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सूरदास पर नवीन दृष्टिकोण से शोध की आवश्यकता है

अविनास कुमार। मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग (राजभाषा) के तत्त्वावधान में फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ हिन्दी भवन सभागार, छज्जूबाग में सूरदास जयंती समारोह का आयोजन हुआ । कार्यक्रम का उद्घाटन मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।

तत्पश्चात् सूरदास के चित्र पर आमंत्रित अतिथियों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की गयी एवं बिहार गीत की प्रस्तुति की गई।

कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत भाषण करते हुए निदेशक श्री सुमन कुमार ने कहा कि की सूरदास भारतीय वाङ्मय के अभूतपूर्व कवि हैं। स्वागत भाषण के पश्चात् प्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती श्यामा झा ने सूर के पदों का मधुर स्वर में गायन किया।

विद्वान वक्ता एम० एल० टी० कॉलेज, सहरसा के हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ० मयंक भार्गव ने अपने संबोधन में बताया कि अतीत, वर्त्तमान और भविष्य तीनों के साहित्य पर सूर का प्रभाव है और रहेगा। इन पर नवीन दृष्टिकोण से शोध की आवश्यकता है। इसी क्रम में अगले वक्ता डॉ० अजीत सिंह, सहायक उप निदेशक, शिक्षा निदेशालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश ने भी सूरदास की रचनाओं पर शोध की आवश्यकता पर बल दिया।

अगले वक्ता डॉ० उपेन्द्रनाथ पाण्डेय, सेवानिवृत्त विशेष सचिव, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, पटना ने सूरदास को भक्तिकाल के स्वर्णिम कवि का दर्जा देते हुए हिन्दी साहित्य में उनके योगदान पर चर्चा की।

कार्यक्रम के अगले चरण में कवियों श्री जय प्रकाश पुजारी, डॉ० पूनम कुमारी, श्री निलांशु रंजन, श्री चंदन द्विवेदी एवं सुश्री प्रीति सुमन द्वारा कविता पाठ किया गया।

धन्यवाद ज्ञापन उप निदेशक श्री अनिल कुमार लाल और मंच संचालन उप निदेशक डॉ० प्रमोद कुँवर ने किया।

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