किशनगंज : एसपीओ चाइल्ड हेल्थ ने सदर अस्पताल सहित एनआरसी एवं एसएनसीयू में उपलब्ध चिकित्सकीय इंतजामों का किया निरीक्षण
एनआरसी, एसएनसीयू सेवाओं की बेहतरी व सुविधा संपन्न बनाने को लेकर दिया जरूरी निर्देश
किशनगंज, 30 नवंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई एसएनसीयू के माध्यम से बीमार नवजात शिशुओं को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सुविधाओं को लाभ उपलब्ध कराना जिले में स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकताओं में शुमार है। इसे लेकर सदर अस्पताल परिसर में संचालित एसएनसीयू में जरूरी चिकित्सकीय सुविधाओं की उपलब्धता व सुविधा संपन्न बनाने को लेकर विभागीय स्तर से जरूरी पहल की जा रही है। एसएनसीयू में उपलब्ध चिकित्स्कीय इंतजाम का जायजा लेने के लिये गुरुवार को राज्य स्वास्थ्य समिति के एसपीओ चाइल्ड हेल्थ डा. विजय प्रकाश सदर अस्पताल पहुंचे। उन्होंने सदर अस्पताल के एसएनसीयू, एनआरसी, लेबर रूम एवं ओटी का औचक निरीक्षण किया। इस क्रम में उन्होंने संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों को एसएनसीयू में उपलब्ध चिकित्सकीय इंतजामों की बेहतरी के लिये कई जरूरी निर्देश दिये। मौके पर सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर, डीपीएम डा. मुनाजिम, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन, एसएनसीयू के चिकित्सक, वार्ड इंचार्ज सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मी मौजूद थे। एसपीओ चाइल्ड हेल्थ डा. विजय प्रकाश ने एनआरसी के निरीक्षण क्रम में बताया कुपोषित बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है। इसकी वजह से वे अधिक बीमार होते हैं। विटामिन ए, सी, डी, ई और प्रोटीन रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं। शिशु के आहार के साथ उसकी साफ सफाई भी रखना महत्वपूर्ण है। शिशु की साफ सफाई करते रहें। उन्हें गंदगी में जाने या गंदी चीजों को छूने से बचायें। अन्यथा ये डायरिया का कारण बनते हैं। विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई के निरीक्षण क्रम में एसपीओ चाइल्ड हेल्थ डा. विजय प्रकाश ने बताया कि नवजात के जन्म के बाद पहले 28 दिन उसके जीवन व विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है। बचपन के किसी अन्य अवधि की तुलना में नवजात के मृत्यु की संभावना इस दौरान अधिक होती है। इसलिये कहा जाता है कि नवजात के जीवन का पहला महीना आजीवन उसके स्वास्थ्य व विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है। शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने एवं लगातार छः महीने तक नवजात शिशुओं के बेहतर देखभाल, एसएनसीयू सेवाओं का लाभ अधिक से अधिक जरूरतमंद नवजात को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। उन्होंने जरूरी इलाज के लिये एसएनसीयू में बच्चों के निबंधन की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। एसएनसीयू में सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता, निर्धारित रोस्टर के मुताबिक चिकित्सक व स्टॉफ की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया। डा. विजय प्रकाश ने सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू, एनआरसी, सदर अस्पताल के लेबर रूम एवं ओटी में वेस्ट मैनेजमेंट के बेहतर इंतजाम सुनिश्चित कराते हुए किसी तरह के संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर सभी जरूरी इंतजाम सुनिश्चित कराने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया। डा. अनवर हुसैन ने बताया कि जिलाधिकारी तुषार सिंगला के दिशा निर्देश में एसएनसीयू सेवाओं की बेहतरी के लिये निरंतर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। पूर्व की तुलना में एसएनसीयू सेवाओं को अधिक प्रभावी व सुविधाजनक बनाया गया है। इस कारण इलाज के लिये एसएनसीयू में दाखिल होने वाले बच्चों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। इसे और बेहतर बनाने का प्रयास जारी है। निरीक्षण के क्रम में एसपीओ चाइल्ड हेल्थ के माध्यम से जो जरूरी दिशा निर्देश प्राप्त हुए हैं उसका प्रभावी क्रियान्वयन बहुत जल्द सुनिश्चित कराया जायेगा। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि सतत विकास लक्ष्यों में साल 2030 तक नवजात मृत्यु दर को 12 तथा बाल मृत्यु दर को 25 से कम करने का लक्ष्य रखा गया है। नवजात शिशु व पांच माह से कम उम्र वाले कुपोषित बच्चों की मृत्यु दर को कम करने के लिए नियमित स्तनपान व पूरक आहार महत्वपूर्ण है। प्रति हजार जीवित जन्में बच्चों में से 28 दिन के अंदर होने वाली नवजात की मौतों को नवजात मृत्यु दर कहा जाता है। वहीं प्रति एक हजार जीवित जन्में बच्चों में से 365 दिनों के भीतर होने वाली मौत की संख्या को शिशु मृत्यु दर के रूप में देखा जाता है। प्रत्येक हजार जीवित जन्में बच्चों में से 5 साल की उम्र पूरी नहीं कर पाने वाले मृतकों की संख्या बाल मृत्यु दर कहलाती है। एनएफएचएस-5 के मुताबिक जिला में पांच साल से कम उम्र वाले स्टंटेड बच्चों का प्रतिशत 46.9 है। यानी इनकी लंबाई उम्र की तुलना में कम है। वहीं पांच साल से कम उम्र वाले वेस्टेड बच्चे 22.8 प्रतिशत हैं। इनका वजन लंबाई की तुलना में कम है। वहीं पांच साल से कम उम्र वाले अंडरवेट बच्चे 45.4 प्रतिशत हैं। इनका वजन उम्र की तुलना में कम है।