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सहरसा : शिक्षा विभाग में दो पदाधिकारियों के बीच प्रभार के आदान प्रदान में उच्चस्तरीय पैरवी व पैसे के डाक का चल रहा है खेल।

सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल मुख्यालय स्थित प्रखंड शिक्षा कार्यालय पदाधिकारी विहीन है। जिस कारण प्रखंड की शिक्षा व्यवस्था होती जा रही है चौपट।सहरसा, 03 मई (के.स.)। धर्मेन्द्र कुमार,  जिले के सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल मुख्यालय स्थित प्रखंड शिक्षा कार्यालय पदाधिकारी विहीन है। जिस कारण प्रखंड की शिक्षा व्यवस्था चौपट होती जा रही है। पूर्व में नवहट्टा प्रखंड के बीईओ सत्य प्रकाश सिंह सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के अतिरिक्त प्रभार में थे। इस बावत कोशी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय के पत्रांक-1704, दिनांक- 24 नवंबर 2022 के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने पत्रांक-426, दिनांक-11 अप्रैल 2023 को पत्र निर्गत कर कहा कि नवहट्टा प्रखंड में पदस्थापित बीईओ सत्य प्रकाश सिंह को अतिरिक्त दो प्रखंड महिषी एवं सिमरी बख्तियारपुर का प्रभार में रहने से कार्य की अधिकता एवं एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड की दूरी अत्यधिक रहने के फलस्वरूप कार्य में समन्वय स्थापित नही हो पाता है। जिस कारण नवहट्टा के बीईओ को सिमरी बख्तियारपुर के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त कर निकट के बनमा ईटहरी प्रखंड के बीईओ विद्यानंद तिवारी को अपने प्रखंड के अतिरिक्त सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के बीईओ के रूप में कार्य करने हेतु प्राधिकृत कर संपूर्ण प्रभार सौंपने का आदेश नवहट्टा के बीईओ सत्यप्रकाश सिंह को दिया गया। उक्त आदेश के आलोक में बनमा ईटहरी के बीईओ विद्यानंद तिवारी ने गत 13 अप्रैल को सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड शिक्षा कार्यालय में अपना योगदान भी दे दिया। योगदान की सूचना पर नवहट्टा के बीईओ सत्य प्रकाश सिंह बिना प्रभार दिये गायब हो गये। जिस कारण प्रखंड शिक्षा कार्यालय से जुड़े सभी कार्य ठप हो गये हैं। विगत पंद्रह दिनों से बिना पदाधिकारी के शिक्षक व ग्रामीणों को शिक्षा कार्यालय का चक्कर लगाकर मजबूरन वापस हो जाना पड़ता है। अगर यही स्थिति रही तो प्रखंड के विद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्था चौपट होने से इंकार नही किया जा सकता है। शिक्षा विभाग के महकमे में तैर रही चर्चा के मुताबिक दोनों पदाधिकारियों के बीच प्रभार के आदान प्रदान में उच्चस्तरीय पैरवी व पैसे के डाक का खेल चल रहा है। ऐसी स्थिति में कोशी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक व जिला शिक्षा पदाधिकारी भी सांप-छूछंदर के फेर में फंस गये हैं। जिस कारण निर्णय नही ले पा रहे हैं। जिसका खामियाजा शिक्षक व अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है।

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