अपराध
फूलन देवी हो, निर्भया हो या कोई भी हो, देश में महिलाओं के प्रति अपराध 1950 के बाद से ही बढ़ना क्यों शुरू हुए ??
पटना डेस्क/ अपराध होने के बाद पुलिस के पास जाए, तो मीडिया के सहयोग के, पुलिस केस तक दर्ज नहीं करती या केस दर्ज करने के भी पैसे ले लेती हैं। उसके बाद कोर्ट जाए, तो कोर्ट को सुबूत चाहिए, तो मतलब की पीड़ित के साथ जब अपराध हो रहा हो, तो क्या वह वीडियो रिकॉर्डिंग करें ?? सुबूत भी हो, तो सज़ा होने में वर्षो लंगेगे और सज़ा हो गई, तो या तो अपराधी का मानवाधिकार आ जाएगा या टाइमपास वाली सज़ा होगी। कुंठित होकर या अपने बचाव में या फिर बदला लेने के लिए,पीड़ित अपराधी के विरुद्ध कुछ करें, तो पीड़ित को भी सज़ा हो जाएगी। व्यवस्था हैं या मज़ाक समझ ही नहीं आता ?? अपराध संविधान से नहीं, संस्कार से ही समाप्त किए जा सकते हैं, इसलिए सनातनवाद लाओ और पूर्वजों की भांति सुख शांति पाओ क्योंकि विजय तो सत्य की ही होगी।