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आजीवन “प्राण जाए पर वचन न जाए” के सिद्धांत पर चलने वाले, पिता को दिए वचन के लिए राजपाट छोड़कर वनवास स्वीकारने वाले श्री राम जी के जन्म स्थान अयोध्या में जाकर सम्राट चौधरी  ने अपने चेलों का भीड़ लगाकर अपनी पगड़ी खोल दी ।…

सोनू यादव/मतलब बड़े घमंड से खाई हुई अपनी ही कसम तोड़ दी है! यह कलियुग है कि लोग अपने ही सार्वजनिक प्रण को तोड़ने में गौरवांवित अनुभव करते हैं, ऊपर से पूरे निर्लज्जता व घमंड से अपने ही अवसरवाद का खुद प्रदर्शन करते हैं।

सम्राट चौधरी जी ने अपने तथाकथित वचन, अपनी ज़ुबान की तिलांजलि दे दी है!
और वह भी मजमा लगाकर, भीड़ जुटाकर, मीडिया बुलाकर!

अगर सम्राट चौधरी जी को सत्ता और राजपाट के लोभ में अपना वचन तोड़ना ही था तो वचन के पक्के मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम जी की जन्मस्थली की परंपरा तोड़ने से अच्छा होता है वह ज्ञान प्राप्ति के स्थल बोध गया चले जाते और अशोक के धम्म एवं भगवान बुद्ध के “बहुजन हिताय बहुजन सुखाय” के सिद्धांत से प्रेरणा लेते। जिन बहुजनों के इतिहास, परंपरा और विरासत के साथ भाजपा खिलवाड़ कर रही है उन महान सम्राट अशोक के प्रतीक अशोक स्तंभ और अशोक चक्र को धूमिल कर रही है, उन्हीं बहुजनों के हित के लिए व राजनीति करने की कसम खाते, सेंगोल के स्थान पर अशोक चक्र और अशोक स्तंभ का प्रचार प्रसार करते और इन वैभवशाली के पीछे के सिद्धांतों से जन-जन को अवगत करवाने का प्रण लेते।

जिस पुष्यमित्र ने मौर्य वंश का अंत कर दिया आज सम्राट चौधरी उसी पुष्यमित्र को पूजने वालों की गोद में जाकर बैठ गए हैं और बहुजनों की ताकत, उनकी विरासत, उनकी एकता और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में मनुवादियों और जातिवादियों की मदद कर रहे हैं।

क्यों अयोध्या जाकर अयोध्या की परंपरा और श्री राम के जन्म स्थान को अपने अवसरवाद की राजनीति से दूषित करने चले गए सम्राट चौधरी जी?बोधगया जाइए तो कुछ ज्ञान की भी प्राप्ति हो जाएगी।और अहंकार और घमंड भी कम होगा।कहाँ आप बड़े अहंकार से लंबी लंबी हांक रहे थे और कहाँ अब राजपाट से कुछ दिन भी दूर नहीं रहा गया?

गिर गए नीतीश जी के चरणों में? कुछ महीनों का वनवास भी नहीं काटा गया?
अफसोसनाक है पर इसे तो हम बिहारवासी थूक कर चाटना कहते हैं!

 

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