नियम बनाने पर विचार किया जायेगा।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घोषणाओ के बाद दलित राजनीति करने वाली बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि बिहार में जद (यू)+ भाजपा सरकार वोट की खातिर एससी-एसटी लोगों को लालच दे रही है। भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब सरकार ने इस संबंध में घोषणा की है तो इसका विरोध क्यों किया जा रहा है? राजद के तेजस्वी यादव कहा कि ओबीसी या सामान्य वर्ग के उन लोगों को भी रोजगार क्यू नहीं दी जानी चाहिए, जिनकी हत्या हुई है। लोक जनशक्ति पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने इस मुद्दे पर नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखकर अपनी नाराजगी दर्ज करायी थी और इसे “चुनावी घोषणा” बताया था। उन्होंने ने कहा कि “नीतीश सरकार ईमानदार है तो उसे एससी-एसटी समुदाय के उन लोगों को नौकरी देनी चाहिए, जिन्होंने बिहार में उनके 15 साल के शासन के दौरान अपनी जान गंवाई। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्यूलर) के नेता जीतन राम मांझी का कहना है कि एससी/एसटी अधिनियम के तहत पहले से ही एक प्रावधान है, जो कमजोर वर्गों से मारे गए लोगों के परिजनों को रोजगार प्रदान करता है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उन्हें अधिनियम को दोबारा ध्यान से पढ़ना चाहिए।

 

 

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