नियमित टीकाकरण को नई दिशा: किशनगंज में त्रैमासिक समीक्षा व उन्मुखीकरण कार्यशाला
वाधवानी AI और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त पहल, सामुदायिक सहभागिता व तकनीकी दक्षता पर जोर

किशनगंज,29जुलाई(के.स.)। जिले में नियमित टीकाकरण को सुदृढ़ करने और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए वाधवानी AI एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में त्रैमासिक समीक्षा एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों का उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई। सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में UNICEF, UNDP और राज्यस्तरीय तकनीकी विशेषज्ञों ने भाग लिया।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने HMIS और UWIN डेटा के आधार पर टीकाकरण की वर्तमान स्थिति का विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि पिछली तिमाही में टीकाकरण दर में सुधार हुआ है, लेकिन कुछ उप-स्वास्थ्य केंद्र अभी भी लक्ष्य से पीछे हैं। उन्होंने कहा कि गैप एनालिसिस से प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान कर वहां विशेष ध्यान देने में मदद मिलती है।
SMO डॉ. प्रीतम घोष और UNICEF के एजाज अहमद ने Differential Diagnostic Tools के उपयोग पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि इन टूल्स की मदद से प्रखंड स्तर पर मौजूद कमियों की त्वरित पहचान और समाधान संभव है।
राज्य से आई वाधवानी AI की डॉ. पल्लवी सिन्हा, UNICEF के डॉ. निर्भय मिश्रा और मो. सदान खान ने GAVI HSS-3.0 प्रोजेक्ट की जानकारी दी। इस प्रोजेक्ट के तहत सामुदायिक स्तर पर अफवाहों को दूर कर टीकाकरण के प्रति विश्वास बढ़ाने और अधिक बच्चों को टीकाकरण के दायरे में लाने पर जोर दिया जाएगा। डॉ. निर्भय मिश्रा ने कहा कि यह केवल स्वास्थ्य विभाग की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है।
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और अफवाहें टीकाकरण में बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि ASHA और ANM घर-घर जाकर माता-पिता को टीकाकरण का महत्व समझाएं। ग्राम स्तर पर जागरूकता शिविर और बैठकें आयोजित कर सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देने की भी बात कही गई।
उन्होंने सभी स्वास्थ्य पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि किसी भी बच्चे को टीकाकरण से वंचित न रखा जाए। HMIS और UWIN डेटा की मदद से हर केंद्र का प्रदर्शन मॉनिटर किया जाएगा और लक्ष्य से पीछे रहने वाले क्षेत्रों में विशेष रणनीति लागू की जाएगी।
कार्यशाला में यह निष्कर्ष निकला कि तकनीकी टूल्स, डेटा आधारित विश्लेषण, सामुदायिक जागरूकता और सभी विभागों के समन्वय से ही नियमित टीकाकरण को मजबूती मिल सकती है। स्वास्थ्य विभाग ने अभिभावकों से अपील की कि वे समय पर अपने बच्चों को टीकाकरण अवश्य दिलाएं और इस अभियान में सहयोग करें।
रिपोर्ट/धर्मेन्द्र सिंह