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तीर्थाटन और पर्यटन को अलग करे सरकार – स्वामी जितेंद्र नंद सरस्वती

केवल सच  – पलामू

मेदिनीनगर  – गंगा महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जुटे पदाधिकारी और कार्यकर्ता

  •  गंगा महासभा के केंद्रीय कार्यालय (ब्रह्म निवासी, छोटी गैबी, सिगरा) में संगठन के राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई। बैठक में देश के विभिन्न जिलों से जुटे पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने संगठनात्मक पुनर्गठन, गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए चल रहे प्रयासों पर चिंतन, मुखपत्र ‘भागीरथी के स्वर’ के प्रकाशन एवं प्रबंधन पर चर्चा, आगामी ‘संस्कृति संसद २०२३’ की तिथि पर विचार सहित से भारतीय संस्कृति और उस पर हो रहे कुठाराघात पर विमर्श किया।
    राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द महाराज ने कहा कि केदारनाथ हादसे के बाद भी हम नहीं चेते, जोशी मठ हादसे के बाद भी हमारी आँखें नहीं खुल रही हैं। सत्ता और सरकार से लड़कर प्रकृति और संस्कृति के लिए कुछ नहीं हो सकता। इसके लिए हमें सामाजिक जनजागरण करना होगा। तीर्थाटन और पर्यटन दोनों अलग-अलग शब्द हैं। दोनों के अर्थ भी अलग हैं। गंगा की गोद में जब क्रूज चलेंगे तो तीर्थों की मर्यादा नहीं बचेगी। विदेश प्रायोजित फोर्ड फाउंडेशन, जेम्स फाउंडेशन, पीयरे ओमिदयार और जॉर्ज सोरोस के पैसों से जो भारत में आंदोलन चल रहे हैं। उनसे राष्ट्रीय एकता और अखंडता को खतरा है। गंगा महासभा सरकार को गंगाजी किनारे टेंट सिटी के निर्माण को लेकर पत्राचार करेगी।
    बैठक में गंगा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रेमस्वरुप पाठक ने कहा कि नई पीढ़ी के कार्यकर्ताओं को देखकर प्रसन्नता हो रही है। गंगा महासभा के कार्यकर्ता गंगाजी की पीड़ा को दूर करने के लिए तन-मन से कार्य करें।
    राष्ट्रीय महामंत्री गोविन्द शर्मा ने कहा कि इस बार संस्कृति संसद का आयोजन ३, ४ और ५ नवम्बर को होने जा रहा है। इसमें ३५० महामंडलेश्वर, १२७ संप्रदायों के आचार्य समेत देशभर के राष्ट्रनिष्ठ चिंतक भाग लेंगे जिसमें प्रथम दिन धर्म संसद होगी। दूसरे दिन मातृ संसद तथा तीसरे दिन युवा संसद का आयोजन होगा।
    इस अवसर पर विनय तिवारी, अजय उपाध्याय, हरिहर पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश मिश्र, प्रो. सीपी सिंह, विजयश्री सिंह, माध्वी तिवारी, देवेंद्र त्रिपाठी सहित अन्य लोगों ने भी अपने-अपने विचार रखें।
    बैठक के दौरान गंगा महासभा की संगठनात्मक नियुक्तियाँ की गईं जिसमें संरक्षक जगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी महाराज (जोशी मठ), जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती जी महाराज (काँची मठ), जगद्गुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्वप्रसन्न तीर्थ जी महाराज (उडुपी), जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामराजेश्वराचार्य जी महाराज। मार्गदर्शक- जस्टिस गिरधर मालवीय जी, इंद्रेश कुमार जी। अध्यक्ष- प्रेमस्वरुप पाठक (बदायूँ)। कार्यकारी अध्यक्ष- वागीश पाठक (बदायूूँ)। उपाध्यक्ष- संजय गुप्त (दिल्ली), प्रो. ओमप्रकाश सिंह (काशी), शांति स्वरुप वर्मा जी ‘माधव’ (मुजफ्फरपुर), श्रीमती विजयश्री सिंह (काशी), श्री राजेश प्रताप सिंह (काशी), महामंत्री- स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती जी, महामंत्री संगठन- गोविन्द शर्मा। कोषाध्यक्ष- अखिलेश खेमका (काशी), बिन्नी गोयल (दिल्ली)। राष्ट्रीय मंत्री- विनय तिवारी (काशी), राजेश राय (दिल्ली), इंजी. धीरज सक्सेना (बदायूँ), डॉ. माध्वी तिवारी (काशी), प्रो. हरिशंकर कंसाना (मध्य प्रदेश), नवीन तिवारी (पटना)। राष्ट्रीय कार्यसमिति- एडवोकेट गौरी शंकर प्रसाद, (मुजफ्फरपुर), डॉ. विश्वनाथ दूबे, (काशी), श्री सुनील किशोर द्विवेदी (काशी), (इंजी.) गौतम पाण्डेय (बेंगलुरु), डॉ. नवीन मिश्रा, (काशी), डॉ. मनीष त्रिपाठी, इंजी. विद्यानंद तिवारी (दिल्ली), संजय रॉय शेरपुरिया (दिल्ली)। प्रांतीय नियुक्तियों में बिहार झारखंड के लिए श्वेतांक गर्ग (झारखंड) एवं राहुल कुमार (बिहार) संयुक्त महामंत्री होंगे। इसके अलावा सभी प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रदेश महामंत्री, राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद् के पदेन सदस्य हों।

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