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गिग वर्कर्स और बंधुआ श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के लिए दो समझौतों पर हुए हस्ताक्षर

- बिहार प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग कामगार के सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण हेतु किया जा रहा है कार्य: राजेश भारती

मुकेश कुमार– श्रमिकों के अधिकारों के प्रति जनजागरण हेतु जागरूकता” नामक जिंगल का किया गया विमोचन।

राज्य में गिग वर्कर्स और बंधुआ श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन से जोड़ने के उद्देश्य से इंटरनेशनल जस्टिस मिशन (आईजेएम) और इंडस एक्शन इनिसिएटिव के साथ श्रम संसाधन विभाग ने शुक्रवार को दो अहम समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। श्रम संसाधन विभाग की यह एक ऐतिहासिक पहल बताई जा रही है। श्रम संसाधन विभाग के प्रतिबिंब सभागार में शुक्रवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें “जागरूकता” नामक प्रेरणादायक जिंगल का भी विमोचन किया गया। जिसका उद्देश्य समाज में श्रमिकों के अधिकारों के प्रति जनजागरण फैलाना है।
राज्य के श्रमायुक्त राजेश भारती ने इस पहल को गिग वर्कर्स और बंधुआ श्रमिकों के सामाजिक एकीकरण की दिशा में मील का पत्थर बताया और कहा कि इससे उन्हें न केवल सम्मानजनक जीवन मिलेगा, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से भी जोड़ा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि बिहार प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग कामगार (निबंधन, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) विधेयक हाल ही में विधानसभा और विधान परिषद द्वारा पारित किया गया है। इसके तहत एक बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो गिग वर्करों की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा। उन्होंने इंडस एक्शन और आईजेएम की द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह भागीदारी भविष्य की नीतियों के निर्माण में अत्यंत सहायक होगी।
कार्यक्रम के दौरान बंधुआ मजदूरी के उन्मूलन के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए जिंगल “जागरूकता” का भी औपचारिक विमोचन किया गया। यह जिंगल आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रचार माध्यमों के जरिये प्रसारित किया जाएगा। जिससे बंधुआ प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ व्यापक जनमत तैयार किया जा सके। इस पहल से आम नागरिक भी विभागीय टोल फ्री नंबर के माध्यम से बंधुआ मजदूरी के मामलों की पहचान व रिपोर्टिंग में सक्रिय भूमिका निभा सकेंगे।
इस अवसर पर आईजेएम के सहयोग से बंधुआ श्रमिकों गोविंद पासवान और देवेंद्र मांझी ने अपने अनुभव साझा किए, जो कभी बेंगलुरु में बंधुआ मजदूरी के शिकार हो गए थे। अब वे एक सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं। उन्होंने अपने प्रेरणादायी जीवन-संघर्ष की कहानी साझा कर उपस्थित लोगों को भावुक कर दिया। इस उदाहरण के जरिए यह संदेश दिया गया कि बंधुआ श्रमिकों की पुनर्वास प्रक्रिया संभव और प्रभावी है।

विदित हो कि आइजेएम के साथ हुए समझौते से बंधुआ मजदूरी की पहचान, विमुक्ति, प्रमाण-पत्र निर्गमन और पुनर्वास प्रक्रिया में संस्थागत दक्षता आएगी। वहीं इंडस एक्शन के साथ हुए समझौते से बिहार सरकार को गिग वर्करों की सामाजिक सुरक्षा नीति बनाने में तकनीकी मदद मिलेगी। इस समावेशी और न्यायसंगत पहल से बिहार देश में एक मॉडल राज्य के रूप में स्थापित हो सकता है, जो श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें गरिमामयी जीवन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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